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Aparna Yadav के सपा से मोहभंग के पीछे की वजह लखनऊ कैंट? जानिए क्या है इस सीट का समीकरण

समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव आज बीजेपी में शामिल हो गई हैं. अपर्णा के सपा से मोहभंग होने के पीछे की वजह लखनऊ कैंट सीट बताई जा रही है.

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अपर्णा यादव (फाइल फोटो-PTI)
अपर्णा यादव (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आज बीजेपी में शामिल हुईं अपर्णा यादव
  • 2017 में लखनऊ कैंट सीट से लड़ी थीं चुनाव

उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज का दिन अहम है. समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ी सेंधमारी की है. मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव आज बीजेपी में शामिल हो गई हैं. अपर्णा के सपा से मोहभंग होने के पीछे की वजह लखनऊ कैंट सीट बताई जा रही है.

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लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट. इसी सीट से 2017 के चुनाव में सपा के टिकट पर अपर्णा यादव चुनाव लड़ी थीं और 61 हजार से अधिक वोट पाई थीं. अपर्णा को जितना वोट मिला था, वह अब तक इस सीट से लड़े सपा प्रत्याशियों में सबसे अधिक था. 2022 में भी अपर्णा ने कैंट विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी की थी.

क्यों लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ना चाहती हैं अपर्णा?

खबर है कि अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट से टिकट मांगा, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार से किसी को भी चुनाव मैदान में न उतारने का फैसला किया है. लखनऊ कैंट से टिकट न मिलता देख अपर्णा अमेठी की तिलोई सीट का भी दौरा कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत के लिए लखनऊ कैंट सीट ही मुफीद लगी है.

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क्या है लखनऊ कैंट का जातीय समीकरण?

अब समझते हैं कि लखनऊ कैंट की सीट का जातीय समीकरण क्या है? लखनऊ कैंट सीट ब्राह्मण बाहुल्य है. इस सीट पर करीब 1 लाख ब्राह्मण वोटर हैं. दूसरे नंबर पर सिंधी-पंजाबी वोटर हैं, जिनकी आबादी तकरीबन 65 हजार है. वहीं मुस्लिम आबादी करीब 25 हजार, यादव जाति के करीब 20 हजार वोट और ठाकुर जाति के करीब 15 हजार वोट हैं.

बीजेपी का गढ़ है लखनऊ कैंट विधानसभा सीट

लखनऊ कैंट सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी जीती थीं. इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के ही सुरेश तिवारी विधायक बने. इससे पहले सुरेश तिवारी तीन बार (1996, 2002 और 2007) में भी इस सीट पर बीजेपी का परचम लहरा चुके हैं. 2012 के चुनाव में रीता बहुगुणा कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं.

बीजेपी की ओर से कई नेता कर रहे हैं दावेदारी

सियासी समीकरण के लिहाज से यह सीट बीजेपी के लिए काफी मुफीद है. यही वजह है कि इस सीट से बीजेपी के कई दावेदार मैदान में हैं. पहले नंबर पर खुद विधायक सुरेश तिवारी हैं. इसके अलावा रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह और मेयर संयुक्ता भाटिया अपने बेटे के लिए दावेदारी कर रही हैं.

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सपा की ओर से भी दावेदारों की लंबी लिस्ट

वहीं सपा की ओर से अपर्णा यादव के अलावा अखिलेश यादव के करीबी पंडित प्रदीप शर्मा, पूर्व पार्षद राजू गांधी, पवन मनोचा और रितेश साहू भी दावेदारी कर रहे हैं. सपा सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश ने अपने परिवार से किसी को टिकट न देने का फैसला किया है, ऐसे में अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से टिकट मिलना मुश्किल था.

परिवार को टिकट न देने के फैसले का साइड इफेक्ट?

इसी वजह से अपर्णा यादव ने अब पाला बदलने की ठानी है. माना जा रहा है कि अपर्णा यादव अब बीजेपी के टिकट पर लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं. हाल में ही अपर्णा ने आजतक से बात करते हुए कहा था कि मैं पिछले 5 साल से कैंट में मेहनत कर रही हैं, मेडिकल कैंप से लेकर कई सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हूं.

 

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