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प्रयागराज में इलाहाबाद की सीटों की लड़ाई! EC ने आखिर क्यों नहीं बदला नाम?

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद को सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने नाम बदलकर प्रयागराज का नाम दिया. जिसके बाद से इसे अपने नए नाम से ही जाना जा रहा है, लेकिन यूपी चुनाव से पहले जारी होने वाली प्रत्याशियों की लिस्ट में विधानसभा का नाम अभी भी इलाहाबाद है, इस पर चर्चा तेज है. आखिर ऐसा क्यों जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट...

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनावी हलकों के नाम बदलने के लिए सरकार के पास सीमित अधिकार होते हैं
  • परिसीमन आयोग बदल सकता है चुनावी हलकों के नाम

यूपी चुनाव अब नजदीक हैं, ऐसे में यहां तरह-तरह के चुनावी दांव-पेच भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन इसी बीच एक नई चर्चा को भी होते हुए देखा जा रहा है. दरअसल, हाल ही में राजनीतिक पार्टियों द्वारा जारी की गईं विधानसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट में प्रयागराज की जगह इलाहाबाद लिखा पाया गया.

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यही नहीं आठ जनवरी को निर्वाचन आयोग ने चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए जो विज्ञप्ति और चरणवार विधान सभा हलकों की सूची जारी की, जिसमें प्रयागराज की जगह इलाहाबाद ही लिखा हुआ है. ऐसे में चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा बदले गए नाम को दरकिनार कर एक नई राजनीति को लौ दिखाई जा रही है.

 

इस मामले में निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि दरअसल चुनाव क्षेत्र का नाम परिसीमन आयोग ही तय करता है. कोई भी सरकार, शहर या जिले के नाम तो बदल सकती है लेकिन चुनावी हलकों के नाम बदलने के लिए उनके पास बहुत सीमित अधिकार हैं. ये अधिकार परिसीमन आयोग का ही होता है. 

अब जैसे सरकारों ने कलकत्ता को कोलकाता, बंबई को मुंबई और मद्रास को चेन्नई और इलाहाबाद को प्रयागराज तो कर दिया. लेकिन यहां के हाई कोर्ट्स के नाम अब भी पुराने यानी कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास और इलाहाबाद के नाम से ही जाना जाता है. निर्वाचन क्षेत्रों को लेकर अब जब नया परिसीमन आयोग का गठन होगा और वो हर हलके की सीमा, नाम, वोटरों की संख्या वगैरह में बदलाव करेगा तभी सब कुछ हकीकत की जमीन पर उतरेगा.

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