2013 के विधानसभा चुनाव में नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में कुल चार फीसदी नोटा वोट पड़े थे. यह ट्रेंड लोकसभा में भी जारी है. बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी को 16 हजार 903 वोट पड़े हैं, जबकि नोटा में पड़े वोटों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा है. बस्तर सीट पर कुल 38 हजार 772 नोटा वोट पड़े हैं.
छत्तीसगढ़ में नोटा की संख्या कुछ ज्यादा है. बिलासपुर सीट पर भी साढ़े सात हजार नोटा वोट पड़े हैं. इसी तरह दुर्ग लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार के बीच महज एक हजार वोटों का उलटफेर चल रहा है, लेकिन यहां नोटा में पड़े वोटों की संख्या 10 हजार के पार है.
राज्य की एकमात्र सुरक्षित सीट जांजगीर-चांपा में साढ़े चौदह हजार, कांकेर में करीब 32 हजार नोटा वोट पड़े हैं और यहां से बीजेपी उम्मीदवार की जीत का अंतर भी करीब इतना ही है. कोरबा लोकसभा सीट से कांग्रेस के चरणदास महंत महज दो हजार वोट से हारे हैं, जबकि यहां नोटा में पड़े वोट की संख्या साढ़े सात हजार के पार है.
इसी तरह महासमुंद लोकसभा सीट, जहां से कांग्रेस के अजित जोगी मैदान में हैं और बीजेपी के उम्मीदवार से वे महज कुछ सैकड़ा वोट से आगे चल रहे हैं. लेकिन यहां नोटा में पड़े वोट की संख्या 9 हजार के पार है. रायगढ़ लोकसभा सीट पर 28 हजार से ज्यादा तो रायपुर लोकसभा सीट पर चार हजार से ज्यादा नोटा में वोट पड़े हैं.
मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह की लोकसभा सीट राजनांदगांव में जीत का अंतर भले बढ़ा हो, लेकिन राज्य में बस्तर सीट के बाद सर्वाधिक नोटा वोट इसी सीट पर पड़ा है. यहां नोटा वोटों की संख्या करीब 31 हजार है. जबकि सरगुजा में 26 हजार नोटा वोट पड़े हैं.