उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने बड़ा दांव खेला है. मायावती ने खुद के बाद एक महिला के तौर पर महासचिव सतीश चंद मिश्रा की पत्नी कल्पना को राजनीति में उतार दिया है. कल्पना मिश्रा ने मंगलवार को लखनऊ में बसपा के महिला प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को संबोधित किया. ऐसे में सवाल उठता है कि कल्पना मिश्रा ने क्या सियासत में कदम रख लिया है या फिर वो महज अपने पति के हाथ बंटाने के लिए मैदान में उतरी हैं?
ब्राह्मण समाज की महिलाओं को संबोधित करते हुए कल्पना मिश्रा की तस्वीर और वीडियो को सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर उनके पति सतीश मिश्रा ने शेयर किया. 300 ब्राह्मण महिलाओं के साथ कल्पना मिश्रा ने लखनऊ में अपने आवास पर ही एक मीटिंग की जिसमें उन्होंने बसपा को जोड़ने वाली पार्टी बताते हुए इस विचार को ब्राम्हण परिवारों तक ले जाने की चर्चा की. साथ ही मायावती सरकार के दौरान हुए कामों को भी समाज के बीच ले जाने की बात की गई.
कौन हैं कल्पना मिश्रा?
कल्पना मिश्रा ने अपने पति सतीश चंद्र मिश्रा की तरह ही वकालत की पढ़ाई है, लेकिन पेशे के तौर पर वो वकालत नहीं कर रही हैं. वो घर-परिवार को संभालती हैं. कल्पना मिश्रा की शादी सतीश चंद्र मिश्रा से 4 दिसंबर 1980 को हुई थी. कल्पना मिश्रा कन्नौज की रहने वाली हैं और उनका एक बेटा व चार बेटियां हैं. कल्पना मिश्रा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई कन्नौज में की थी और लॉ की डिग्री कानपुर से हासिल की थी.
कल्पना मिश्रा पहली बार सियासत में सक्रिय नहीं हुई हैं बल्कि साल 2007 में भी उन्होंने ऐसी ही कुछ बैठकें की थीं, जब बसपा ने ब्राह्मणों को जोड़ने की मुहिम चलाई थी. इसकी वजह यह थी कि बसपा के साथ ब्राह्मणों को जोड़ने का ताना-बाना सतीश चंद्र मिश्रा ने बुना था. ऐसे में एक बार फिर जब सतीश मिश्रा को ब्राह्मण समाज को साधने की जिम्मेदारी मिली है तो कल्पना भी मैदान में उतर आई हैं और उन्होंने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में ब्राह्मण समाज के मुद्दे उठाए हैं.
कल्पना मिश्रा को क्यों उतारा?
माना जा रहा है कि कल्पना मिश्रा को ब्राह्मण समाज की महिलाओं को बीएसपी से जोड़ने की रणनीति के तहत उतारा गया है. खुशी दुबे को इंसाफ दिलाने की बात अभी सतीश चंद्र मिश्रा करते आए हैं, यही बात अब कल्पना मिश्रा ने उठानी शुरू कर दी है. उनकी बात के अधिक प्रभाव की उम्मीद की जा रही है क्योंकि एक महिला होने के नाते महिला के इंसाफ की बात जब वो करेंगी तो ब्राह्मण समाज की महिलाओं से जुड़ाव की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी.
वहीं, बसपा में महिला नेताओं में फिलहाल मायावती ही नजर आती हैं. अब बसपा कल्पना मिश्रा को भी स्टार प्रचारक के तौर पर उतार सकती है. दरअसल, मायावती के लिए हर जगह पहुंचना मुमकिन नहीं है, लेकिन कल्पना मिश्रा यह काम आसानी से कर सकती हैं. इतना ही नहीं, बसपा की शहरों में महिलाओं के बीच कोई खास पैठ नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि कल्पना मिश्रा यह कमी पूरी कर सकती हैं.