यूपी चुनाव की तैयारियों में लगे आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने रविवार को यूपी सरकार को कई मुद्दों पर जमकर घेरा. संजय सिंह ने कहा कि 85 दिनों से हमारी बहन शिखा पाल लखनऊ में शिक्षक भर्ती के सवाल को लेकर पानी की टंकी पर बैठी हुई हैं. कोई बात नहीं कर रहा. रोजगार की बजाए युवाओं को लाठी मारी जा रही है. साथ ही संजय सिंह ने अयोध्या में बैंक अधिकारी की आत्महत्या का मुद्दा उठाया और राज्य सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि जो मुद्दे से जुड़ना चाहते हैं. वे आम आदमी पार्टी से जुड़ेंगे. 300 यूनिट फ्री बिजली के मुद्दे को काफी अच्छा रिस्पाँस राज्य की जनता की ओर से मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा कोई वोट बैंक नहीं है. जिनको रोजगार चाहिए, जिनको बिजली, पानी, स्वास्थ्य चाहिए, जिनको अरविंद केजरीवाल का मॉडल यूपी में चाहिए, वो आम आदमी पार्टी के साथ आएगा. फ्री देने की आलोचनाओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस देश में पीएम, सीएम, सांसद, विधायक को फ्री बिजली मिल सकती है, उस देश में जनता को फ्री बिजली नहीं मिल सकती.
बैंक अधिकारी की आत्महत्या पर भी संजय सिंह ने घेरा
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि अयोध्या का महत्व आदिकाल से रहा है और हमेशा रहेगा. उन्होंने कहा कि जहां तक चुनावी भविष्य का सवाल है ये जनता को तय करना है. पिछले 5 साल में कानून व्यवस्था की जो स्थिति रही है, हाथरस कांड हो, मनीष गुप्ता की हत्या का कांड हो, हम जिस अयोध्या में खड़े हैं, वहां बैंक अफसर की आत्महत्या का मामला हो, ये सब कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में विपक्ष की भूमिका आम आदमी पार्टी ने निभाई है. जितने भी मुद्दे रहे, चाहे भ्रष्टाचार का मुद्दा हो, चाहे कानून व्यवस्था का हो, चाहे किसान का हो, चाहे महिला सुरक्षा का हो, हम जेल भी गए, मेरे ऊपर 17 केस दर्ज हुए. हमारा संगठन आज 403 विधानसभाओं में है. मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी एक मजबूत उपस्थिति यूपी में बना चुकी है और चुनाव में परिणाम दिखेगी.
कृषि कानूनों पर क्या बोले संजय सिंह?
आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर कहा कि जिस दिन बिल संसद में आया था, उसी दिन इसका विरोध हुआ था. कानून में अनलिमिटेड स्टोरेज की छूट दी गई है. किसानों से सस्ते में खरीदा जाएगा और फिर स्टोर करके महंगे में बेचा जाएगा. हजारों एकड़ जमीन किसानों से ली जाएगी जोकि नई जमीनदारी प्रथा को जन्म देने जैसा है. पूंजीपतियों के हवाले किसानों की जमीन देने की यह सरकार की योजना है. सरकार किसानों को बॉर्डर से हटाने में कामयाब नहीं हो पाएगी. जब तक काला कानून वापस नहीं होता है, तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे.