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Allahabad West Assembly Seat: 2017 चुनाव से पहले था अपराध का बोलबाला

25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजूपाल को सुलेमसराय इलाके में सरेराह गोलियों से भून दिया गया था. जिसका आरोप समाजवादी पार्टी से फूलपुर के सांसद रहे अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ व उसके गुर्गों पर लगा.

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प्रयागराज में अब विकास पर पड़ेगा वोट (फोटो- आजतक)
प्रयागराज में अब विकास पर पड़ेगा वोट (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस सीट पर पहले अपराध का था बोलबाला
  • अब विकास के नाम पर पड़ेगा वोट

प्रयागराज शहर में पश्चिमी विधानसभा सीट पर 2017 चुनाव से पहले अपराध और बाहुबल का खूब बोलबाला था. 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजूपाल को सुलेमसराय इलाके में सरेराह गोलियों से भून दिया गया था. जिसका आरोप समाजवादी पार्टी से फूलपुर के सांसद रहे अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ व उसके गुर्गों पर लगा. दरअसल 2004 में हुए उपचुनाव में बसपा के राजूपाल ने सपा से चुनाव लड़े अशरफ को हरा दिया था. लेकिन वो अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर सका और विधायक की हत्या करवा दी. 

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हालांकि 2017 के चुनाव में विकास के वादे और काम के दावों के साथ नेता मैदान में उतरे. जिसमें बीजेपी नेता सिद्दार्थ नाथ सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती) चुनाव जीते और विधायक बने. इस सीट पर ज्यादातर बिजनेसमैन और पढ़े लिखे लोग रहते हैं. 2022 चुनाव में भी इस महत्वपूर्ण सीट पर सभी राजनीतिक दलों की नज़र रहने वाली है. 

राजनीतिक पृष्ठभूमि
आज़ादी के बाद जब इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट बनी तो जनसंघ से 1980 में तीर्थलाल कोहली विधायक रहे. इसके बाद 1984 से रामगोपाल यादव विधायक की कुर्सी पर बैठे फिर 1989 से 2002 तक सपा से बाहुबली अतीक अहमद इस कुर्सी पर बैठे. तब इस इलाके में बाहुबल का खूब बोलबाला था. इसके बाद लोकसभा के चुनाव में फूलपुर से अतीक सांसद बने और यहां सीट खाली होने पर उपचुनाव हुआ और अतीक ने अपने भाई अशरफ को 2004 में सपा का टिकट दिलवाया. 

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इसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में बीएसपी से राजूपाल जीते और 25 जनवरी 2005 को उनकी हत्या कर दी गई. आरोप अतीक और उसके भाई अशरफ पर लगा. एक साल बाद 2006 में इस सीट पर फिर उपचुनाव हुआ. जिसमें अशरफ विधायक बन गए और बसपा से राजूपाल की पत्नी पूजा पाल चुनाव हार गई.

सन 2007 में हुए आम चुनाव में बसपा से पूजा पाल जीत कर विधायक बनी और 2012 में फिर पूजा पाल विधायक बन गईं. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार सिद्धार्थनाथ, विधायक चुने गए हैं. इस सीट पर सपा के बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद का काफी दबदबा रहा है. वह पांच बार विधायक भी रहे हैं. 

सामाजिक ताना-बाना
शहर पश्चिमी में ज्यादातर व्यापारी वर्ग रहते हैं. मुस्लिमों की संख्या भी अधिक है. यहां पहले बाहुबल काफी हावी था. इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा 4,16,222 मतदाता हैं. जिसमें 2,29,778 महिला और 1,86,409 पुरुष और 35 थर्ड जेंडर हैं. जातीय समीकरण की बात की जाए तो शहर पश्चिमी में 85,000 मुस्लिम 65,000 पिछड़ी जाति और करीब 58000 दलित मतदाता और 40,000 पाल और अन्य जातियों के मतदाता हैं. जिसमें दूसरी बड़ी संख्या व्यापारियों की है.

2017 चुनाव के बाद से शहर पश्चिमी क्षेत्र विकास की राह पर चल पड़ा है और बाहुबली अपराधी जेल की सलाखों के पीछे चले गए हैं. इस इलाके में अपराधी और बाहुबलियों की तमाम अवैध संपत्तियों को जमींदोज कर दिया गया है. 

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2017 का जनादेश
बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह को 2017 चुनाव में 85,518 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर रही समाजवादी पार्टी की ऋचा सिंह. कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन था. उन्हें 60182 वोट मिले. वहीं बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार पूजा पाल, 40499 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहीं. वह पूर्व विधायक स्व. राजूपाल की पत्नी हैं. जबकि चौथे नम्बर पर निर्दलीय लड़े रिजवान नीवा को करीब 4000 वोट मिले थे. इस सीट पर 53 प्रतिशत मतदान हुआ था.  

विधायक का रिपोर्ट कार्ड


नाम- सिद्धार्थ नाथ सिंह
उम्र- 57 साल
मां- सुमन शास्त्री
पिता- स्वर्गीय विजयनाथ सिंह
पत्नी- डॉ नीता सिंह
बेटे- सिद्धांत और निशांत
संपत्ति- पत्नी नीता सिंह 19 करोड़ की मालकिन हैं. जिसमें 16 करोड़ रुपये के पांच फ्लैट और बंगले गाजियाबाद में हैं. एक करोड़ का फ्लैट, 20 लाख के जेवर और 23 लाख की चार पहिया गाड़ी है.

उपलब्धि-
सिद्धार्थनाथ सिंह साफ छवि वाले नेता हैं. इनपर कोई मुकदमा नहीं है. सिद्धार्थ नाथ सिंह 1997 में भाजपा के सक्रिय सदस्य बने और 1998 में भजपा युवा मोर्चा दिल्ली में प्रदेश के कार्यसमिति सदस्य बनाये गए. इसके बाद सन 2000 में भजपा युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य और मीडिया सचिव बनाये गए. सन 2002 में सिद्धार्थनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय मीडिया सेल संयोजक भी बनाया गया. 

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सिद्धार्थनाथ सिंह को गुजरात, कर्नाटक चुनाव में मीडिया समन्वयक बनाया गया. इसके बाद सन 2009 में सिद्धार्थनाथ सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता और समन्वयक लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी दी गई. सन 2010 में भजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी बनाए गए. सिद्धार्थनाथ सिंह की उपलब्धियां बढ़ती गई और सन 2012 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र के केंद्रीय टीम में समन्वयक समेत आंध्र प्रदेश के प्रभारी भी रहे.

2017 में बीजेपी से चुनाव जीतने के बाद सिद्धार्थनाथ उत्तर प्रदेश कैबिनेट में शामिल हुए और स्वास्थ मंत्री बने. इसके बाद इनको खादी ग्रामोद्योग मंत्री बनाया गया. सिद्धार्थनाथ सिंह यूपी सरकार के प्रवक्ता भी हैं. इस क्षेत्र में सिद्धार्थनाथ काफी लोकप्रिय नेता हैं. इन्होंने अपने क्षेत्र में तमाम विकास के काम करवाये हैं. सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य पर इन्होंने काफी काम किया है. जनता इनके कामकाज से बेहद खुश हैं. पहले वोटर बाहुबल और चेहरे को देखकर वोट डालता था लेकिन अब विकास के नाम पर वोट डालने का मन बना रहे हैं.  
 

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