scorecardresearch
 

Allahabad North Assembly Seat: कभी भी धर्म और जाति के नाम पर नहीं हुई वोटिंग

इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा सीट: प्रयागराज की एक सीट जहां पर लोगों ने बाहुबल और आपराधिक छविवालों को वरीयता नहीं दी, वो है इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा सीट. 2017 से यहां पर बीजेपी का कब्जा है. हर्ष वर्धन वाजपेयी यहां के विधायक हैं. इस सीट पर कभी धर्म और जाति के आधार पर मतदान नहीं हुआ.

Advertisement
X
UP Assembly Election 2022( Allahabad North Assembly Seat)
UP Assembly Election 2022( Allahabad North Assembly Seat)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाहुबली, अपराधी छवि वाले नेताओं को भाव नहीं
  • वर्तमान में बीजेपी से हैं विधायक

यूपी की राजनीति में बाहुबली, अपराधी छवि वाले नेताओं की बाढ़ देखने को मिलती है. लेकिन प्रयागराज की एक सीट जहां पर लोगों ने बाहुबल और आपराधिक छविवालों को वरीयता नहीं दी, वो है इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा सीट. 2017 से यहां पर बीजेपी का कब्जा है. हर्ष वर्धन वाजपेयी यहां के विधायक हैं. इस सीट पर कभी धर्म और जाति के आधार पर मतदान नहीं हुआ. यहां मतदाता अपने जनप्रतिनिधि की विद्वता पर मतदान करते हैं. शहर की उत्तरी विधानसभा सीट सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली सीट है. इस सीट पर पहले कांग्रेस का कब्जा था अब बीजेपी के विधायक इस सीट पर काबिज हैं.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

शहर की उत्तरी विधानसभा सीट 1957 में बनी थी. इस सीट पर 1962 से 1974 तक कोंग्रेस पार्टी से 20 साल तक राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी विधायक बनी रहीं. वहीं इसके बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी से बाबा राम आधार यादव 1977 तक विधायक रहे. इसके बाद 1980 में हुए उपचुनाव में राजेंद्र कुमारी वाजपेयी के पुत्र अशोक वाजपेयी को जीत मिली. 

इसके बाद अनुग्रह नारायण सिंह ने वाजपेयी परिवार की इस सीट को हिला कर रख दिया. इलाहाबाद विश्विद्यालय के छात्रसंघ अध्य्क्ष रहे अनुग्रह नारायण, 1985 में जनता दल से विधायक बने. डॉक्टर नरेंद्र सिंह गौर बीजेपी से 1991 से सन 2007 तक विधायक रहे. 

इसके बाद अनुग्रह नारायण सिंह ने 2007 के चुनाव में जनता दल छोड़कर, कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी. वो लगातार दो बार इस सीट से विधायक चुने गए. अब 2017 के चुनाव में हर्ष वर्धन वाजपेयी, बीजेपी से जीतकर विधानसभा पहुंचे. 

Advertisement

सामाजिक ताना-बाना

इस विधानसभा सीट का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस सीट के अंतर्गत इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, शहीद चंद्रशेखर आजाद का स्थल, यूपी बोर्ड का ऑफिस, एशिया का का सबसे बड़ा इलाहाबाद हाई कोर्ट, नेहरू गांधी परिवार का पैतृक आवास आनंद भवन आता है. इन सब वजहों से यहां बाहरी लोग भी आते हैं. यहां लोग ऋषि भारद्वाज का आश्रम भी देखने आते हैं. 

 
उत्तरी विधानसभा में लगभग चार लाख के आसपास मतदाता हैं. जिनमें ब्राह्मण वोट, लगभग एक से डेढ़ लाख और कायस्थ वोट 70 हज़ार से 1 लाख है. यहां पर अल्पसंख्यक मतदाता भी 40 हज़ार के आसपास हैं. इस सीट पर 2017 के चुनाव में पूर्व कमिश्नर बादल चटर्जी भी निर्दलीय चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.

और पढ़ें- Allahabad West Assembly Seat: 2017 चुनाव से पहले था अपराध का बोलबाला

2017 का जनादेश

2017  विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हर्ष वर्धन वाजपेयी को 89,191 वोट मिले थे. दूसरे नम्बर पर कांग्रेस-सपा गठबंधन उम्मीदवार अनुग्रह नारायण सिंह रहे, जिन्हें 54,166 मत मिले. वहीं तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार अमित श्रीवास्तव, उन्हें 23,388 वोट मिले. वहीं निर्दलीय चुनाव लड़े पूर्व कमिश्नर बादल चटर्जी को 980 वोट से ही संतोष करना पड़ा था. यहां पर सिर्फ 30 प्रतिशत मतदान ही हुआ था.

Advertisement

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

विधायक हर्ष वर्धन वाजपेयी की उम्र 40 साल
शिक्षा---इंजीनियरिंग, मास्टर इन फाइनेंस दिल्ली यूनिवर्सिटी, विटेंट शेफील्ड यूनाइटेड अमेरिका यूनिवर्सिटी
परिवार में मां रंजना वाजपेयी, पिता- अशोक वाजपेयी और एक बहन हैं. 

युवाओं में विधायक काफी लोकप्रिय हैं. वह लोगों के साथ तस्वीर खिंचवाना पसंद करते हैं. विधायक हर्ष वर्धन वाजपेई ने अपनी विधायक निधि शत प्रतिशत खर्च कर दी है.

 

Advertisement
Advertisement