उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP elections 2022) में बीजेपी के लिए पूर्वांचल के इलाके में चुनौतियां कम होती नजर नहीं रही हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने से सियासी समीकरण पहले से ही गड़बड़ाया है. वहीं, अब बलिया के बैरिया सीट से विधायक सुरेंद्र सिंह का बीजेपी ने टिकट काटकर बलिया सदर सीट से विधायक और यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को प्रत्याशी बना दिया.
बीजेपी से टिकट कटने के बाद सुरेंद्र सिंह ने बगावत का झंडा उठा लिया और बैरिया सीट निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जिससे योगी के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला के साथ-साथ बलिया जिले का सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है. ऐसे में बीजेपी के लिए बलिया जिले में 2017 जैसे नतीजे दोहारना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस बार सपा-सुभासपा ने भी आपस में हाथ मिला रखा है.
सुरेंद्र सिंह के विवादित बयान
बैरिया विधानसभा सीट से विधायक सुरेंद्र सिंह अपने बयानों को लेकर पांच साल से चर्चा में बने हुए थे. कभी ताजमहल को शिवाजी महल बनाने की बात करते तो कभी रेप की घटनाओं को रोक पाना भगवान राम से भी संभव नहीं जैसे बयान देने वाले सुरेंद्र सिंह का बीजेपी ने बैरिया सीट से टिकट काट दिया है. बीजेपी ने उनकी जगह बलिया सीट के विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला को प्रत्याशी बना है जबकि बलिया सीट पर दयाशंकर सिंह को कैंडिडेट बनाया है. ऐसे में सुरेंद्र सिंह ने बैरिया सीट पर बुधवार को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे.
संघ से जुड़े रहे और जमीनी नेता
सुरेंद्र सिंह आरएसएस से जुड़े रहे हैं और जमीनी नेता माने जाते हैं. सुरेंद्र सिंह सियासत में काफी पहले से सक्रिय हैं, लेकिन विधायक 2017 में पहली बार बैरिया सीट से बने. विधायक बनने के बाद से सुरेंद्र सिंह सुर्खियों में बने रहे. कभी अपने बयानों के लिए तो कभी विपक्ष पर बेबाक टिप्पणी के लिए. सुरेंद्र सिंह टिकट कटने के बाद आक्रामक तेवर में हैं और अपने पार्टी के ही नेताओं के खिलाफ साजिश का आरोप लगा रहे हैं.
बता दें कि बलिया से बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह और सुरेंद्र सिंह के बीच पटरी नहीं खाती. दोनों की अदावत कई बार सड़कों पर भी दिख चुकी है. यही वजह है कि टिकट कटने का आरोप सुरेंद्र सिंह ने सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त आरोप लगाया और कहा कि सांसद की सपा से मिली भगत है. वह भाजपा को हराने के लिए इस तरह का कृत्य किए हैं. 10 मार्च के बाद ऐसे लोगों को माकूल जवाब दूंगा.
सुरेंद्र सिंह ने अपनी ताकत का कराया एहसास
बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने मंगलवार को अपनी अलग टीम खड़ी कर दी. बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद मंगलवार सुरेंद्र सिंह ने अपने समर्थकों को भीड़ जुटाया. हजारों लोगों के बीच सुरेंद्र सिंह खड़े हुए और बीजेपी शीर्ष नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि आप लोगों ने मेरा टिकट काट दिया. सभी को यह समझना होगा कि टिकट भले ही पार्टियां देतीं हैं, लेकिन विधायक जनता बनाती है. टिकट के दम पर जनता के मन को नहीं बदला जा सकता. टिकट तय करने वाले आकर देख ले बैरिया की जनता किसके साथ है.
सुरेंद्र सिंह के समर्थन में उमड़े हुजूम को देखने के बाद बीजेपी के लिए बैरिया से काफी असहज स्थिति हो गई है. उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल करने की बात कहकर पार्टी को सकते में डाल दिया था. बैरिया विधानसभा सीट ठाकुर और यादव बहुल मानी जाती है. सुरेंद्र सिंह ने बैरिया में ही नहीं बल्कि बलिया जिले में ठाकुर नेता के तौर पर अपनी छवि बनाई है और खुलकर ठाकुरों के पक्ष में खड़े दिखते हैं.
बैरिया सीट ठाकुर बहुल मानी जाती है
बैरिया सीट के सियासी समीकरण को देखें तो साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता हैं, लेकिन ठाकुर और यादव वोटरों का वर्चस्व है. यादव मतदाता 85 हजार हैं, और क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 80 हजार के करीब है. दलित वोटर 60 हजार और ब्राह्मण वोटर करीब 40 हजार हैं. बीजेपी ने ठाकुर का टिकट काटकर ब्राह्मण समुदाय से आने वाले आनंद स्वरूप को प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा ने यादव समाज से आने वाले पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल को उतारा है.
