UP Election: 'कुछ दिन पहले अहमदाबाद बम धमाके के दोषियों को सजा मिली. कई आतंकवादियों को फांसी की सजा भी मिली है. कुछ राजनीतिक दल ऐसे ही आतंकवादियों के प्रति मेहरबान रहे हैं. ये वोट बैंक के स्वार्थ में आतंकवाद को लेकर नरमी बरतते हैं. ये देश की सुरक्षा के लिए खतरे की बात है.'
ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरदोई में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कही थीं. उनका निशाना समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर था. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, 'समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने बहुत सारे आतंकवादियों से मुकदमे वापस लेने का फरमान सुना दिया था, लेकिन अदालत ने समाजवादी सरकार की साजिश नहीं चलने दी और उस आतंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.'
प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि काशी, लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या में बम ब्लास्ट करने वाले आतंकियों पर से समाजवादी पार्टी की सरकार मुकदमे वापस ले रही थी. पीएम मोदी ने कहा कि धमाके हो रहे थे और समाजवादी पार्टी की सरकार इन आतंकवादियों पर मुकदमे भी नहीं चलने दे रही थी.
प्रधानमंत्री मोदी की रैली से एक दिन पहले ही योगी सरकार ने एक लिस्ट जारी की थी. इसमें सरकार ने उन 7 जिलों के 14 मुकदमों के बारे में बताया, जिनके बारे में प्रधानमंत्री मोदी बात कर रहे थे. इनमें वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, लखनऊ, कानपुर, रामपुर और बाराबंकी शामिल हैं. दावा है कि जिन लोगों के मुकदमे की वापसी की पैरवी अखिलेश यादव कर रहे थे, वो सभी आतंकी थे.
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1. वाराणसी
-मार्च 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर बम ब्लास्ट हुआ था. इस ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में शमीम अहमद उर्फ सरफराज को आरोपी बनाया गया. अखिलेश सरकार ने शमीम अहमद से 5 मार्च 2013 को मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया. बाद में हाईकोर्ट ने इस आदेश को निरस्त कर दिया. फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है.
2. गोरखपुर
- मई 2007 में गोरखपुर के गोलघर में तीन ब्लास्ट हुए थे. पहला ब्लास्ट जलकल बिल्डिंग, दूसरा बलदेव प्लाजा के पेट्रोल पंप के पास और तीसरा गणेश चौराहे पर हुआ था. मोहम्मद तारिक काजमी को इस ब्लास्ट में आरोपी बनाया गया. 5 मार्च 2013 को अखिलेश सरकार ने इस पर से भी केस वापस लेने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने आदेश निरस्त कर दिया और बाद में इसे 20 साल कैद की सजा सुनाई.
3. बिजनौर
- नजीबाबाद में 2002 में गोपनीयता अधिनियम 1923 के तहत अहमद हसन उर्फ बाबू के खिलाफ केस दर्ज किया गया. इस मामले में अहमद हसन पर गोपनीय दस्तावेज बनाने और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगा. हसन के पास से दो भारतीय पासपोर्ट, एक डायरी और चिट्ठी भी बरामद की थी. 22 जनवरी 2013 को अखिलेश सरकार ने हसन से केस वापसी का आदेश दिया. कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है.
4. लखनऊ
- 2007 में लखनऊ के वजीरगंज थाने में मुख्तार हुसैन, मोहम्मद अली, अजीजुर्रहमान, नौशाद हाफिज और नूरुल इस्लाम पर केस दर्ज किया गया. इनके खिलाफ देशद्रोह का केस भी था. 15 अप्रैल 2013 को अखिलेश सरकार ने इन पांचों पर केस खत्म करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. फिलहाल मामला अदालत में लंबित है.
-2007 में लखनऊ के हुसैनगंज थाने में याकूब के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. उसके खिलाफ धारा 115, 120बी, 121, 121ए, 122 और 124ए के तहत केस दर्ज किया गया था. सरकार ने 18 अप्रैल 2013 को केस वापसी का आदेश दिया. फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है.
- 2007 में लखनऊ के हुसैनगंज थाने में याकूब पर ही एक और केस दर्ज किया गया. ये केस एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत दर्ज हुआ. इस मामले में भी याकूब ने केस वापसी का आदेश दिया था. फिलहाल मामला अदालत में लंबित हैं.
- जून 2007 में नासिर हुसैन के खिलाफ दो केस दर्ज किए गए. दोनों ही केस लखनऊ के नाका थाना में दर्ज हुए. उसके खिलाफ देशद्रोह के अलावा एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ. नासिर हुसैन पर बम धमाकों की साजिश रचने का आरोप है. अप्रैल 2013 में अखिलेश सरकार ने नासिर हुसैन से केस वापस लेने का आदेश दिया. फिलहाल ये मामला भी कोर्ट में लंबित है.
- कैसरबाग थाने में 2000 में मोहम्मद कलीम के खिलाफ केस दर्ज किया गया. उसके खिलाफ देशद्रोह समेत एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ. आरोप है कि कलीम के पास से कुछ बम के टुकड़े, एल्यूमिनियम के तार भी बरामद हुए थे. अप्रैल 2013 में अखिलेश सरकार ने केस वापस लेने का आदेश दिया. फिलहाल मामला अदालत में लंबित है.
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5. कानपुर
- 2009 में सचेंडी थाने में इम्तियाज अली के खिलाफ गोपनीयता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया. इम्तियाज के पास गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए थे. अखिलेश सरकार ने 18 अप्रैल 2013 को इम्तियाज से केस वापस लेने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. बाद में इम्तियाज को 23 साल की कैद की सजा सुनाई.
- 2009 में बिठूर थाने में सितारा बेगम के खिलाफ गोपनीयता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया. उस पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा. 18 अप्रैल 2013 को सरकार ने केस वापस लाने का आदेश दिया, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. बाद में अदालत ने 7 साल कैद की सजा सुनाई.
- साल 2000 में स्वरूपनगर थाने में अरशद के खिलाफ धारा 307, 324, 427, 120बी, 121, 121ए, 122, 123, 124ए के साथ-साथ एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया. सरकार ने अप्रैल 2013 में केस वापस लेने का आदेश दिया. फिलहाल मामला लंबित है.
6. रामपुर
- 2000 में गंज थाना में मकसूद, जावेद उर्फ गुड्डू और ताज मोहम्मद के खिलाफ केस दर्ज किया गया. तीनों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट (पोटा) के खिलाफ केस दर्ज हुआ. इन पर देश विरोधी सूचनाएं हासिल करने और उसे विदेश भेजने का आरोप लगा. अखिलेश सरकार ने अप्रैल 2013 में केस वापसी का आदेश दिया. फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है.
7. बाराबंकी
- कोतवाली नगर थाना में 2007 में तारिक काजमी और खालिद मुजाहिद के खिलाफ देशद्रोह के अलावा एक्स्प्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया. इन दोनों पर 23 नवंबर 2007 को लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी कोर्ट परिसर में बम ब्लास्ट करने का आरोप लगा. वाराणसी में हुए ब्लास्ट में 11, फैजाबाद में 4 और लखनऊ में 6 लोगों की मौत हुई थी. अप्रैल 2013 में अखिलेश सरकार ने दोनों पर केस वापस लेने का आदेश दिया. कोर्ट ने मना कर दिया और बाद में दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.