उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है. बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए सूबे में सपा नेता एक के बाद एक यात्राएं कर रहे हैं. तो पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव खुद भी सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुटे हैं. 5 सितंबर शिक्षक दिवस के मौके पर भदोही में सपा शिक्षक सम्मेलन कर रही हैं, जिसमें अखिलेश यादव शिरकत करेंगे.
अखिलेश यादव भदोही के इनारगांव डुहिया में शिक्षक सम्मेलन से 2022 के चुनाव अभियान का आगाज करेंगे. इस दौरान अखिलेश यादव सपा शिक्षक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के पूर्व कुलपति प्रो बी पांडेय की पत्नी विमला देवी की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे.
सपा शिक्षक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर बी पांडेय ने बताया कि अखिलेश यादव पांच सितंबर को आयोजित शिक्षक अधिवेशन में देश व प्रदेश से आए वरिष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली सपा का चुनावी एजेंडा होगा. 2022 में सपा की सरकार बनते ही पेंशन बहाल किया जाएगा.
भदोही शिक्षक सम्मेलन के संयोजक डा. सुरेश यादव ने बताया कि अखिलेश यादव शिक्षक और कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का एलान करेंगे. पेंशन बहाली के साथ-साथ वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाने व मानदेय देने और उच्चतम न्यायालय की वैधानिकता को देखते हुए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का भी प्रयास होगा. यह तीनों मुद्दों को हल करने का शिक्षकों के बीच अखिलेश यादव वादा करेंगे.
सुरेश यादव बताते हैं कि सपा का शिक्षकों का हमेशा से सम्मान किया है. 2004 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव ने 17 में से 14 संशोधन किए थे और अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच सभी शिक्षको को मानदेय किया गया. वित्तविहीन शिक्षकों के लिए सपा सरकार ने 200 करोड़ का बजट तैयार किया था, जिसमें 100 करोड़ का भुगतान भी किया गया. ऐसे में शिक्षक भी दोबारा से सपा को सरकार में लाने के लिए पुरी तरह तैयार हैं.
अखिलेश यादव भदोही में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के जरिए 2022 के चुनाव नैया पार लगाने की कवायद में है. इसकी वजह यह है कि मौजूदा समय में देश में सबसे ज्यादा शिक्षक यूपी में है. कोरोना काल के बीच चुनावी डिय्यूटी के दौरान कई शिक्षकों को मौत हो गई थी, जो एक बड़ा मुद्दा बन गया था. ऐसे में अखिलेश पांच सितंबर को शिक्षकों के जरिए सूबे की सियासी नब्ज की थाह लेने के साथ-साथ उनके लिए कई वादे कर सकते हैं.
दरअसल, यूपी की सियासत को शिक्षक काफी प्रभावित करते हैं. सूबे में कुल 20 लाख से ज्यादा शिक्षक है. ऐसे में शिक्षकों को परिवार के सदस्यों को मिलाकर 80 लाख हो जाता है. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत यूपी की शिक्षक रखते हैं. इसके अलावा चुनावी में वोटिंग कराने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों के हाथ में होती है. यही वजह है कि अखिलेश यादव शिक्षके के जरिए सूबे की सत्ता में वापसी का सपना संजोय रहे हैं.