उत्तर प्रदेश का बलरामपुर जिला प्रदेश के उन चंद जिलों में शामिल है जो किसी न किसी प्रधानमंत्री की राजनीतिक कर्मभूमि रही है. बलरामपुर (Balrampur Assembly Seat) पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक कर्मस्थली के रूप में जानी जाती है. इसे जनसंघ का गढ़ भी कहा जाता है. 2012 में अनुसूचित जाति के लिए यह सीट आरक्षित हो गई.
बलरामपुर राज परिवार ने भी अपने लोक कल्याणकारी कार्यों से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में काफी काम किया है. गन्ना इस क्षेत्र के किसानों का मुख्य फसल है और बलरामपुर चीनी मिल अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है.
सामाजिक तानाबाना
बलरामपुर विधानसभा में आजादी के बाद से मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहा है. अच्छी सड़कों की कमी और ट्रैफिक के अधिकता के कारण आए दिन जाम लगा रहता है. यहां तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की कमी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौर में बलरामपुर क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य प्रगति पर है और नगर क्षेत्र में जाम की समस्याओं से निपटने के लिए बाईपास का निर्माण कराया जा रहा है.
भारत-नेपाल सीमा से सटा क्षेत्र राष्ट्र की मुख्यधारा से कटा हुआ था जो यहां के सामाजिक पिछड़ेपन में आज भी दिखाई देता है. 2017 में बीजेपी सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया और तमाम विकास की योजनाएं लागू की गई जो आज भी प्रचलित है.
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इस सीट पर कुल पुरुष मतदाता 2,28,444 हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,86,523 है. यहां 18% सामान्य जाति के लोग, 38% ओबीसी और 21% एससी-एसटी के लोग रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 23% मुस्लिम आबादी भी रहती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
ऐसे में 2022 के आगामी चुनाव में बलरामपुर सीट की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है. फिलहाल बलरामपुर विधानसभा सीट पर अब तक 16 चुनाव हो चुके हैं. आंकड़ों के मुताबिक अभी तक कांग्रेस कुल 6 बार यहां से जीती है लेकिन 1996 के बाद से उसे कोई जीत नसीब नहीं हुई. सपा और बसपा ने भी यहां से अपना प्रतिनिधित्व किया.
इस क्षेत्र को जनसंघ का गढ़ माना जाता रहा है. यहां से दो बार जनसंघ और तीन बार बीजेपी को सफलता मिली है. यहां के आम मतदाता दल और पार्टी विशेष को देखते हुए अपना मतदान करते हैं.
वर्तमान में बलरामपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. आरक्षित होने के बाद 2012 में सपा का कब्जा रहा. इसके बाद 2017 में भाजपा ने अपना कब्जा जमाया.
2017 का जनादेश
भारतीय जनता पार्टी के पलटू राम 2017 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर यहां से विधायक बने. पलटू राम मूल रूप से गोंडा जिले के निवासी हैं. इनकी पत्नी गोंडा जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुकी हैं. 2017 में यहां पर 45.64 % वोट ही पड़े थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा गठबंधन प्रत्याशी शिवलाल को 25000 के भारी अंतर से पराजित किया था. शिवलाल को 64541 वोट मिले थे. जबकि 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के जगराम पासवान ने जीत हासिल की थी. इससे पहले यह सीट सामान्य वर्ग के लिए थी.
रिपोर्ट कार्ड
वर्तमान विधायक पलटूराम 51 वर्ष के हैं और स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की है. उन्होंने छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू किया था.
2017 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए. पलटू राम प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाते हैं और आम लोगों के बीच का काफी लोकप्रिय है.