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UP Election: क्या हिंदुत्व के एजेंडे पर वापस लौट रही BJP, योगी-केशव के बयान के क्या हैं मायने?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी ने एक बार फिर से हिंदुत्व की पिच पर उतरने के संकेत दे दिए हैं. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ ही बीजेपी नए मार्ग पर कदम बढ़ाती दिख रही है. ऐसे में काशी और मथुरा के मुद्दे को बीजेपी ने अब ढके छुपे शब्दों में नहीं बल्कि खुलकर धार देना शुरू कर दिया है ताकि 2022 के चुनाव में विपक्ष को हिंदुत्व की पिच पर लाया जा सके.

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योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य
योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को सेट करने में जुटी
  • अयोध्या-मुथरा-काशी का नारा फिर उछाला

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी तपिश भी बढ़ती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है, जिसे बीजेपी अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है. माना जा रहा है कि अयोध्या के साथ-साथ अब मथुरा और काशी को लेकर भी पार्टी सियासी एजेंडा सेट करने में जुट गई है ताकि 2022 के चुनाव में विपक्ष को हिंदुत्व की पिच पर लाया जा सके. 

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काशी और मथुरा के मुद्दे को बीजेपी ने ढके-छुपे शब्दों में नहीं, बल्कि खुलकर धार देना शुरू कर दिया है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, 'अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है. मथुरा की तैयारी है.' साथ ही योगी सरकार में राज्यमंत्री रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि अयोध्या-काशी के बाद मथुरा की बारी है. ये तो बीजेपी के एजेंडे में है. मथुरा हिंदुत्व के देव भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि है. उसे हम कैसे छोड़ सकते हैं.

योगी बोले- अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी

वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या को सूर्यवंश की राजधानी बताते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम और धर्म अलग-अलग नहीं हो सकते, यह एकदूसरे के पूरक हैं. प्रभु श्रीराम ने न कभी अन्याय किए और न अन्याय सहे. अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने सम्पूर्ण मानवता के लिए एक अप्रतिम आदर्श स्थापित किया. योगी ने कहा कि अयोध्या ने 500 साल तक लंबा संघर्ष देखा है. कौन ऐसा भारतीय होगा, जो अयोध्या पर गौरव की अनुभूति न करता हो? 

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अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति

दरअसल, 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे...' बीजेपी का यह संकल्प अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ सिद्धि की ओर है तो अब फिर पार्टी नए राजनीतिक मार्ग पर कदम बढ़ाती दिख रही है. वहीं, दशकों तक अयोध्या से पर्याप्त दूरी बनाए रहे और खुद को 'सेक्युलर' कहने वाले गैर बीजेपी दलों के नेताओं ने धीरे-धीरे सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर भी सधे कदम रखे हैं. ऐसे में बीजेपी के रणनीतिकारों ने अपने चश्मे से देखा है कि विपक्ष यदि हिंदुत्व की पिच पर खेलने के लिए खुद आ गया है तो उसे क्यों न उसी पर खिलाया जाए.  

क्या कहते हैं सियासी पंडित?

राजनीतिक विश्लेषक काशी प्रसाद कहते हैं कि बीजेपी को जहां भी मौका मिलता है, वह हिंदुत्व के एजेंडे को आगे कर देती है. ऐसे में बीजेपी ने धार्मिक आधार पर 2022 के चुनाव के लिए अपनी प्राथमिकता तय कर ली है. 'अब्बा जान' इसकी पहली कड़ी थी, फिर 'जिन्ना' का मुद्दा और अब अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने साथ-साथ काशी और मथुरा की बात को खुलकर उठाना शुरू कर दिया, जो इस बात का संकेत है कि बीजेपी की रणनीति हिंदुत्व के एजेंडे पर ही 2022 चुनाव में उतरने की है. 

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सपा के प्रवक्ता आशुतोष वर्मा कहते हैं कि काशी-मथुरा का मुद्दा उठाकर बीजेपी यूपी चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करने की योजना बना रही है, क्योंकि पांच साल में इन्होंने कोई विकास का काम नहीं किया है. प्रदेश की कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है. युवा रोजगार के लिए परेशान हैं. सूबे के मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए फिर से मुथरा का मामला ये लोग उठा रहे हैं ताकि हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके.  लेकिन जनता ने बीजेपी को सत्ता से हटाने का मन बना लिया है. ऐसे में इनका कोई भी कार्ड नहीं चलने वाला है. 

राम मंदिर का मॉडल

बीजेपी की दलील
वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि अयोध्या-काशी-मथुरा हमारे लिए चुनाव के मसले नहीं हैं, बल्कि आस्था से जुड़ा मामला है. राजनीतिक दल के तौर पर हमारी प्रतिबद्धता है कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के केंद्रों को सहेजने के साथ-साथ सजाने व संवारने का काम करें. ऐसे में तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों को आज पीड़ा हो रही है कि बीजेपी कैसे मंदिरों को संवार रही है और अयोध्या-काशी-मथुरा का विकास कर रही.  

