scorecardresearch
 

UP: नाराज ब्राह्मणों की नाराजगी जानने और चुनाव से पहले मनाने की कवायद में बीजेपी

धर्मेंद्र प्रधान के घर हुई बैठक में रीता बहुगुणा जोशी, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, विवादों में चल रहे अजय मिश्रा टेनी, शिव प्रताप शुक्ला, महेश शर्मा, अनिल शर्मा, जितिन प्रसाद सहित तमाम ब्राह्मण नेता मौजूद थे.

Advertisement
X
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं की दिल्ली में बैठक
  • यूपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर कई मुद्दे पर हुई चर्चा

चुनावी मौसम में बीजेपी ने नाराज ब्राह्मणों को मनाने के लिए अपने ब्राह्मण चेहरों की एक मीटिंग दिल्ली में बुलाई. बीजेपी से जुड़े बड़े ब्राह्मण नेता रविवार को दिल्ली में उत्तर प्रदेश के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर मिले. दिन में लंच हुआ और चर्चा इस बात पर हुई कि बीजेपी के इस वोट बैंक को कैसे और पुख्ता किया जाए, कैसे ब्राह्मणों में फैल रहे भ्रम को दूर किया जाए और कैसे समाजवादी पार्टी और बसपा के ब्राह्मण कार्ड से निपटा जाए.

Advertisement

धर्मेंद्र प्रधान के घर हुई बैठक में रीता बहुगुणा जोशी, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, विवादों में चल रहे अजय मिश्रा टेनी, शिव प्रताप शुक्ला, महेश शर्मा, अनिल शर्मा, जितिन प्रसाद सहित तमाम ब्राह्मण नेता मौजूद थे. चर्चा है कि बड़े नेताओं की एक इंटरनल कमेटी बनाई गई है, जो नाराजगी की वजह देखेगी. टिकट बंटवारे में ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व तय करेगी और साथ-साथ उनके सभी जायज मुद्दों को चुनाव से पहले हल करेगी.

पिछले कुछ समय से बीएसपी ने ब्राह्मणों को लुभाने की लिए एड़ी चोटी एक कर रखी है. समाजवादी पार्टी भी बीजेपी से ब्राह्मण विधायकों को तोड़कर अपने में शामिल करा रही है. समाजवादी पार्टी का पूरा फोकस पूर्वांचल के वो ब्राम्हण हैं, जो बीजेपी विरोधी माने जाते हैं, खासकर जिनकी अदावत ठाकुर सियासत से रही है. बीजेपी नेताओं ने इन सभी मुद्दों पर खुलकर बात की.

Advertisement

कई नेता जो पिछले काफी समय से किनारे चल रहे थे, कुछ युवा नेता कुछ पुराने नेता जिन्हें लगता था कि बीजेपी के भीतर तो वो हैं लेकिन उनकी पूछ नहीं है. ऐसे नेताओं को इस मंथन में शामिल किया गया था और सभी ने खुलकर अपनी बात धर्मेंद्र प्रधान के सामने रखी.

योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर दोबारा दांव लगाए जाने के बाद अब बीजेपी ब्राह्मण नेताओं को मनाने और उनके प्रभाव के इस्तेमाल में जुट गई है. इस मीटिंग में शामिल कई नेताओं से आजतक ने बात करने की कोशिश की लेकिन कोई भी खुलकर बताने को तैयार नहीं है कि आखिर ब्राह्मणों को लेकर कौन सी रणनीति तैयार की गई है. हालांकि, इतना तय है की ब्राह्मणों के स्वाभिमान से जुड़े मुद्दे प्राथमिकता के तौर पर रखे गए. चर्चा भगवान परशुराम की मूर्तियां लगाने और उनकी जयंती भव्य तरीके से मनाने पर भी हुई. 

दरअसल, सवर्णों के सबसे बड़े वोट बैंक ब्राह्मणों को नाराज करने का जोखिम इस वक्त बीजेपी नहीं उठा सकती और जिस रफ्तार से समाजवादी पार्टी की तरफ बीजेपी विधायकों का रुझान बढ़ा है या फिर मायावती ने जिस तरीके से ब्राह्मण सम्मेलन पूरे प्रदेश में करना शुरू कर दिया है इससे बीजेपी के भीतर खलबली मची हुई है. उससे लगता है कि 2017 और 2019 में ब्राह्मणों ने जिस तरीके से बीजेपी को खुलकर वोट किया था, शायद इस बार उनकी नाराजगी पार्टी को भारी न पड़ जाए और अगर एक बड़ा प्रतिशत टूटकर सपा या बसपा की तरफ चला गया तो बीजेपी के सपने टूट सकते हैं. ऐसी स्थिति में इस मीटिंग में पार्टी में उनके मुद्दों को सीधे तौर पर समझने आलाकमान तक उनकी बात सीधे पहुंचाने और चुनाव में ब्राह्मणों को रोकने के लिए क्या किया जाए, इस पर खुलकर चर्चा हुई.

Advertisement

Advertisement
Advertisement