बिहार में गुरूवार शाम दूसरे दौर का प्रचार थम जाएगा. लेकिन इससे पहले पाटलिपुत्र में जुबानी जंग अपने पूरे उफान पर है. रामकृपाल यादव और मीसा भारती कल तक एक दूसरे को चाचा-भतीजी कह कर पुकारते थे. लेकिन सत्ता के खेल में सारे रिश्ते, मर्यादाएं टूटती नजर आ रही हैं. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव अपने सबसे करीबी रहे रामकृपाल को प्लेटफॉर्म का आदमी बता रहे हैं. वहीं आरजेडी छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके रामकृपाल यादव भी लालू यादव की पोल खोलने की धमकी दे रहे हैं.
पाटलिपुत्र की बेटी और बहू बन गई हैं: मीसा
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में मीसा भारती और रामकृपाल यादव आमने-सामने हैं. आरजेडी प्रत्याशी मीसा भारती जहां पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, वहीं रामकृपाल यादव पहली बार बीजेपी के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं. मीसा भारती ने साफ कर दिया कि यह राजनीतिक मामला है, घरेलू नहीं. यह विचारधारा की लड़ाई है, न कि चाचा-भतीजी के बीच की उठा-पटक. भले ही मीसा भारती इस लड़ाई को खालिस राजनीति बता रही हों. लेकिन वोट मांगने के लिए वह रिश्तों की ही दुहाई देती फिर रही हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में उनका ससुराल भी है और मायका भी. इसी बात को लोगों के बीच दोहरा कर 'बेटी और बहू' को जिताने की अपील कर रही हैं.
चाचा-भतीजी के वर्चस्व का इम्तहान!
उधर रामकृपाल यादव भी अपने संबंधों की दुहाई देने में भी पीछे नहीं हैं. रामकृपाल ने अपने बेटे की शादी भी यहीं की है. ऐसे में वह इसे अपना समधियाना बताकर वोट मांग रहे हैं. लालू यादव और मीसा भारती से एक कदम आगे निकल कर रामकृपाल ने कहा, कि 'मैं पाटलिपुत्र में किसी का बेटा हूं, किसी का भाई हूं, किसी का दोस्त हूं, मेरा रिश्ता केवल एक परिवार से नहीं बल्कि हर घर से है'.
पाटलिपुत्र लालू यादव की प्रतिष्ठा से जुड़ चुका है. यहां न सिर्फ उनकी बेटी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, बल्कि बागी रामकृपाल यादव मीसा को यहीं से टक्कर दे रहे हैं. अब तक जिन 25 फीसदी यादव वोटरों के बूते लालू अपनी नैया पार लगा रहे थे, उसमें रामकृपाल यादव सेंध लगा सकते हैं. कुल मिलाकर इस बार इसी 'यादव लैंड' में चाचा-भतीजी के वर्चस्व का इम्तहान है.