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि 2022 का चुनाव बीजेपी के अनुकूल नहीं दिख रहा है. इसलिए बीजेपी हिंदुत्व के इर्द-गिर्द चुनाव को रखना चाहती है, जिसके तहत सोची-समझी रणनीति के तहत काशी-मथुरा के मसले को उठाया जा रहा है ताकि एक बार फिर मंदिर मुद्दे को चुनावी केंद्र में लाया जा सके. बीजेपी 'अब्बाजान' और 'जिन्ना' का मुद्दा उठा चुकी है, लेकिन बहुत ज्यादा रिस्पांस नहीं मिला. ऐसे में अब काशी और मथुरा का मुद्दा उठाया है, क्योंकि वहां पर कुछ लोग इस मुद्दे को गरमाने में लगे हैं. 

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बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का क्या प्लान?

सिद्धार्थ कलंहस कहते हैं कि विपक्षी दल अभी तक बीजेपी के हिंदुत्व की पिच पर उतरने के बजाय अपने एजेंडे पर चुनाव लड़ते दिख रख रहे हैं. विपक्ष जाति की बिसात पर अपना सियासी एजेंडा सेट कर रहा है. खासकर अखिलेश यादव ओबीसी जातियों के बीच आधार रखने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन कर रहे हैं. वह जातिगत आरक्षण और दलित-ओबीसी से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी को घेर रहे हैं. सपा की यह रणनीति बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ा रही हैं, क्योंकि बीजेपी को यह बात बखूबी पता है कि जाति के एजेंडे पर वो पार नहीं पा सकती. ऐसे में बीजेपी के तमाम नेता इसी कोशिश में है कि किसी न किसी तरह 2022 के चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे पर लड़ा जाए. 

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों लखनऊ में अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा उठाते हुए सपा को घेरा था और कहा था, 'अखिलेश यादव को मैं याद दिलाता हूं कि आपकी पार्टी की सरकार में निर्दोष रामभक्तों को गोलियों से भून दिया गया था. आज उसी जगह पर रामलला शान के साथ गगनचुंबी मंदिर में विराजमान होने वाले हैं.' सीएम योगी ने भी 3 नवंबर को अयोध्या में कहा था कि यह वही अयोध्या है जहां रामभक्तों पर गोली चलाई जाती रही है. अब कारसेवकों पर गोली नहीं फूल बरसेंगे. 

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तेजी से चल रहा राम मंदिर का निर्माण कार्य

अयोध्या-काशी-मथुरा बीजेपी के एजेंडे में शुरू से शामिल रहे है. बीजेपी, वीएचपी ने इसे लेकर देश भर में आंदोलन चला था, जिसमें अयोध्या मुद्दा सबसे ऊपर रहा था. 6 दिंसबर 1992 में बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने विध्वंस कर दिया था. उस समय पीएचपी का एक नारा था- 'बाबरी मस्जिद झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है'. 

मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि

बीजेपी के इन तीन एजेंडो में से अयोध्या का हल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निकल गया है और मौजूदा समय में राममंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि और वाराणसी में काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद है. अखिल भारत हिंदू महासभा ने अयोध्या की तरह मथुरा में ईदगाह स्थल पर बाल गोपाल का जलाभिषेक करने के लिए 6 दिसंबर को कारसेवा की घोषणा कर रखी थी. हालांकि, मथुरा में धारा 144 लागू होने के कारण यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. 

पीएम मोदी ने भी दिया एजेंडे को धार!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने काशी पहुंच रहे हैं. कॉरिडोर का शिलान्यास मार्च 2019 में हुआ था और 2021 खत्म होते-होते काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तैयार हो गया है. काशी कॉरिडोर के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए देशभर के साधु-संतों और तमाम विशिष्ट लोग उपस्थित रहेंगे. ऐसे में पीएम मोदी भी काशी से बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को धार देते नजर आएंगे. 

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बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे का संदेश यूपी से ही निकलता है. श्रीराम जन्मभूमि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ की धरती होने के साथ हिंदू समाज की आस्था से जु़ड़े अन्य तमाम प्रमुख स्थल और नदियां भी यहीं हैं. योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता की कमान संभालने के बाद से बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को बखूबी तरीके से अमलीजामा भी पहनाया है.   

सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था इशारा

बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा के मुताबिक योगी आदित्यनाथ सबसे मुफीद राजनीतिक शख्सियत लगते हैं. योगी आदित्यनाथ के वस्त्रों में ही बीजेपी का एजेंडा समाहित है. उन्होंने हिंदू धार्मिक स्थलों का विकास और सांस्कृतिक सरोकारों के साथ काम किया है. ऐसे में समग्र हिंदुत्व के समीकरणों पर चुनावी लड़ाई को 60 बनाम 40 बनाने में सहूलियत हुई है. यही वजह है कि बीजेपी हिंदुत्व के इर्द-गिर्द 2022 के चुनाव को रखना चाहती है. 

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पिछले दिनों कहा था कि हाल ही में मैंने ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर को ठीक किए जाने में आ रही अड़चनों की समीक्षा की. यह मुद्दा 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बेहद अहम होगा. यह दोनों ही चुनाव हिंदुत्व की कसौटी पर बीजेपी नेताओं की वफादारी की परीक्षा होंगे. उन्होंने कहा था कि  हिंदुत्व से पैदा हुई है. इससे हट जाओगे तो फिर काम नहीं होगा. कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे.हमारी पार्टी की मूल विचारधारा हिंदुत्व की होनी चाहिए. 

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