उत्तर प्रदेश की सियासत में अपना राजनीतिक आधार स्थापित करने के लिए ऑल इंडिया मजिलस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी खूब एक्टिव हैं. ओवैसी इन दिनों सूबे के मुस्लिम बहुल इलाकों में जमकर जनसभाएं कर रहे हैं. ओवैसी की इन जनसभाओं के भाषणों पर गौर करें तो उनमें एक संदेश साफ नजर आता है.
ओवैसी मुस्लिमों के जख्मों को कुरेदकर उन्हें ये अहसास दिलाने में जुटे हैं कि जिन दिलों को वे सेकुलर समझकर अपना खैरख्वाह मानते हैं, वे संकट के वक्त उनके लिए खड़े नहीं हुए और अब उन्हें अपनी खुद की लीडरशिप खड़ी करने की जरूरत है. स्वाभाविक रूप से वे इस भूमिका के लिए खुद को आगे करते हुए अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद में एक जनसभा में 1980 के मुरादाबाद दंगे याद दिलाए. उन्होंने 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद की ईदगाह में हुई पुलिस फायरिंग की तुलना जलियांवाला बाग से कर डाली. ओवैसी ने कहा कि जलियांवाला में जनरल डायर ने गोली चलवाई थी और मुरादाबाद के ईदगाह मैदान पर कांग्रेस ने नमाज पढ़ रहे मुसलमानों पर गोली चलवाई, जिसमें 300 मुसलमान मारे गए.
कासगंज में पुलिस कस्टडी में अल्ताफ की मौत का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि 1980 से लेकर 2021 तक कुछ नहीं बदला. यूपी में आज भी ठोंका जा रहा है. उन्होंने मुसलमानों को मुरादाबाद दंगे की तारीख याद दिलाते हुए पूछा कि तुम तारीख भूल गए और जो तारीख भूल जाते हैं तो फिर तारीख दोहराई जाती है. 300 मुसलमान मारे गए थे, कैसे इसे भूला जा सकता है.
असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिमों के जख्म कुरेदते हैं तो ये भी कहते हैं कि उन जख्मों पर मरहम लगाने सपा, बसपा और कांग्रेस कोई नहीं आएगा. ओवैसी ने कहा कि आपने जिन्हें चुना है वो आपकी आवाज नहीं बनेंगे. उनमें आप पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत और हिम्मत नहीं हैं. मैं सच्चाई बयां करता हूं तो मुझे कहते हैं कि हैदराबाद से मुसलमानों के वोट काटने आ गया है.
मुरादाबाद से पहले पश्चिम यूपी के मुजफ्फरनगर में भी ओवैसी ने 2013 के जाट-मुस्लिम दंगे याद दिलाए. ओवैसी ने कहा कि आठ साल पहले मुजफ्फरनगर का मुसलमान खून के दरिया से गुजरा है और अब कहा जा रहा है कि भूल जाओ.
ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर के मुसलमान ने कभी बीजेपी का साथ नहीं दिया, फिर भी 2013 में यहां दंगा हुआ. मुसलमानों की नाइंसाफी की बात होती है तो सपा-बसपा-आरएलडी के नेताओं के माइक बंद हो जाते हैं. ओवैसी ने कहा कि मेरठ के हाशिमपुरा और मलियाना में दंगा-फसाद हुआ था तो कहा गया भूल जाओ. अब फिर कहा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर का फसाद भूल जाओ. ओवैसी ने कहा कि मुसलमान इन नाइंसाफियों को भूल जाएंगे तो दोबारा फिर नाइंसाफी होगी.
असदुद्दीन ओवैसी पश्चिमी यूपी के विभिन्न जिलो में जनसभाएं करने के बाद शनिवार को मेरठ के नौचंदी मैदान में जनसभा करेंगे. ओवैसी की 15 दिन में मेरठ में यह दूसरी रैली है. मेरठ में वो मलियाना और हाशिमपुरा के दंगों का जिक्र कर सकते हैं.
दरअसल, यूपी में 20 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं. पश्चिम यूपी की कई सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है. सूबे में मुस्लिम सपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, जिसे कांग्रेस भी साधने में जुटी है. ऐसे में ओवैसी सूबे में अपनी सियासी आधार को मजबूत करने के लिए सपा और कांग्रेस के दौर में हुए सांप्रदायिक दंगों को जिक्र मुस्लिमों के जख्मों को हरा कर रहे हैं ताकि वो उनके साथ आ सकें.