यूपी के महोबा जिले की एक विधानसभा सीट है चरखारी विधानसभा सीट. इसे बुंदेलखंड का कश्मीर भी कहा जाता है. चरखारी विधान सभा का चरखारी कस्बा बड़ी-बड़ी झीलों के लिए मशहूर है. इस कस्बे में सात विशाल झील हैं जो अंदर से एक दूसरे से जुड़ी हुई है. इसीलिए चरखारी को बुंदेलखंड का कश्मीर भी कहा जाता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
चरखारी विधानसभा सीट के सियासी अतीत की बात करें तो ये सीट 2012 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ करती थी. 2012 में ये सीट सामान्य हो गई थी. इस सीट के सामान्य होने के बाद 2012 के चुनाव में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीतीं भी.
उमा भारती के 2014 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद इस सीट के लिए उपचुनाव हुए और तब सपा के कप्तान सिंह राजपूत जीते. एक साल बाद ही कप्तान सिंह को एक मामले सजा हो गई जिसके बाद इस सीट पर फिर से उपचुनाव हुए और तब सपा ने उनकी पत्नी उर्मिला राजपूत को टिकट दिया और उर्मिला राजपूत विधायक निर्वाचित हुईं.
2017 का जनादेश
चरखारी विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बृजभूषण राजपूत को टिकट दिया था. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे बृजभूषण राजपूत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विधायक निर्वाचित हुए. बृजभूषण राजपूत के पिता गंगा चरण राजपूत हमीरपुर महोबा लोकसभा सीट से तीन दफे सांसद निर्वाचित हुए थे.
सामाजिक ताना-बाना
चरखारी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इसे लोधी बाहुल्य सीट माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में नहर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. लोधी जाति के मतदाताओं की यहां बहुलता है. अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चरखारी विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
चरखारी विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक बृजभूषण राजपूत का दावा है कि उनके कार्यकाल के दौरान इलाके में विकास की गंगा बही है. उनके कार्यकाल में जितना विकास हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ. विपक्षी दलों के नेता विधायक के दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं. विपक्षी नेताओं का दावा है कि इलाके की समस्याएं जस की तस हैं.