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वजूद में आते ही बना सपा का दबदबा... 2002 में हुई थी चूक! अखिलेश यादव के लिए कितना फायदेमंद यादवों के वर्चस्व की कहानी लिखता करहल?

सपा का गठन साल 1992 में हुआ था जिसके बाद से लेकर 2017 तक विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का एक उपचुनाव सहित 6 बार विधायक चुना गया. साल 2002 के चुनाव में बीजेपी के सोबरनसिंह यादव विधायक चुने गए. हालांकि बाद में वो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.

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सपा मुखिया अखिलेश यादव (फाइल फोटो- PTI)
सपा मुखिया अखिलेश यादव (फाइल फोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 3.55 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 1.25 लाख यादव वोटर
  • करहल विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं

उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रही है. इस कड़ी में जहां हाल ही में बीजेपी ने मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ की चुनावी सीट गोरखपुर शहर पर मुहर लगाकर सभी कयासों से पर्दा उठाया तो गुरुवार को समाजवादी पार्टी ने पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की चुनावी सीट को लेकर खुलासा कर दिया है. 

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पार्टी के ऐलान के मुताबिक, अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की कर्मस्थली मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. यहां तीसरे चरण में 20 फरवरी को वोटिंग होनी है. आगामी विधानसभा को लेकर अखिलेश की सीट पर बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी के वजूद में आते ही इसका दबदबा रहा है. यादवों के दबदबे वाली इस सीट पर 3.55 लाख मतदाता हैं, जिसमें 1.25 लाख यादव वोटर है.

सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने करहल के जैन इंटर कॉलेज से ही शिक्षा ग्रहण की थी और वे यहां पर शिक्षक भी रहे. इतना ही नहीं मुलायम ने यहीं से अपनी राजनीति की तलवार में भी धार दी. करहल मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई से महज चार किलोमीटर की दूरी पर है.

सपा का गठन साल 1992 में हुआ था जिसके बाद से लेकर 2017 तक विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का एक उपचुनाव सहित 6 बार विधायक चुना गया. साल 2002 के चुनाव में बीजेपी के सोबरनसिंह यादव विधायक चुने गए. हालांकि बाद में वो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. जिसके बाद साल 2012 और 2017 के चुनाव में भी सोबरन सिंह यादव सपा के टिकट पर विधायक चुने गए. 

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करहल विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता हैं. अनुमान के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की बहुलता है. तकरीबन 3.55 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 1.25 लाख यादव वोटर है. शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, लोधी और एससी मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. करहल विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.  

करहल विधासभा सीट पर अब तक चुनावी स्थिति - 

- 1985 में बाबूराम यादव (लोक दल)
- 1989 में बाबूराम यादव (जनता दल) 
- 1991 में बाबूराम यादव (जनता पार्टी) 
- 1993 में बाबूराम यादव (सपा) 
- 1996 में बाबूराम यादव (सपा) 
- 2000 के उपचुनाव में अनिल यादव (सपा) 
- 2002 में सोबरनसिंह यादव (बीजेपी)
- 2007 में सोबरन सिंह (सपा)
- 2012 में भी सोबरनसिंह यादव यहां से विधायक चुने गए और 2017 में भी जीत की हैट्रिक लगाते हुए उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी रमा शाक्य को 40 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी. ऐसे में अब अखिलेश यादव के लिए यह सीट क्या कमाल दिखाती है, इसकी तस्वीर 10 मार्च यानी चुनावी नतीजों के दिन साफ़ हो जाएगी. 
 

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