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UP Election: उत्तर प्रदेश के 7वें और अंतिम चरण में होगी बीजेपी की बुलडोजर नीति की अग्निपरीक्षा

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 के 7वें और अंतिम चरण में 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इन इलाकों में उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार का बुलडोजर चला. यहां बीजेपी की बुलडोज़र नीति कितनी कारगर साबित हुई, इस चरण के मतदान से साफ हो जाएगा.

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 7वें चरण में होगी बीजेपी की बुलडोजर नीति की परीक्षा
7वें चरण में होगी बीजेपी की बुलडोजर नीति की परीक्षा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 7 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत नौ जिलों में अंतिम चरण का मतदान
  • आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र की 54 सीटों पर वोटिंग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UttarPradesh Assembly Election 2022) के सातवें और अंतिम चरण में 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में बीजेपी और सपा के जातिगत समीकरण की तो परीक्षा होगी ही, साथ ही 7वें चरण में बीजेपी की बुलडोजर नीति की भी परीक्षा होगी कि इस बुलडोजर नीति का उन इलाकों में क्या असर हुआ, जहां पर यह बुलडोजर चला.

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7 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत नौ जिलों में अंतिम चरण का मतदान होगा. आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र की 54 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.

2017 के चुनावी नतीजों की बात करें तो बीजेपी ने इस सातवें चरण में 36 सीटों पर कब्जा किया था. 11 सीटें समाजवादी पार्टी, 5 सीट बहुजन समाज पार्टी और एक सीट निषाद पार्टी को हासिल हुई थी. लेकिन इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हैं. समाजवादी पार्टी जातिगत समीकरण की नई ताकत के साथ मैदान में है. बीएसपी भी दलित और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है. साथ ही, निषाद पार्टी बीजेपी के साथ ताल ठोक रही है. 

सातवें चरण के इस अंतिम मतदान में बीजेपी और समाजवादी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग की अग्निपरीक्षा तो होगी ही, बीजेपी की बुलडोजर नीति को भी परखा जाएगा. 2017 में सत्ता पाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर नीति का ऐलान किया था. मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद और विजय मिश्रा की संपत्तियों पर सरकार ने बुलडोजर चलाए, सरकारी जमीन पर किए कब्जों को ढहा दिया गया था. एक अनुमान के मुताबिक, बीते 5 सालों में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्रा, कुंटू सिंह जैसे तमाम माफियाओं की लगभग दो हजार करोड़ की अवैध संपत्ति पर कब्जे हटा दिए गए, बिल्डिंग गिरा दी गई.

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उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने इसी बुलडोजर नीति के सहारे चुनाव में बेहतर कानून व्यवस्था और माफियाओं पर शिकंजा कसने का उदाहरण पेश किया. बीते छह चरणों में चुनावी रैली में माफियाओं पर की गई कार्रवाई की नजीर पेश करते हुए, बीजेपी बेहतर कानून व्यवस्था के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश में लगी है. सीएम योगी से लेकर तमाम बड़े नेता बयान दे रहे हैं कि 10 मार्च के बाद फिर बुलडोजर चलेगा, लेकिन अब बुलडोजर नीति की अग्निपरीक्षा अगले चरण में होगी.

7 तारीख को अंतिम चरण में 9 जिलों में मतदान होने हैं. इन इलाकों में उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार का बुलडोजर चला. असली परीक्षा मऊ, आजमगढ़, भदोही जैसे जिलों की है, जहां के ये माफिया थे और जहां पर सरकार ने इनकी अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया था. जिन जिलों में सरकार ने बुलडोजर चलाए, वहां की जनता पर क्या असर हुआ उसको बुलडोजर पसंद आया या फिर उन्होंने उसे ज़्यादती का बुलडोजर माना, यह सातवें और अंतिम चरण में साफ हो जाएगा. 

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