उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व रैली और रोड शो के जरिए माहौल बनाने में जुटा है. तो वहीं, पार्टी ने कैंडिडेट के सेलेक्शन को लेकर काम भी शुरू कर दिया है. बीजेपी अपने उम्मीदवारों के चयन के लिए सर्वे का सहारा ले रही है, जिसके लिए पार्टी ने नेताओं की एक टीम लगाई है. साथ ही दिल्ली की दो सर्वे एजेंसियों की मदद भी ली जा रही है. ये सभी टीमें बीजेपी नेताओं की कुंडली तलाशेंगी और उनके चुनाव लड़ने पर मुहर लगाएंगी.
यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा जनवरी के दूसरे सप्ताह में होने की संभावना है. ऐसे में बीजेपी ने जिताऊ प्रत्याशियों के नामों की तलाश शुरू कर दी है, जिसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर पार्टी ने छह टीम लगाई है. पार्टी की यह टीमें जमीनी स्तर पर सर्वे और लोगों की फीडबैक लेकर फाइनल नाम तय करेंगे. साथ ही प्राइवेट सर्वे एजेंसी को भी टिकट चयन के लिए लगाया गया है. इसके बाद शीर्ष नेतृत्व दोनों टीम के आधार पर कैंडिडेट के नाम पर मुहर लगाएंगे.
काटे जाएंगे सिटिंग विधायकों के टिकट!
2022 के यूपी चुनाव में बीजेपी बड़ी तादाद में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है. इसके अलावा बड़ी तादाद में सीटें बदली भी जाएंगी. चर्चा सौ से डेढ़ सौ सीटें काटने और बदलने की है. ऐसे में बीजेपी की टीम ने लगातार सर्वे कर रही हैं कि किस विधानसभा से कौन उम्मीदवार जिताऊ हो सकता है, जिसे चुनावी मैदान में उतारा जाए.
कई राज्यों के नेताओं की टीमें
बीजेपी ने कैंडिडेट सेलक्शन के लिए छह राज्यों के अपने नेताओं की अलग-अलग टीम लगाई है. दिल्ली, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और बिहार के नेताओं की टीम है, जिनके कंधों पर कैंडिडेट के चयन के सर्वे का जिम्मा है. बीजेपी ने पश्चिमी यूपी के लिए दिल्ली और मध्य प्रदेश की टीम को लगाया है तो अवध क्षेत्र और पूर्वांचल की सीटों पर गुजरात नेता तैनात किए गए हैं. पूर्वांचल में गोरखपुर क्षेत्र का जिम्मा बिहार की टीम देख रही है तो रुहेलखंड में दिल्ली के नेताओं के जिम्मे है. बुंदलेखंड और ब्रज के क्षेत्र में झारखंड और मध्य प्रदेश की टीम लगी है.
1200 नेताओं की फौज उतारी
बीजेपी ने सूबे में कैंडिडेट के चयन के सर्वे के लिए एक प्रदेशस्तरीय नेता को एक-एक मंडल की जिम्मेदारी दी गई है जबकि तीन-तीन पदाधिकारियों को एक-एक विधानसभा क्षेत्र में लगाया गया है. इस तरह यूपी की कुल 403 सीटों को लिए करीब 1200 नेताओं की फौज पार्टी ने लगाई है, जिसमें अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को दी जाने वाली सीटों पर भी सर्वे का काम यह टीम करेगी.
बीजेपी की यह टीम करीब एक सप्ताह तक अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर सर्वे करेगी. हर एक विधानसभा क्षेत्र में करीब 100 लोगों से राय लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी, उसे पार्टी नेतृत्व को सौंप दी जाएगी. बीजेपी नेताओं की दिल्ली और मध्य प्रदेश की यह टीम पश्चिमी यूपी की करीब 71 सीटों पर यह सर्वे कर रही है तो गुजरात की टीम अवध के 11 सीटों के अलावा काशी क्षेत्र की सीटों का भी जिम्मा संभाल रही है.
सूत्रों की मानें तो पार्टी यह जानने की कोशिश कर रही है कि वर्तमान विधायक के नाम पर कार्यकर्ता से लेकर वोटर कितने संतुष्ट हैं या फिर उनके मन में किसी और नेता की चर्चा है. टिकट किसे दिया जाए या किसे नहीं, इसे लेकर लोगों की राय भी जानी जा रही है. प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर के कार्यकर्ताओं से भी राय ली जा रही है कि उनसे विधानसभा क्षेत्र में कौन टिकट के योग्य होगा.
मौजूदा विधायक को टिकट दिया जाए या जिस नाम की चर्चा हो रही है, उसे मैदान में उतारा जाए. इन्हीं सवालों को लेकर पार्टी एक सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है. इसके लिए बीजेपी ने हर सीट के लिए 100 लोगों की राय के आधार टिकट का चयन का फॉर्मूला अपनाया है. इसके बाद बीजेपी नेतृत्व जिले की कोर कमेटी में उन नामों को रखेगा. यदि कोर कमेटी में भी उन नामों पर मुहर लगाई तो प्रदेश नेतृत्व से सिफारिश की जाएगी उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति में विचार होगा. माना जा रहा है कि यह सब एक्सर्साइज15 दिनों में पूरी करनी है. माना जा रहा है कि जनवरी के तीसरे सप्ताह तक बीजेपी कैंडिडेट के नामों पर मुहर लग जाएगी.
बीजेपी के एक बड़े नेता नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि इस बार कई मंत्रियों के भी टिकट कर सकते हैं, जिनकी रिपोर्ट ठीक नहीं है. यह रिपोर्ट दूसरे प्रदेशों से आए हुए नेताओं की टीम जमीन स्तर पर सर्वे करके तैयार कर रही है. कहा जा रहा है कि दिल्ली की दो एजेंसियां इस वक्त स्वतंत्र रूप से जिताऊ कैंडिडेट का सर्वे कर रही हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े नेता ने अनौपचारिक बातचीत ने बताया कि उनके पास ऐसी जानकारी है कि न सिर्फ गुजरात की बीजेपी की टीमें बल्कि गुजरात की कई एजेंसियां भी यूपी में धन बल के साथ घूम रही है.