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UP Election: संशय या समीकरण? लखनऊ में बीजेपी ने क्यों ताश के पत्तों की तरह फेंट डाले प्रत्याशी

UP election news: लखनऊ में बीजेपी ने तीन मौजूदा विधायकों सहित एक मंत्री का टिकट काट दिया है तो एक मंत्री की सीट बदल दी है. बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं की दावेदारी को खारिज कर दिया है. सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी के चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फिर गया है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने टिकट से लखनऊ में साधा जातीय समीकरण
  • बीजेपी ने तीन मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए
  • एक मंत्री का टिकट कटा और एक मंत्री की सीट बदली

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ बीजेपी का गढ़ रहा है. लखनऊ संसदीय सीट से लेकर विधानसभा सीटों तक पर बीजेपी का कब्जा है. ऐसे में बीजेपी अपने सियासी दुर्ग को बचाए रखने के संशय में फंसी रही, और सपा कैंडिडेट की लिस्ट का इंतजार करने के बाद अपने पत्ते खोले. लखनऊ की सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों को ताश के पत्ते तरह फेट दिया है. मौजूदा दो विधायकों के टिकट काट दिए और एक मंत्री की सीट बदली गई तो एक मंत्री को पूरी तरह से पैदल कर दिया गया है. 

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बीजेपी ने मंगलवार दोपहर में सपा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद देर शाम को यूपी विधानसभा चुनाव में 17 और प्रत्याशियों की सूची जारी की. साथ ही बीजेपी ने लखनऊ की सभी 9 विधानसभा सीटों को लेकर चल रही सारी सियासी अटकलों पर विराम लगा दिया. बीजेपी ने लखनऊ की सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए, जिसमें योगी सरकार के मंत्री ब्रजेश पाठक की सीट बदल दी गई है तो स्वाति सिंह का टिकट काट दिया है. इतना ही नहीं सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को टिकट नहीं दिया गया है. 

स्वाति सिंह का सरोजनीनगर से टिकट कटा

योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह व उनके पति बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के बीच चल रही आपसी खींचतान का आखिरकार दंपती को ही नुकसान उठाना पड़ा है. सरोजनीनगर सीट से विधायक और योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काट दिया गया है.  स्वाति व दयाशंकर दोनों ही सरोजनीनगर सीट से अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे थे. ऐसे में स्वाति की जगह बीजेपी ने राजेश्वर सिंह को सरोजनीनगर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. राजेश्वर सिंह ने एक दिन पहले ही ईडी लखनऊ के ज्वाइंट डायरेक्टर के पद से वीआरएस लेकर बीजेपी का दामन थामा था. 

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सरोजनीनगर सीट राजधानी की सबसे हॉट सीट बनी हुई थी, जहां बीजेपी तीन दशक के बाद 2017 में स्वाति सिंह के जरिए कमल खिलाने में कामयाब रही थी. ऐसे में यह सीट बीजेपी किसी भी सूरत में नहीं गवांना चाहती थी. इसीलिए स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच चल रही खींचतान में पार्टी ने नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतार दिया है. बीजेपी ने इस सीट पर पूर्व आईपीएस को उतारा है, तो सपा ने उनके सामने अपने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को उतारा है.

लखनऊ कैंट सीट नहीं मिला अपर्णा यादव को टिकट

बीजेपी ने लखनऊ की बहुचर्चित कैंट विधानसभा सीट पर योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने ब्रजेश पाठक की सीट बदल दी है. वो लखनऊ मध्य सीट से जीतकर 2017 में विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस बार उन्हें कैंट सीट से टिकट दिया गया है. इसी कैंट सीट से बीजेपी सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी और सपा से बीजेपी में आईं मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव चनाव लड़ दावेदारी कर रहे थे. 

सांसद बनने से पहले रीता बहुगुणा जोशी कैंट सीट से दो बार विधायक थी. 2019 में सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उपचुनाव में कैंट सीट से सुरेश तिवारी विधायक बने थे. बीजेपी ने सुरेश तिवारी का टिकट काटकर ब्रजेश पाठक को उतारा है. ब्रजेश पाठक को कैंट सीट इसीलिए दी गई है, क्योंकि लखनऊ मध्य सीट पर उन्हें इस बार कड़ी चुनौती थी. मोदी लहर में महज 6 हजार वोटों से ही जीत सके थे. इसीलिए इस बार मध्य सीट से वो लड़ने के लिए तैयार नहीं थे. 

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दरअसल, बीएसपी से आए तीन बड़े पिछड़े नेताओं को जाने के बाद बीजेपी ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक को किसी तरह खोने के मूड में नहीं थी, क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान के जाने के बाद अगर पाठक भी अगर ऐसा कदम उठाते तो पिछड़े और ब्राह्मण को लेकर अलग नैरेटिव बन जाता. ऐसे में बीजेपी उनकी सीट को बदलकर अब उन्हें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश कर रही है. 

वहीं, लखनऊ मध्य सीट से पार्षद और नगर निगम में उपाध्यक्ष रजनीश गुप्ता प्रत्याशी बनाए गए हैं.  मंत्री आशुतोष टंडन गोपाल को उनकी पुरानी सीट लखनऊ मध्य से ही चुनाव लड़ाने का निर्णय किया है. लखनऊ उत्तर सीटे से बीजेपी अपने विधायक नीरज बोरा को भी दूसरी बार मौका दिया है. लखनऊ बक्शी का तालाब सीट से अविनाश त्रिवेदी का टिकट काट दिया गया है. 

केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर विधायक अविनाश त्रिवेदी का विरोध कर रहे थे, जिसके चलते उनकी जगह पार्टी ने योगेश शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है. महिलाबाद से केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर की पत्नी जय देवी को फिर से उम्मीदवार घोषित किया है. 2017 में इसी सीट से जीतकर विधायक बनी थीं. इसके अलावा मोहनलालगंज सीट से अमरेश कुमार को टिकट दिया है, जो कौशल किशोर के रिश्तेदार हैं. 

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लखनऊ पश्चिम कायस्थ बाहुल्य सीट मानी जाती है. विधायक सुरेश श्रीवास्तव का कोरोना से निधन होन के बाद से सीट खाली थी. भाजपा ने इस सीट पर अंजनी श्रीवास्तव को टिकट दिया है. अंजनी श्रीवास्तव भाजपा के मंडल अध्यक्ष रहने के साथ क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. लखनऊ में कायस्थ समाज को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. पार्टी ने समाज को साधने के लिए अंजनी श्रीवास्तव को टिकट दिया है. 

बीजेपी ने लखनऊ में दो ब्राह्मण, दो वैश्य, एक ठाकुर, एक कायस्थ, दो पासी और एक खत्री समाज के उम्मीदवार को मौका दिया है. लखनऊ की नौ सीटों में भाजपा ने बक्शी का तालाब और लखनऊ कैंट में ब्राह्णण, लखनऊ उत्तर और लखनऊ मध्य में वैश्य, लखनऊ पूर्व में खत्री, सरोजनी नगर में ठाकुर, लखनऊ पश्चिम में कायस्थ, महिलाबाद और मोहनलालगंज में पासी समाज को टिकट दिया है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी इस सियासी समीकरण के जरिए लखनऊ की चुनावी जंग फतह कर पाती है कि नहीं? 


 

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