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Atrauli Assembly Seat: कल्याण सिंह का परिवार का है गढ़, संदीप सिंह बचा पाएंगे किला?

अलीगढ़ की अतरौली सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो कल्याण सिंह इस सीट से 10 दफे विधायक निर्वाचित हुए थे. साल 1951 में अस्तित्व में आई अतरौली विधानसभा सीट पहले अतरौली नॉर्थ के नाम से जानी जाती थी.

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यूपी Assembly Election 2022 अतरौली विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 अतरौली विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मंत्री संदीप सिंह हैं बीजेपी से विधायक
  • 10 दफे विधायक रहे हैं कल्याण सिंह

यूपी के अलीगढ़ जिले की सबसे हाई प्रोफाइल विधानसभा सीट है अतरौली विधानसभा सीट. ये विधानसभा सीट यूपी के मुख्यमंत्री रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कल्याण सिंह की पैतृक विधानसभा सीट है. इस सीट पर कल्याण सिंह और उनके परिवार का दबदबा रहा है. एक तरह से कहा जाए तो ये सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

अलीगढ़ की अतरौली सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो कल्याण सिंह इस सीट से 10 दफे विधायक निर्वाचित हुए थे. साल 1951 में अस्तित्व में आई अतरौली विधानसभा सीट पहले अतरौली नॉर्थ के नाम से जानी जाती थी. इस विधानसभा सीट के लिए हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के श्रीनिवास विधायक निर्वाचित हुए थे.

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अतरौली विधानसभा सीट से 1957 में नेकराम, 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के बाबू सिंह विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और इसके बाद शुरू हुआ अतरौली की सियासत में कल्याण सिंह और उनके परिवार के दबदबे का दौर. 1967 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह भारतीय जनसंघ के टिकट पर पहली दफे विधानसभआ पहुंचे और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1969, 1974 में भी वे जनसंघ से विधायक रहे. 1977 में कल्याण सिंह जनता पार्टी से जीते तो 1980 में कांग्रेस के अनवर खान से उन्हें शिकस्त भी मिली.

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कल्याण सिंह ने इस हार के बाद फिर लगातार पांच चुनाव जीता. कल्याण सिंह 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में भी इसी विधानसभा सीट से विधायक रहे. 2002 में कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ने के बाद अपनी पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी और इस दल से भी वे विधायक बने. 2004 के लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह एटा से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए तो अतरौली सीट के लिए उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में कल्याण सिंह की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा विधायक बनीं. 2007 में प्रेमलता वर्मा बीजेपी के टिकट पर फिर से विधानसभा पहुंचीं. 2012 में सपा के वीरेश यादव ने कल्याण के परिवार की जीत का सिलसिला तोड़ दिया.

2017 का जनादेश

अतरौली विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी आगे आई और बीजेपी ने संदीप सिंह को टिकट दिया. बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव में उतरे संदीप सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के वीरेश यादव को 50 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. पहली बार विधानसभा पहुंचे संदीप सूबे की सरकार में मंत्री भी हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के इलियास चौधरी तीसरे नंबर पर रहे थे.

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सामाजिक ताना-बाना

अतरौली विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां सवा तीन लाख से अधिक मतदाता हैं. अतरौली विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से ब्राह्मण, ठाकुर मतदाताओं की बहुलता है. मुस्लिम और यादव मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां जाट, वैश्य, कहार मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं. लोधी मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

अतरौली विधानसभा सीट से विधायक संदीप सिंह सूबे की सरकार में मंत्री भी हैं. संदीप सिंह का जन्म 24 जून 1991 को अलीगढ़ में हुआ था. इन्हें राजनीति विरासत में मिली. दादा कल्याण सिंह दो दफे यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो पिता राजवीर सिंह राजू भैया प्रदेश सरकार में एक बार स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. राजू भैया एटा से सांसद हैं. माता प्रेमलता वर्मा भी अतरौली विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं. संदीप सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम करने के बाद ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी से पब्लिक रिलेशन्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है.

 

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