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Chhanbey Assembly Seat: आदिवासी बाहुल्य सीट पर है अपना दल का कब्जा, पेयजल बड़ी समस्या

छानबे (सुरक्षित) विधानसभा सीट आजादी के बाद 1952 से लेकर 1962 तक आरक्षित विधानसभा सीट थी. 1962 से लेकर 1974 तक इसे समान्य घोषित कर दिया गया था.

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यूपी Assembly Election 2022 छानबे विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 छानबे विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अपना दल से विधायक हैं राहुल प्रकाश
  • पकौड़ी कोल के बेटे हैं राहुल प्रकाश

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले की एक विधानसभा सीट है छानबे विधानसभा सीट. ये विधानसभा सीट अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित विधानसभा सीट है. इसकी सीमा एक तरफ जहां मध्य प्रदेश से लगती है तो दूसरी तरफ संगम नगरी प्रयागराज से. मध्य प्रदेश की सीमा से सटे पहाड़ी इलाक़े कोल,आदिवासी बाहुल्य हैं.

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पिछड़े और आदिवासी बाहुल्य ये विधानसभा सीट अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस विधानसभा क्षेत्र में जंगल, झाड़ी, झरना पहाड़ भी हैं. इस विधान सभा क्षेत्र के तहत आने वाले विकास खंड हलिया की गिनती प्रदेश के सबसे अधिक पिछड़े विकास खंडों में होती है. ये विधानसभा सीट भौगोलिक रूप से दो भाग में बटी है. इसका कुछ हिस्सा लालगंज और हलिया के पहाड़ी क्षेत्र में भी पड़ता है तो वहीं कुछ गांव गंगा के किनारे तराई इलाकों के भी पड़ते हैं.

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छानबे (सुरक्षित) विधानसभा सीट आजादी के बाद 1952 से लेकर 1962 तक आरक्षित विधानसभा सीट थी. 1962 से लेकर 1974 तक इसे समान्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, इसके बाद 1974 में इस  विधानसभा सीट को फिर से आरक्षित कर दिया गया. तब से अब तक ये विधानसभा सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सुरक्षित है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

छानबे विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो इस विधनसभा सीट पर सभी दलों का कब्जा रहा है. इस सीट पर चार बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कब्जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) को भी एक-एक बार इस सीट से जीत मिली है. छानबे विधनसभा सीट से 1952 के चुनाव में अजीज इमाम विजयी रहे थे. वे लगातार तीन बार यानी 1952 के बाद 1957 और 1962 में भी विधायक निर्वाचित हुए. 1967 के चुनाव में जनसंघ के स्वामी ब्रह्मानंद,1969 में जनसंघ के ही श्रीनिवास प्रताप चुनाव जीते.

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छानबे विधानसभा सीट 1974 में फिर से सुरक्षित हुई तो इसके बाद लगातार तीन बार 1974, 1977 और 1980 में कांग्रेस के पुरुषोत्तम इस सीट से विधायक रहे. इसके बाद 1985 में कांग्रेस के भगवती प्रसाद चौधरी, 1989 में जनता दल के कालीचरण, 1991 में दुलारे लाल छानबे विधानसभा सीट से विधानसभा पहुंचे. छानबे विधानसभा सीट से 1993 में बसपा के राम भारती,1996 में बीजेपी के भाईलाल कोल, 2002 में बसपा के पकौड़ी कोल, 2004 के उपचुनाव में बसपा के राम भारती, 2007 में बसपा के सूर्यभान, 2012 में सपा के भाई लाल कोल विधायक निर्वाचित हुए.

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2017 का जनादेश

छानबे विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) ने अपना उम्मीदवार उतारा. अपना दल (एस) के उम्मीदवार राहुल प्रकाश ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के धनेश्वर को 60 हजार वोट से अधिक के बड़े अंतर से शिकस्त दी. राहुल प्रकाश को 1 लाख 7 हजार 7 वोट मिले तो दूसरे स्थान पर रहे बसपा के धनेश्वर को 43 हजार 539 वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना

छानबे विधानसभा क्षेत्र में लगभग पौने चार लाख मतदाता हैं. यह क्षेत्र आदिवासी और पिछड़ा बाहुल्य है. अनुमानों के मुताबिक यहां करीब 57 हजार कोल, 50 हजार हरिजन, 22 हजार ब्राह्मण, 22 हजार यादव, 20 हजार मुस्लिम, 17 हजार क्षत्रिय मतदाता हैं. पटेल, निषाद, बिंद मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं और सीट के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

छानबे विधानसभा सीट से विधायक राहुल प्रकाश अपना दल (एस) के टिकट पर पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीतकर विधानसभा पहुंचे. राहुल प्रकाश ने परास्नातक के साथ ही एलएलबी की है. उन्होंने कुछ समय वकालत भी की. विधानसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद राहुल प्रकाश की क्षेत्र में उपलब्धता लगातार बनी रही है. राहुल प्रकाश, सोनभद्र की रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से सांसद पकौड़ी लाल कोल के बेटे हैं.

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विविध

छानबे विधानसभा सीट के पहाड़ी इलाकों में पानी की समस्या सबसे ज्यादा है. हलिया और लालगंज इलाके के दर्जनों गांव पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. गर्मियों में पानी की इतनी किल्लत हो जाती है कि लहुरियादह समेत कई गांवों में टैंकर से सप्लाई करनी पड़ती है. इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से राजकीय डिग्री कॉलेज, छानबे मिश्रपुर के पास गंगा नदी पर पुल की मांग की जाती रही है. कई इलाकों में सड़कें भी नहीं हैं.

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