उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक विधानसभा सीट है बिसवां विधानसभा सीट. बिसवां विधानसभा क्षेत्र को गांजरी इलाके का द्वार कहा जाता है. बिसवां विधानसभा क्षेत्र कौमी एकता के लिए भी जिले में अलग पहचान रखता है. 19वीं सदी में बना भोलेनाथ का मंदिर पत्थर शिवाला जहां हिंदुओं की आस्था का केंद्र है तो वहीं बाबा गुलजार शाह की मजार मुस्लिमों की. बाबा गुलजार शाह की मजार एक ऐसा स्थान है जो हमेशा से कौमी एकता की मिसाल रहा है.
बिसवां विधानसभा सीट की प्रमुख हस्तियों की बात करें तो स्वतंत्रता सेनानी जगन बाबू, जिले के गांधी कहे जाने वाले श्रम कानून के प्रसिद्ध जानकार पूर्व विधायक बाबू कृपा दयाल श्रीवास्तव, हिंदी साहित्य जगत के बड़े नाम द्विज बलदेव भी इसी इलाके के थे. इनके अलावा शायर जिगर बिसवानी, खुर्शीद अफसर, प्रोफेसर रशीद कौशर जैसे उर्दू के विद्वान भी इस इलाके से निकले और पूरे देश में पहचान बनाई.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बिसवां विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो यहां की जनता ने लगभग हर बड़े दल के उम्मीदवार को विजयी बनाकर विधानसभा भेजा है. चुनावी अतीत की बात करें तो साल 1962 और 1967 में भारतीय जनसंघ के गया प्रसाद मेहरोत्रा, 1969 में कांग्रेस के बाबू कृपा दयाल, 1974 और 1977 में फिर से भारतीय जनसंघ के बाबू गया प्रसाद बिसवां सीट से विधानसभा पहुंचे.
बिसवां विधानसभा सीट सीट से 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे राम कुमार भार्गव, 1985 में कांग्रेस की पद्मा सेठ विधायक निर्वाचित हुईं. नेहरू गांधी परिवार की नजदीकी पद्मा सेठ 1989 और 1991 में भी इस सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं. 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) के सुंदर पाल सिंह यादव, 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अजीत मेहरोत्रा, 2002 और 2012 में सपा के रामपाल यादव, 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निर्मल वर्मा को यहां के मतदाताओं ने अपना प्रतिनिधि चुना. पिछले कुछ चुनावों के परिणाम देखें तो इस विधानसभा क्षेत्र से जिस दल का उम्मीदवार जीता, सूबे में उसी की सरकार बनी.
2017 का जनादेश
बिसवां विधानसभा सीट से साल 2017 के जनादेश की बात करें तो बीजेपी ने हरदोई जिले के निवासी महेंद्र सिंह यादव को यहां से चुनाव मैदान में उतारा था. बीजेपी के महेंद्र ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अफजाल कौशर को 10 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. नबसपा के निर्मल वर्मा को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.
सामाजिक ताना-बाना
बिसवां विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अधिक है. इस विधानसभा क्षेत्र में यादव के साथ ही अन्य पिछड़ी जातियां भी चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ही सामान्य वर्ग के मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बिसवां विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के महेंद्र सिंह यादव का दावा है कि उनके कार्यकाल में बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है. सड़कों का जाल बिछा और नाली, पानी के साथ ही बिजली व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काफी कार्य हुए हैं. विरोधी दलों के नेता विधायक के दावों को खारिज करते हुए कह रहे हैं कि इलाके की समस्याएं जस की तस हैं.