यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में औरैया की तीन विधानसभा सीटों पर भी मतदान हुआ. दिबियापुर, औरैया सदर और बिधूना विधानसभा सीटें इस जिले में आती हैं. सैफई से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर औरैया है. कहा जाता है कि सैफई की छाप भी यहां साफ नजर आता है. यादवलैंड में पड़ने वाला ये इलाका भी समाजवादियों का गढ़ रहा है. 2017 में सपा के इस गढ़ में बीजेपी ने सेंधमारी करते हुए सभी तीनों सीटें जीत कर क्लीन स्वीप किया था. 2022 में सपा ने भई खोया गढ़ वापस पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी.
इस बार राजनीतिक समीकरण अलग दिखाई पड़ते हैं. शाम 6 बजे तक औरैया जिले में करीब 61.31 फीसदी वोटिंग हुई. सबसे दिलचस्प लड़ाई बिधूना विधानसभा सीट पर है. बिधूना में लड़ाई बेटी और पिता, भाभी और देवर के बीच है. समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच आमने-सामने की टक्कर है. बीजेपी ने यहां अपने निवर्तमान विधायक विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा. वहीं, सपा से रेखा वर्मा उम्मीदवार हैं. वोट देने पहुंची बीजेपी उम्मीदवार रिया ने आजतक से बात करते हुए ये दावा किया कि पिता का आशीर्वाद उनके साथ है.
दूसरी तरफ, 2017 के चुनाव में सपा के उम्मीदवार रहे दिनेश वर्मा को पार्टी ने इस दफे टिकट नहीं दिया. दिनेश वर्मा अपनी भाभी रेखा वर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने से खफा होकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. देवर-भाभी की सियासी लड़ाई का नुकसान भी सपा को उठाना पड़ सकता है. सपा की रेखा वर्मा और बसपा के गौरव रघुवंशी के साथ ही कांग्रेस की सुमन व्यास भी रिया को कड़ी टक्कर दे रही हैं. यादव, शाक्य, राजपूत बाहुल्य इस सीट पर जाटव मतदाताओं की तादाद भी अनुमानों के मुताबिक 50 हजार से अधिक है.
बिधूना का जातिगत समीकरण
बिधूना विधानसभा सीट औरैया जिले की सबसे चर्चित और हॉट सीट रही है. बिधूना विधानसभा क्षेत्र में अनुमानों के मुताबिक 51 हजार यादव, 50 हजार जाटव, 34 हजार ब्राह्मण, 36 हजार क्षत्रिय, 40 हजार शाक्य, 23 हजार मुस्लिम, 34 हजार लोध राजपूत, 21 हजार पाल, 14 हजार कहार, 12 हजार कठेरिया, 11 हजार वैश्य, 10 हजार दिवाकर मतदाता हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल अन्य जातियों के भी करीब 35 हजार मतदाता हैं तो करीब 10 हजार अनुसूचित जाति में शामिल अन्य जातियों के वोटर भी.
रिया ने पिता के खिलाफ खोल दिया था मोर्चा
बिधूना विधानसभा सीट से निवर्तमान विधायक विनय शाक्य भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल होने वाले नेताओं में शामिल थे. विनय शाक्य के बीजेपी में शामिल होने के बाद रिया ने पिता के ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और इसे गद्दारी बताया था. बीजेपी ने बाद में रिया को अपना उम्मीदवार भी बना दिया.