उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं. इन्हीं तीन में से एक विधानसभा सीट है अमांपुर विधानसभा सीट. अमांपुर विधानसभा सीट साल 2008 में नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. कासगंज जिले की सोरो विधानसभा सीट समाप्त कर अमांपुर विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया था. सोरो विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर इलाके अमांपुर विधानसभा सीट में शामिल हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अमांपुर विधानसभा सीट (Amanpur Assembly Constituency) साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस नवसृजित सीट पर पहला चुनाव साल 2012 में हुआ था. ये सीट अनारक्षित सीट है. अमांपुर विधानसभा सीट में अधिकतर ग्रामीण इलाके शामिल हैं. अमांपुर विधानसभा सीट को ग्रामीण परिवेश की सीट माना जाता है.
अमांपुर विधानसभा सीट से साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे ममतेश शाक्य ने विजय पताका फहराई थी. ममतेश को 37996 वोट मिले थे. ममतेश के सामने समाजवादी पार्टी (SP) के टिकट पर वीरेंद्र सिंह सोलंकी थे. ममतेश ने वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 3656 वोट के अंतर से हरा दिया था.
2017 का जनादेश
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने देवेंद्र प्रताप राजपूत पर दांव लगाया. बीजेपी के देवेंद्र के मुकाबले सपा ने वीरेंद्र सिंह सोलंकी को ही मैदान में उतारा. बीजेपी के देवेंद्र प्रताप को 85199 वोट मिले. देवेंद्र प्रताप ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 41804 वोट के अंतर से हरा दिया था. बीजेपी के टिकट पर पिछले चुनाव में विजयी रहे देवेंद्र प्रताप का निधन हो चुका है. ऐसे में बीजेपी को भी नए चेहरे की तलाश है.
सामाजिक ताना-बाना
अमांपुर विधानसभा सीट लोधी राजपूत बाहुल्य सीट है. अमांपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक लोधी राजपूत वोटर हैं. लोधी राजपूत वोटर्स के बाद मुस्लिम, शाक्य मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है. अमांपुर विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर, जाटव, ब्राह्मण, यादव वोटर भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी का दावा है कि देवेंद्र प्रताप राजपूत के कार्यकाल में अमांपुर विधानसभा क्षेत्र में काफी विकास कार्य हुए हैं. बीजेपी नेताओं की ओर से 2017 के बाद अमांपुर विधानसभा क्षेत्र में कराए गए कार्य गिना रहे हैं तो वहीं विपक्षी दलों के नेता विकास के दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं. अब देखना होगा कि 2022 की चुनावी जंग में क्या बीजेपी इस सीट पर कब्जा बरकरार रख पाती है?