बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक कांशीराम की मौत पर फिर से विवाद खड़ा हो गया है. कांशीराम के परिजनों ने मायावती को उनकी मौत का जिम्मेवार बताते हुए मायावती के अध्यक्ष रहने तक बीएसपी को वोट नहीं देने का ऐलान किया है. उनके परिजनों ने मायावती पर कांशीराम और उनकी मां को आपस में नहीं मिलने देने का आरोप भी लगाया. बीएसपी सुप्रीमो मायावती को आम चुनाव लड़कर जीतने की चुनौती देते हुए कांशीराम के परिजनों ने सवाल उठाया कि कांशीराम की मौत के बाद मायावती कभी भी कोई चुनाव क्यों नहीं लड़ी.
बहुजन समाज पार्टी चाहे केंद्र में अपने सहयोग से तीसरे मोर्चे की सरकार बनने का दावा कर रही है, लेकिन इस दावे को पार्टी के संस्थापक के परिवार ने कटघरे में खड़ा कर दिया है. जिसकी वजह से मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल पार्टी के संस्थापक कांशीराम के परिवार ने मायावती की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. कांशी की मौत पर उस वक़्त भी कई सवाल उठे थे और कई तरह के विवाद भी हुए थे, लेकिन अभी तक बोतल में बंद इस विवाद का जिन्न दोबारा बाहर निकल आया है.
कांशीराम के परिवार ने मायावती को तानाशाह बताते हुए उन्हें ही कांशीराम की मौत का कसूरवार ठहराया है. परिवार ने मायावती पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कांशीराम पर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए दवाब डाला था. उन्होंने मायावती को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद भी कांशीराम की ही देन बताया. उन्होंने कांशीराम की जिंदगी को समाज और पार्टी के प्रति समर्पित होने का दावा करते हुए कहा कि वे देश और समाजहित में अक्सर व्यस्त रहते थे. परिवार की बातों पर यकीन करें तो मायावती को कांशीराम ने ही आगे बढ़ाया, अपनी बातों की तस्दीक के लिए उन्होंने कांशीराम और मायावती की कुछ अनदेखी तस्वीरें भी दिखाई. इन तस्वीरों में मायावती के कई अलग-अलग अंदाज नज़र आए.
कांशीराम की बहन स्वर्ण कौर कहती हैं, भाई ने पार्टी बनाई, 40 साल संघर्ष किया और बहुत दुख तकलीफ का सामना किया. हमारा समाज साथ जोड़ा, अब प्रधान मायावती बन गई हैं जबरदस्ती, धोखे से बीमारी के बहाने प्रधान पद ले लिया. जो भाई के नजदीकी थे, जिन्होंने जी जान लगा दी पार्टी बनाने में ऐसे लोगों को उसने पार्टी से बाहर कर दिया. तरह-तरह के इल्जाम लगाकर हजारों की संख्या में ऐसे लोगों को बाहर किया गया. हमें दुख अपने भाई का भी है, जिसे इसने तड़पाकर मारा है. वो ऐसे ही नहीं मरा, तीन साल बीमार रहा, एक साल पहले उसने भाई की ज़ुबान बंद करा दी. मायावती हमें जवाब दे कि क्यों एक साल मेरे भाई की जुबान बंद रही. मेरे भाई के साथ जो उसने किया वो मैं भूलूंगी नहीं जब तक मैं ज़िंदा हूं.
यही नहीं परिवार ने मायावती पर मां से बेटे को अलग करने का आरोप लगते हुए कहा कि कांशीराम की बीमारी के बाद मायावती ने कांशीराम की मां को जीते जी कभी उनसे मिलने नहीं दिया. कांशीराम की बहन स्वर्ण कौर का ये भी आरोप है कि मायावती के कारण ही उनकी मां अपने बेटे के गम में चल बसी. अपनी मां की दर्दनाक मौत का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कांशीराम की बीमारी के दौरान अभिनेता अमिताभ बच्चन जब अपनी बीमारी के बाद अपनी मां से मिलने गए और जब ये खबर टीवी पर चली तब उनकी मां भी टीवी देख रहीं थी. इसी दौरान उनकी मां भावुक हो गयीं और उन्हें अपने बेटे कांशीराम का ध्यान आ गया, लेकिन बीमारी में भी अपने बेटे से नहीं मिलने के गम में उन्हें दोहरा हार्ट अटैक आया. इलाज़ कराए जाने के बावजूद उनको बचाया नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई. स्वर्ण कौर अपनी मां की इस मौत का जिम्मेदार भी मायावती को मानती हैं.
कांशीराम के परिजनों की नाराज़गी यहां तक बढ़ गई कि मायावती के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाते हुए उनकी बहन और भतीजे ने उनके पार्टी अध्यक्ष रहते पार्टी को वोट नहीं देने का ऐलान तक कर डाला है. हालांकि उन्होंने अपनी नाराजगी मायावती तक ही सीमित बताई, उन्होंने कहा कि पार्टी से उनकी किसी भी तरह की कोई नाराजगी नहीं है. यही नहीं उन्होंने मायावती पर पार्टी संस्थापक परिवार के साथ-साथ पार्टी को समर्पित कार्यकर्ताओं को भूलकर धनबलियों को बढ़ावा देने का आरोप तक लगा डाला. कांशीराम के परिजन बीएसपी को वोट नहीं देने का ऐलान करते हुए भी मायावती को कांशीराम की मौत का जिम्मेदार बताने की बात को दोहराना नहीं भूलते.