AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने यूपी विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी है. ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर खास फोकस कर रहे हैं. इसी कड़ी में रविवार को ओवैसी ने पश्चिमी यूपी (Western UP) के जिला बिजनौर में रैली की, जहां उन्होंने सीएए विरोधी आंदोलन (Anti-CAA protest) का मुद्दा उठाया.
जिले के नगीना विधानसभा क्षेत्र में रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने सीएए विरोधी आंदोलन का जिक्र किया और कहा, ''जिन लोगों ने सुलेमान और अनस जैसे नौजवानों का कत्ल किया है उनके बच्चे भी इसी तरह तड़प-तड़प कर मरेंगे.''
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योगी ने 22 मुसलमानों को गोली मरवाई: ओवैसी
अपने भाषण में औवेसी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी जमकर हमला बोला. औवेसी ने कहा कि मोदी जिस काम की शुरुआत करते हैं तो अखिलेश कहते हैं कि इसकी शुरुआत तो मैंने की थी. औवेसी ने कहा, ''अखिलेश तुम सच कह रहे हो. हर काम की शुरुआत तुम करते हो और उसे अंजाम पर बीजेपी पहुंचाती है. तुमने मुज़फ्फरनगर शुरू किया तो योगी ने CAA के प्रोटेस्ट में 22 मुसलमानों को गोली मार दी. तुमने मुज़फ्फरनगर शुरू किया तो बिजनौर के सुलेमान को पुलिस ने गोली मारकर सड़क पर फेंक दिया.''
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— AIMIM (@aimim_national) December 19, 2021
इस तरह मुस्लिम लीडरशिप की लगातार वकालत कर रहे ओवैसी ने मुस्लिम समाज के उस दर्द को छूने की कोशिश जो दो साल पहले उन्हें मिले थे.
कौन थे सुलेमान और अनस?
दरअसल, 20 दिसंबर 2019 को यूपी के कई इलाकों में सीएए विरोधी आंदोलन किया गया था. लखनऊ से लेकर बिजनौर तक बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे थे. बिजनौर के ही नहटौर में भी आंदोलन किया गया था, जहां हिंसा भड़क गई. हिंसा की चपेट में सुलेमान और अनस नाम के दो नौजवान भी आ गए, जिनकी गोली लगने से मौत हो गई. पुलिस पर ही गोली चलाने का आरोप लगे थे, लेकिन पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की बात कहकर बचाव किया था.
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बता दें कि इस घटना के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पीड़ितों के घर पहुंची थीं. प्रियंका ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. अब जबकि यूपी में चुनाव करीब हैं तो ओवैसी ने अपने भाषण में उसी सुलेमान और अनस का जिक्र किया है. आज ही के दिन यानी 20 दिसंबर को दो साल पहले ये दर्दनाक घटना हुई थी, जिसका जिक्र नहटौर से सटे नगीना में ओवैसी ने अपने भाषण में किया.
बिजनौर जिले में मुस्लिम आबादी काफी निर्णायक मानी जाती है. यहां की सभी आठ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर किसी भी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की स्थिति में है. 2019 में जब बिजनौर में सीएए विरोधी आंदोलन हुआ था तो बड़ी तादाद में नौजवानों को गिरफ्तार किया गया था. कई युवकों पर रासुक लगाई गई थी और उन्हें 6-6 महीने तक जेल में रहना पड़ा.
ओवैसी उन्हीं जख्मों को ताजा कर मुस्लिम समाज को आकर्षित करना चाहते हैं. 2017 में भी ओवैसी ने नगीना सीट से अपना उम्मीदवार उतारा था, जिसे चार हजार के करीब वोट मिले थे. अब एक बार वो इस मुस्लिम बहुल सीट से ताल ठोक रहे हैं.