अपनी संसदीय सीट वाराणसी से नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार बनाने की खबरों से नाखुश वरिष्ठ बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी अब बैकफुट पर आ गए हैं. उन्होंने रविवार को पार्टी नेतृत्व से कहा कि पार्टी जो फैसला लेगी, वह एक अनुशासित सिपाही की तरह उसे मानेंगे.
जोशी ने उम्मीद जताई कि पार्टी के फैसले से न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की प्रतिष्ठा कम होगी और न ही पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा. मोदी और उनके समर्थकों के बीच वाराणसी में पोस्टर वॉर की खबरों को नकारते हुए उन्होंने इसे मीडिया की उपज बताया.
जोशी ने पार्टी नेतृत्व से कहा कि उसे फैसला लेते समय प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की प्रतिष्ठा के अलावा जीत की संभावना पर भी गौर करना चाहिए. 80 साल के जोशी ने बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक में कल यह मुद्दा उठाया था और आज अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि कौन चुनाव लड़ेगा इस पर फैसला संसदीय बोर्ड करेगा, जिसकी बैठक गुरुवार को है.
उनकी उम्मीदों और वाराणसी से मोदी के चुनाव लड़ने पर उनकी सहमति के बारे में बार-बार पूछने पर जोशी ने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'इस पर पार्टी निर्णय करेगी जो न तो हमारे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की प्रतिष्ठा पर आंच आने देगी और न ही पार्टी की जीत की संभावनाओं से समझौता करेगी.'
मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि वह पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए सबसे सही चाहते हैं. उन्होंने टिकट को लेकर विवाद और वाराणसी में मोदी व उनके समर्थकों के बीच पोस्टर वॉर की खबरों का भी खंडन किया.
चर्चा है कि पार्टी और संघ दोनों चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से चुनाव लड़ें, लेकिन जोशी अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं बताए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी ने जोशी को कानपुर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. मोदी को पूर्वी यूपी से चुनाव लड़ाने के पीछे पार्टी का मकसद उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों को एक साथ साधने का है.