उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की एक विधानसभा सीट है चमरौआ विधानसभा सीट. इस विधानसभा क्षेत्र में एक चर्चित गांव है चमरौआ. चमरौआ गांव में चौड़ी सड़कें हैं तो शिक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज भी. सुविधा संपन्न इस गांव के नाम पर ब्लॉक भी है और इसी गांव के नाम पर एक विधानसभा सीट है जिसका नाम है चमरौआ विधानसभा सीट. सात चरणों में होने जा रहे यूपी चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को चमरौआ विधानसभा सीट के लिए मतदान होना है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
चमरौआ विधानसभा सीट का सियासी अतीत कोई बहुत पुराना नहीं है. ये विधानसभा सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. चमरौआ विधानसभा सीट के लिए साल 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली दफे मतदान हुआ था. साल 2012 के पहले चुनाव में इस विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के यूसुफ अली विधायक निर्वाचित हुए थे. यूसुफ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के नसीर अहमद खान को हराया था.
2017 का जनादेश
चमरौआ विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने अपने निवर्तमान विधायक यूसुफ अली को चुनाव मैदान में उतारा. बसपा के यूसुफ अली के मुकाबले सपा ने नसीर अहमद खान और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मोहन कुमार लोधी को चुनाव मैदान में उतारा. सपा के नसीर अहमद खान ने यूसुफ को 34376 वोट से हराकर 2012 की हार का बदला चुका कर लिया. बीजेपी के मोहन तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
चमरौआ विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब तीन लाख मतदाता हैं. चमरौआ विधानसभा सीट की गिनती मुस्लिम बाहुल्य सीट के रूप में होती है. चमरौआ विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
चमरौआ विधानसभा सीट से विधायक नसीर अहमद खान का दावा है कि उनके कार्यकाल में इलाके का चहुंमुखी विकास हुआ है. विपक्षी दलों के नेता विधायक के दावों को सिरे से खारिज कर रहे हैं. सपा ने इस दफे भी नसीर अहमद खान पर दांव लगाया है. बीजेपी ने 2017 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे मोहन कुमार लोधी को टिकट दिया है. बसपा से इस दफे अब्दुल मुस्तफा हुसैन चुनाव मैदान में हैं.