उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को करहल सीट पर वॉकओवर देने के मूड में नहीं है. इसीलिए बीजेपी ने कद्दावर नेता और मोदी सरकार में मंत्री एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाया है. अखिलेश के बाद बघेल ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं एसपी बघेल जो करहल सीट पर अखिलेश यादव के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं.
आगरा से बीजेपी सांसद और मोदी सरकार में राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ब्रज क्षेत्र से आते हैं. पिछड़ा वर्ग से आते हैं, पर वो सुरक्षित सीट से सांसद हैं. सत्यपाल सिंह बघेल यानि प्रो. एसपी सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के मूल निवासी हैं, लेकिन इटावा में रहे हैं. बघेल अपनी कर्मभूमि बदलते रहे हैं और उनकी जाति को लेकर भी काफी विवाद है. ऐसे में फिरोजबाद के जलेसर सीट से पहली बार विधायक बने.
आगरा को बना लिया कर्मभूमि
फिरोजबाद से सांसद रहने के बाद आगरा को अपनी कर्मभूमि बना लिया और मैनपुरी की करहल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने उतरे हैं. एसपी बघेल ने अपना सियासी सफर समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर शुरू किया था और बसपा से होते हुए बीजेपी में आए हैं. मुलायम सिंह यादव से लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री रहे और सूबे की तीनों ही पार्टियों से सांसद रह चुके हैं. दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे.
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल का जन्म 21 जून, 1961 को हुआ है. उनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात थे. एसपी सिंह बघेल का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित यशवंतराव होल्कर अस्पताल में हुआ. पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए. इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा सभी मध्य प्रदेश में ही हुई. उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती होने के बाद एसपी सिंह बघेल को पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली.
...और मुलायम का दिल भी जीत लिया
उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात रहे एसपी बघेल 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी सुरक्षा में शामिल हो गए. इसके बाद वो अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया. एसपी बघेल से प्रभावित मुलायम सिंह यादव ने उन्हें जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतारा और वे 1998 में पहली बार विधायक बने और मुलायम सिंह सरकार में मंत्री भी रहे.
सियासत में कदम रखने के बाद एसपी बघेल ने पलटकर पीछे नहीं देखा और सियासी बुलंदियां चढ़ते गए. 2004 में सपा से सांसद रहे हैं, लेकिन रामगोपाल यादव के साथ उनके रिश्ते खराब होने के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया. ऐसे में एसपी बघेल स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए बसपा में शामिल हुए. 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा और साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी. इसके बावजूद बसपा में नहीं रह सके और 2014 के चुनाव से पहले वे बीजेपी में शामिल हो गए.
योगी सरकार में मंत्री भी रहे
बीजेपी ने एसपी बघेल को 2014 में फिरोजाबाद संसदीय सीट से सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के खिलाफ उतारा. हालांकि चुनाव वे हार गए थे. इसके बाद 2017 का चुनाव टूंडला से विधायक रहे और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. इसके बाद मंत्री रहते हुए बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा सीट से उतारा और वो सांसद चुने गए. पिछले दिनों मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया और अब भाजपा ने उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ उतारा है.
एसपी बघेल धनगर समाज से आते हैं, जिसे पाल और बघेल उपनाप से भी जाना जाता है. ब्रज के इलाकों के पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक में उनका अच्छा खासा जनाधार है. बीजेपी बघेल के सहारे अति पिछड़े वर्ग के वोटरों को एकजुट करने में लगी है. ब्रज में एसपी सिंह बघेल के अतिरिक्त ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिसका कई जिलों में जनाधार हो. बघेल का फिरोजाबाद, एटा और कासगंज में बड़ा आधार है.
करहल में अखिलेश की बढ़ी चुनौती
एसपी बघेल के सियासी जनाधार को देखते हुए बीजेपी ने अखिलेश यादव के खिलाफ उतारा है ताकि सपा को इस सीट पर कड़ी चुनौती दी जा सके. हालांकि, करहल सीट के सियासी समीकरण अखिलेश यादव के पक्ष में है, लेकिन बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को उताकर जरूर सपा की लिए चुनौती बढ़ा दी है. ऐसे में देखना कि जिस मुलायम सिंह की सुरक्षा करते करते सियासत में आए और उन्हीं के बेटे को कैसे सियासी मात देते हैं.
एसपी सिंह बघेल की पत्नी मधु बघेल का प्रेम विवाह हुआ है. 1985 में नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्री रहते हुए सरधना मेरठ में मधु पुरी की पहली बार मुलाकात एसपी सिंह बघेल से हुई. उसके बाद 1989 में विवाह होने तक लगातार एसपी सिंह बघेल और उनकी पत्नी की मुलाकातें जारी रही. मधु बघेल बताती हैं कि उनका परिवार पंजाबी फैमिली से ताल्लुक रखता है. इसलिए उनके परिवार में विवाह को लेकर ज्यादा समस्या नहीं थी लेकिन एसपी सिंह बघेल को अपने परिवार को मनाने में थोड़ा समय लगा और साल 1989 में मधु पुरी मधु बघेल हो गई और आज मंत्री बनाए गए एसपी सिंह बघेल और मधु बघेल के एक बेटा और एक बेटी है.