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यूपी चुनाव: सपा के यादव वोटबैंक पर BJP की नजर, मुलायम के करीबी सुखराम थामेंगे कमल?

पूर्व सांसद चौधरी हरमोहन सिंह यादव की गिनती उन लोगों में की जाती थी, जो समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे और पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन, सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आने से सुखराम यादव परिवार का सपा से मोहभंग हो गया है.

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सुखराम यादव के बेटे मोहित यादव और स्वतंत्रदेव सिंह
सुखराम यादव के बेटे मोहित यादव और स्वतंत्रदेव सिंह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुलायम के करीबी नेता का सपा से मोहभंग
  • यादव वोटों को बीजेपी साधने में लगातार जुटी
  • कानपुर इलाके में सुखराम परिवार की पकड़

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और सपा के बीच एक दूसरे को सियासी तौर पर मात देने की कवायद जारी है. अखिलेश यादव बसपा नेताओं को अपने साथ मिलाकर मायावती को कमजोर करने में जुटे हैं तो बीजेपी की नजर इस बार सपा के कोर वोटबैंक यादव समुदाय पर है. सूबे में मुलायम सिंह के बेहद करीबी नेता और कानपुर इलाके में मजबूत पकड़ रखने वाले यादव समाज के एक बड़े नेता को साथ लाकर बीजेपी ने सपा को एक बड़ा झटका देने का प्लान बनाया है. 

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सुखराम सिंह के बुलावे पर पहुंचेंगे योगी

मुलायम सिंह के करीबी मानें जाने वाले राज्यसभा सांसद व विधान परिषद अध्यक्ष रहे सपा नेता सुखराम सिंह यादव के पिता स्व. चौधरी हरमोहन सिंह यादव के जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के लिए 18 अक्टूबर को एक कार्यक्रम रखा गया है. सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव को सुखराम यादव ने अपने कार्यक्रम में बुलाया है. सुखराम यादव का परिवार बीजेपी में शामिल हो सकता है. हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पहले ही सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि सुखराम सिंह यादव का परिवार अब बीजेपी के साथ है. 

किसी दौर में चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी में सपा की चुनावी रणनीति से लेकर मंत्रिमंडल के गठन तक का मंथन किया जाता रहा है, लेकिन अब इस कोठी से सपा के बजाय बीजेपी का भगवा झंडा फहराने की पूरी तैयारी कर ली गई है. मुलायम के करीबी और अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुखराम यादव की सपा से दूरियां बढ़ती जा रही हैं.

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सुखराम यादव परिवार का सपा से मोहभंग

कानपुर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा से भी सुखराम परिवार ने दूरी बनाकर रखी थी. अब जिस तरह से उन्होंने अपने पिता चौधरी हरमोहन यादव के जन्म शताब्दी कार्यक्रम में अखिलेश यादव के बजाय सीएम योगी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को बुलाया है, उससे साफ है कि सपा से उनका मोहभंग हो चुका है. माना जा रहा है कि सुखराम के बेटे मोहित यादव का बीजेपी में जाना लगभग तय है. 

सुखराम की ओबीसी वोट बैंक में अच्छी पकड़

कानपुर नगर और देहात जिल के इलाके में चौधरी सुखराम सिंह की यादव समाज और ओबीसी वोट बैंक में अच्छी पकड़ मानी जाती है. अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं, जिसके चलते यादव समाज के बीच बेहतर पकड़ रखते हैं. 2022 के चुनाव से पहले बीजेपी की नजर ओबीसी के साथ-साथ यादव वोटबैंक को साधना चाहती है. कानपुर क्षेत्र की सीटों पर ओबीसी वोट बैंक अच्छी तादाद में है. ऐसे में बीजेपी सुखराम को अपने साथ मिलाकर अखिलेश के हार्ड कोर वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है. 

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर की तीन सीटें बीजेपी नहीं जीत सकी थी, लेकिन इस बार क्लीन स्वीप करने की रणनती बनाई है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे सुखराम परिवार के कुछ सदस्यों को बीजेपी द्वारा अपने खेमे में लाने की किलेबंदी कर ली गई है. बीजेपी नेता कानपुर पहुंचेंगे और यहां चौधरी साहब की तीसरी पीढ़ी के युवा बीजेपी का दामन थाम कर सपा को बड़ा झटका दे सकते हैं. 

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मुलायम सिंह के करीबी नेता सुखराम यादव

पूर्व सांसद चौधरी हरमोहन सिंह यादव की गिनती उन लोगों में की जाती थी, जो समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे और पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई. सपा संगठन की रीत और नीत क्या होगी ये भी मिलकर दोनों ही परिवार के बीच तय की जाती थी. लेकिन, सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आने से सुखराम के परिवार का सपा से मोहभंग हो गया है. 

राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को कभी अपना नेता नहीं माना. क्योंकि वो आज भी मुलायम सिंह यादव को अपना नेता मानते हैं. मुलायम सिंह के दखल की वजह से ही सुखराम यादव को राज्यसभा सांसद के लिए वर्ष-2016 में मनोनीत किया गया था. यही कारण है कि कार्यक्रम के कार्ड पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव की फोटो को सबसे ऊपर लगाया है, लेकिन अखिलेश को जगह नहीं दी गई. चौधरी हरमोहन सिंह का जब 2012 में निधन हुआ तो पूरा यादव कुनबा शामिल हुआ था.

 

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