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Behat Assembly Seat: 2017 में जीती थी कांग्रेस, क्या 'हाथ' बरकरार रख पाएगा वोटरों का साथ?

बेहट विधानसभा सीट पर अब तक दो बार चुनाव हुए हैं. एक बार यहां बीएसपी को जीत मिली तो दूसरी बार कांग्रेस को विजयश्री मिली. कांग्रेस के नरेश सैनी बेहट विधानसभा सीट से विधायक हैं.

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यूपी Assembly Election 2022 बेहट विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 बेहट विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बेहट विधानसभा सीट पर 2012 में हुआ था पहला चुनाव
  • एक बार बीएसपी, दूसरी बार कांग्रेस को मिली जीत

सहारनपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में से एक बेहट विधानसभा परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. नई-नवेली इस सीट पर साल 2012 में पहली बार चुनाव हुए. अलग विधानसभा क्षेत्र बनने से पहले यह क्षेत्र सरसावा विधानसभा क्षेत्र का अंग था. बेहट विधानसभा क्षेत्र की पहाड़ियों की तलहटी में सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी का मंदिर है जहां लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं.

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बेहट विधानसभा क्षेत्र में एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज भी है. यहां प्रदेश सरकार की ओर से एक स्पोर्ट्स कॉलेज की भी स्थापना की गई है. इस क्षेत्र में बरसाती नदियों की संख्या अधिक है जिसकी वजह से यहां खनन और स्टोन क्रेशर का कार्य भी होता है. इस विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस के नरेश सैनी बेहट विधानसभा सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं. 

बेहट विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि

बेहट विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार साल 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. पहले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के महावीर सिंह राणा ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के नरेश सैनी को 514 वोट के करीबी अंतर से पटखनी देकर बेहट सीट से पहला विधायक होने का गौरव हासिल किया. बेहट विधानसभा सीट पर अब तक कुल दो चुनाव हुए हैं. इसमें साल 2012 में बसपा के माहावीर राणा और 2017 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर नरेश सैनी विजयी रहे.

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बेहट विधानसभा क्षेत्र का सामाजिक तानाबाना

बेहट विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी-खासी है. बेहट क्षेत्र आर्थिक रूप से बहुत पिछड़ा है. यहां कई इलाके ऐसे हैं जहां कच्चे मकान बहुतायात में हैं. इस विधानसभा के घाड क्षेत्र में गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या रहती है. फल पट्टी क्षेत्र घोषित इस क्षेत्र में उद्योगों का अभाव है. इस क्षेत्र का प्रमुख घंटी उद्योग भी बंदी की कगार पर है. 

बाढ़ के कारण कट जाता है कई गांवों का संपर्क

बरसात के दिनों में बरसाती नदियों में बाढ़ आने के कारण बेहट विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांवों का सम्पर्क मुख्य मार्ग से कट जाता है. बरसाती नदियों में तेज बहाव के कारण आसपास के क्षेत्र में कटान भी प्रमुख समस्या बनकर उभर आती है. कटान के कारण किसानों की सैकड़ों बीघे जमीन और फसल नदियों की तेज धारा में विलीन हो जाती है. यह भी चुनाव में प्रमुख मुद्दा रह सकता है.

साल 2017 के चुनाव का जनादेश

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के नरेश सैनी को विजय मिली थी. नरेश ने बीएसपी छोड़कर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े माहावीर राणा को 23551 मतों के बड़े अंतर से पराजित कर 2012 के चुनाव में मिली हार का बदला ले लिया था. इस क्षेत्र में कांग्रेस का परचम लहरा दिया था. बीएसपी टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हाजी मोहम्मद इकबाल तीसरे नंबर पर रहे थे.

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विधायक नरेश सैनी का रिपोर्ट कार्ड

बेहट के विधायक नरेश सैनी का जन्म 14 जून 1964 को सहारनपुर के गंगोह में हुआ था. इनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं. नरेश सैनी ने मेरठ यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए की डिग्री हासिल की थी. खेती नरेश सैनी का मुख्य व्यवसाय रहा है. नरेश सैनी ने साल 2012 में कांग्रेस का दामन थामा था. कांग्रेस ने सैनी को विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया लेकिन वे बीएसपी के महावीर राणा से हार गए थे.

विधायक नरेश सैनी ने इस क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिए नदियों के किनारे तटबंध बनवाए हैं. कोरोना के चलते काफी समय तक इस क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े रहे. कोरोना काल में क्षेत्र के ग्लोकल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन और बेड की व्यवस्था भी की गई. विधायक की ओर से भी अपनी निधि से ऑक्सीजन प्लांट के लिए पैसा दिया गया. कई नदियों पर पुल भी सैनी के कार्यकाल में बने हैं.

 

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