तमिलनाडु में डीएमके विरोधी राष्ट्रवादी वोट कांग्रेस से दूर हो चुका है. इस वोट को हासिल करने के लिए डीएमके से लड़ना होगा, जो कांग्रेस नहीं अब बीजेपी ही कर सकती है. अब राज्य में जब DMK और AIADMK में कोई बड़ा चेहरा नहीं है, इसलिए बीजेपी के लिए जगह बनाने का अच्छा मौका है. तुगलक मैगजीन के संपादक और तमिलनाडु में रहने वाले दक्षिणपंथी विचारक एस. गुरुमूर्ति ने यह बात बात कही.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के सत्र ' द डिसाइसिव फैक्टर: हाउ इज तमिलनाडु डिफरेंट फ्रॉम अदर स्टेट्स इन दिस असेंबली ?' को संबोधित करते हुए गुरुमूर्ति ने यह बात कही.
DMK और AIADMK की राजनीति की चर्चा करते हुए गुरुमूर्ति ने कहा, ' मैंने दोनों दलों के साथ काम किया है और जानता हूं कि दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे से है. एक खत्म हो तो दूसरे का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा. तमिलनाडु में पहले राष्ट्रवादी वोट कांग्रेस को मिलता था, लेकिन बाद में यह एमजी रामचंद्रन के AIADMK के पास चला गया. अब तक यह वोट राष्ट्रवादी पार्टियों को शिफ्ट नहीं हुआ है. कांग्रेस फिर कभी अपनी जगह नहीं बना पाई. एंटी डीएमके जो भी माहौल रहा वह भी AIADMK के पास गया, कांग्रेस के पास नहीं. इसलिए बीजेपी के पास काफी मौका है. यहां राष्ट्रवादी वोट हासिल करना है तो डीएमके से लड़ना होगा. अब कांग्रेस यह नहीं कर सकती, लेकिन बीजेपी कर सकती है.'
नहीं चला मोदी विरोधी सेंटिमेंट
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल लोगों की संस्कृति की महानता को स्वीकार किया है, इसलिए यहां उनका सम्मान तो है. दो तीन साल तक यहां मोदी विरोधी सेंटिमेंट बनाने की कोशिश की गई, लेकिन 2019 में यह विफल हो गई. एक बड़ा वर्ग नरेंद्र मोदी को सम्मान से देखता है. एक बहुत बड़ा वर्ग उन्हें अच्छे नतीजे देने वाला यूनिक नेता मानने लगा है. अगर इस चुनाव में मोदी अपना प्रभाव और बढ़ा पाए तो आगे तमिलनाडु की राजनीति को बदलने के लिए उन्हें मौका मिलेगा.
करुणानिधि परिवार के लिए अस्तित्व की लड़ाई
गुरुमूर्ति ने कहा, 'यह चुनाव करुणानिधि परिवार के लिए अस्तित्व की लड़ाई है. यह पार्टी के लिए नहीं बल्कि करुणा परिवार के लिए ही अस्तित्व की लड़ाई है. डीएमके भले चुनाव जीत जाए, लेकिन उसकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है. तमिल गौरव के आधार पर अब डीएमके का उभार नहीं होने वाला. दूसरी तरफ, शशिकला को तब तक अब सक्रिय राजनीति में नहीं आना चाहिए, जब तक कि AIADMK में उनकी व्यापक स्वीकार्यता नहीं हो जाती. तमिलनाडु में शशिकला का अध्याय बंद हो गया है.'
अलग है तमिलनाडु का हिंदुत्व
उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य सबसे ज्यादा हिंदुत्व वाला है तो वह तमिलनाडु है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां बड़ी संख्या में आस्तिक लोग हैं. यहां से एक करोड़ लोग सबरीमाला जाते हैं. इसलिए कह सकते हैं कि पूरा द्रविड़ आंदोलन बेअसर हो चुका है.
उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु का हिंदुत्व अलग है. यहां राजनीतिक हिंदुत्व नहीं है. इसे द्रविड़ आंदोलन ने खत्म कर दिया है. द्रविड़ आंदोलन यहां धार्मिक हिंदुत्व को भी खत्म करना चाहता था, लेकिन सफल नहीं हुआ. यहां ब्राह्मण विरोधी आंदोलन तो हो सकता है, लेकिन देवता-धर्म विरोधी नहीं.'
उन्होंने कहा कि यह बीजेपी के लिए चुनौती है कि इस धार्मिक हिंदुत्व को राजनीतिक हिंदुत्व में कैसे बदलें? यहां अगर बीजेपी कुछ पॉजिटिव हिंदुत्व लाए तब ही कुछ सफल हो सकती है, क्योंकि यहां का हिंदू का काफी सुसंस्कृत है. उसे पॉजिटिव हिंदुत्व के द्वारा कल्चरल अपील से जोड़ना होगा. यहां राम जन्मभूमि जैसा आंदोलन नहीं सफल हो सकता.