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मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के आज नतीजे आ गए. तेलंगाना में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. कर्नाटक के बाद तेलंगाना दक्षिण का दूसरा राज्य है, जहां कांग्रेस की खुद की सरकार बनती दिख रही है. नतीजों के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि तेलंगाना में कांग्रेस का सीएम कौन होगा?
तेलंगाना में मुख्यमंत्री चेहरे की बात करें, तो कई ऐसे नेता हैं जिन्हें दावेदार माना जा रहा है. इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, सांसद कैप्टन एन उत्तमकुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क जैसे नाम शामिल हैं. इसके अलावा मोहम्मद अजहरुद्दीन भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है.
तेलंगाना में जीत का सबसे ज्यादा श्रेय रेवंत रेड्डी को मिल रहा है. यही वजह है कि सीएम पद के लिए सबसे ज्यादा चर्चा रेवंत रेड्डी की है. रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं. रेड्डी तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में जीत हासिल की थी.
सीएम रेस में रेवंत रेड्डी सबसे आगे
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक दिन पहले भी रेवंत रेड्डी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो उनके समर्थन में 'सीएम-सीएम' के नारे लगाए गए. रेवंत रेड्डी तेलंगाना विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस का चेहरा बने रहे. वे प्रचार के दौरान हमेशा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ नजर आए. तेलंगाना का गठन 2013 में हुआ था. इसके बाद ये तीसरा चुनाव है. इस चुनाव में केसीआर बतौर सीएम हैट्रिक लगाने से चूकते नजर आ रहे हैं.
तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के साथ ही यह सवाल उठने लगा है कि क्या रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बनेंगे? रेड्डी चुनाव से पहले दावा करते रहे हैं कि 119 सीटों वाले तेलंगाना में कांग्रेस के 80 से ज्यादा विधायक बनेंगे. रेवंत रेड्डी का जन्म 1969 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर हुआ.
एबीवीपी से की राजनीति की शुरुआत
रेड्डी ने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की. बाद में वे चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए. 2009 में वे आंध्र की कोडांगल से टीडीपी के टिकट पर विधायक चुने गए. 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए.
2017 में रेवंत रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि, वे 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए. हालांकि, कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताते हुए 2019 लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया, इसमें उन्होंने जीत हासिल की. 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.