तीन राज्यों में चुनाव में मिली हार के बाद, योगी आदित्यनाथ भी विरोधियों के निशाने पर है कोई उन्हें बजरंग बली की जाति बताने के लिए हार का जिम्मेदार मान रहा है तो कोई अली और बजरंगबली टिप्पणी के लिए उन्हें कोस रहा है, लेकिन इन तीन चुनावों के आंकडे़ कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं.
आंकड़ों की बात करें तो विधायकों को जिताने वाले वाले स्टार प्रचारकों में योगी आदित्यनाथ का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा रहा. योगी आदित्यनाथ ने अपने 69 फीसदी उन उम्मीदवारों को जिता लिया, जिनके पक्ष में उन्होंने चुनाव प्रचार किया.
चार राज्यों में योगी आदित्यनाथ ने कुल 74 सभाएं ,अलग-अलग विधानसभाओं में की और इन 74 में से 51 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली. स्ट्राइक रेट के हिसाब से योगी आदित्यनाथ का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा. बता दें कि छत्तीसगढ़ में बुरी हार के बावजूद बीजेपी के जीते 17 सीटों में 8 ऐसी सीट है जहां योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किया था. यानि छतीसगढ़ में भी योगी अपने प्रचार के 50 फीसदी से ज्यादा सीट जिता ले गए.
26 विधानसभा में किए चुनाव प्रचार में 25 उम्मीदवार जीते
योगी आदित्यनाथ का सबसे शानदार रेकॉर्ड राजस्थान का रहा जहां योगी आदित्यनाथ की 26 विधानसभा में किए चुनाव प्रचार में 25 उम्मीदवार जीत गए. मध्यप्रदेश में भी योगी 17 उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे, जिनके पक्ष में उन्होंने चुनाव प्रचार किया. इन चुनाव के नतीजों के बाद विरोधी जहां योगी को हार की जिम्मेदारी थोप रहे हैं. वहीं योगी के समर्थक उन्हें भविष्य का चेहरा मान रहे हैं.
बता दें योगी के स्ट्राइक रेट से वाकिफ इन राज्यों के कई नेता सीधे अपने चुनाव क्षेत्र में इनकी सभाएं चाहते थे लेकिन योगी आदित्यनाथ के करीबी सूत्रों की मानें तो योगी आदित्यनाथ बीजेपी हाईकमान के दिये निर्देशों के मुताबिक ही अपनी राजनीतिक सभाएं करते रहे, कभी योगी ने अपनी पसंद नहीं तय की न ही कभी सभाओं से मना किया. यही वजह है कि आंखों में इन्फेक्शन और सूजन के बावजूद योगी आदित्यनाथ काला चश्मा लगाकर एक दिन में चार-चार सभाएं करते रहे.
फायरब्रांड हिंदुत्व का चेहरा
बीजेपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन कहते हैं योगी आदित्यनाथ का फायरब्रांड हिंदुत्व का चेहरा ही सिर्फ उनकी सफलता का राज नहीं हैं बल्कि गोरखनाथ मठ से जुड़ी श्रद्धा और देशभर में फैले उनके अनुयायी भी योगी आदित्यनाथ को दूसरे क्षेत्रीय क्षत्रपों से अलग बनाते हैं. यही वजह है कई मुख्यमंत्री भी उनके प्रति आदर और श्रद्धा का भाव सार्वजनिक रूप से सामने रखने से नहीं हिचकते.
बहरहाल जीत, जीत होती है और हार, हार होती है. ऐसे में गुजरात और कर्नाटक में जीत की तारीफ मिली तो योगी आदित्यनाथ ने हार में भी खुद को संयमित ही रखा.