बीजेपी के वोटों में बिखराव हो सकता है
वहीं, सुरेंद्र सिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी के कोर वोटबैंक में बटना तय है. ठाकुर मतदाता सुरेंद्र सिंह से साथ जा सकता है तो ब्राह्मण वोटर बीजेपी के आनंद स्वरूप शुक्ला के पक्ष में हो सकता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज इसीलिए जीत मिली थी, क्योंकि ठाकुर और ब्राह्मण मतदाता एकजुट थे और ओमप्रकाश राजभर के साथ गठबंधन के चलते राजभर समाज का भी वोट मिला था. इस बार राजभर सपा के साथ है तो सुरेंद्र सिंह निर्दलीय चुनावी ताल ठोंक रहे हैं, जिससे योगी सरकार के मंत्री के लिए चुनौती बढ़ गई.
क्षेत्रीय बनाम बाहरी का मुद्दा
बैरिया सीट पर बीजेपी ने बलिया से विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला को उतारा है, जो बलिया क्षेत्र के रहने वाले हैं. वहीं, सुरेंद्र सिंह बैरिया से हैं. ऐसे में बाहरी बनाम क्षेत्रीय का भी मुद्दा बन गया है. ऐसे ही बलिया शहर सीट पर भी बीजेपी का गणित बिगड़ गया है. बीजेपी ने बलिया शहर सीट पर दयाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा ने पूर्व मंत्री नारद राय को उतारा है. दयाशंकर सिंह मूलरूप से बलिया के रहने वाले हैं, लेकिन काफी समय से लखनऊ में रह रहे हैं. वहीं, नारद राय क्षेत्र के हैं.
बैरिया सीट ठाकुर बहुल तो बलिया शहर सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है. बीजेपी ने बलिया सीट पर ठाकुर प्रत्याशी उतारा है को सपा ने भूमिहार समाज पर दांव खेला है. सपा से नागेंद्र पांडेय टिकट मांग रहे थे, लेकिन नारद राय को प्रत्याशी बना दिया गया. नारद राय ने नागेंद्र पांडेय को अपने पक्ष में मना लिया है. ऐसे में बैरिया के साथ-साथ बलिया सीट पर बीजेपी के लिए सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है.
सुरेंद्र सिंह का सियासी सफर
बैरिया विधानसभा के चांदपुर गांव के रहने वाले हैं सुरेंद्र सिंह का जन्म एक अक्टूबर 1962 को हुआ. 1983 में ग्रैजुएट हो गए. 84 में बीएड किया. इसके बाद एमए किया और उन्हें सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई. यहीं से मास्टर साहब के नाम से पहचान बन गई. पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस से जुड़ गए हैं और प्रचार के काम करने लगे. वो संघ में तहसील कार्यवाह रहे और जिला कार्यवाह बने.
संघ में रहते हुए सुरेंद्र सिंह ने अपने सियासी आधार को मजबूत खड़ा कर लिया था. बीजेपी के नेता भरत सिंह के साथ अनबन के बाद सुरेंद्र सिंह ने द्वाबा विकास मंच के नाम से संगठन खड़ा कर लिया. 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के भरत सिंह के खिलाफ अपना निर्दल प्रत्याशी खड़ा कर दिया. सुरेंद्र सिंह के समर्थक को 10 हजार वोट मिले और भरत सिंह चुनाव हार गए.
2017 में पहली बार विधायक बने
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सीट से भरत सिंह को प्रत्याशी बनाया तो सुरेंद्र सिंह ने समर्थन किया. भरत सिंह सांसद बने तो उन्होंने इसका रिटर्न गिफ्ट सुरेंद्र सिंह को 2017 में मिला. सुरेंद्र सिंह 2017 के चुनाव में बैरिया सीट से बीजेपी के प्रत्याशी बने और जीतकर विधानसभा पहुंचे. सुरेंद्र विधायक तो 2017 में बने, लेकिन उनके तेवर हमेशा बागियों वाले ही रहे हैं.
2019 में बलिया सीट से सांसद बने वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ सुरेंद्र सिंह के साथ नहीं पटी. माना जाता है कि वीरेंद्र सिंह मस्त के चलते ही सुरेंद्र सिंह का टिकट कटा है. ऐसे में अब वो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है, जिसके लिए उन्होंने हजारों की भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का एहसास भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को करा दिया है. अब देखना है कि बैरिया सीट पर सुरेंद्र सिंह खुद का खेल बनाते हैं या फिर बीजेपी का सियासी समीकरण बिगाड़ते हैं?