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Deoria Sadar Assembly Seat: भाजपा का रहा है दबदबा, बसपा का इस सीट पर नहीं खुला है खाता

देवरिया सदर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का 3 बार कब्जा रहा है. भाजपा ने 5 बार जीत दर्ज की है. समाजवादी पार्टी ने एक बार, बसपा का अब तक इस सीट पर खाता नहीं खुल सका है.

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 Uttar Pradesh Assembly Election 2022( deoria Sadar Assembly Seat).
Uttar Pradesh Assembly Election 2022( deoria Sadar Assembly Seat).
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भाजपा ने 5 बार जीत दर्ज की है, सपा को एक बार मिली सफलता
  • बसपा का अभी तक इस सीट पर नहीं खुल सका है खाता

देवरिया महर्षि देवरहवा बाबा की तपोस्थली रही है. समाजसेवी व सेनानी रहे बाबा राघवदास ने इसे अपना कार्यक्षेत्र चुना. देवरिया को देवों की नगरी भी कहा जाता है. यहां सिद्ध पीठ देवरही माता का मंदिर है. इनकी मान्यता इतनी है कि भक्त दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. स्वतंत्रता की लड़ाई में यहां के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. यहां के लोगों मे देश की आज़ादी का जज्बा ऐसा रहा है कि यहां के बच्चे भी इससे अछूते नहीं थे जिसका प्रतीक है देवरिया सदर के रामलीला मैदान स्थित शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी का स्मारक स्थल.14 वर्ष की आयु में 14 अगस्त 1942 को बालक रामचन्द्र विद्यार्थी कचहरी पर तिरंगा झंडा फहराते हुए अंग्रेज़ो की गोली का शिकार हो गए थे.

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देवरिया सदर की राजनीतिक पृष्ठभूमि

देवरिया सदर विधनसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर नज़र डालें तो पहले यहां देवरिया दक्षिणी विधानसभा और देवरिया उत्तरी विधानसभा सीट हुआ करती थी. सन 1967 में परिसीमन बदला तो देवरिया दक्षिणी सीट ही देवरिया सदर सीट के नाम से हो गयी. 1952 से विधानसभा के चुनावों की बात करें तो यहां अबतक कई बार विधानसभा के आम चुनाव,मध्यावधि चुनाव और उपचुनाव हुए. 1952 में रामनाथ तिवारी निर्दलीय प्रत्याशी थे जिन्होंने जीत हासिल की थी बाद में कांग्रेस ने उन्हें समर्थन दे दिया था.

सन 1953 में दायर याचिका के बाद यह चुनाव खारिज हो गया और उपचुनाव हुआ जिसमें सोशलिस्ट पार्टी से रामेश्वर लाल चुनाव ने जीत दर्ज की. 1957 के विधानसभा चुनाव में दीप नारायण मणि ने कांग्रेस से जीत दर्ज की. सन 1962 में सोशलिस्ट पार्टी से कृष्णा राय ने चुनाव जीता था. 1967 में कांग्रेस से फारुख चिश्ती जीत हासिल की थी. वहीं, 1969 में मध्यावधि चुनाव पूरे प्रदेश में हुआ इस दौरान भारतीय क्रांति दल पार्टी से दीप नारायण मणि चुनाव जीत गए. 1974 में कृष्णा राय ने भारतीय लोकदल से जीत हासिल की थी.

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1977 में मध्यावधि चुनाव में जनता पार्टी से कृष्णा राय दोबारा जीते.1980 में भारतीय लोकदल से रुद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की. 1984 में फजले मसूद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. साल 1989 में जनता दल से रामछबीला मिश्रा विधायक निर्वाचित हुए.1991 में मध्यावधि चुनाव में भाजपा से रविन्द्र प्रताप मल्ल की जीत हुई थी. 1993 में रविन्द्र प्रताप मल्ल दोबारा चुनाव जीते. 1996 में जनता दल से सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव ने जीत हासिल की थी.

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साल 2002 में दीनानाथ कुशवाहा निर्दल प्रत्याथी के तौर पर चुनाव जीत गए और समाजवादी पार्टी में मिल गए और जब 2007 के विधानसभा चुनाव हुए तो सपा ने दीनानाथ कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया जिसमे इनकी जीत हुई. 2012 में भाजपा से जनमेजय सिंह चुनाव जीते और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने ही बाजी मारी जन्मेजय सिंह के सिर पर फिर सेहरा बंधा, लेकिन 2020 में जनमेजय सिंह के असामयिक निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें भाजपा से डॉक्टर सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी विधायक चुने गए.सन 1952 से लेकर 2020 तक के हुए उपचुनाव पर नज़र दौड़ाए तो सभी छोटे-बड़े दल के विधायक चुने गए केवल बहुजन समाज पार्टी का खाता नहीं खुल सका है.

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सामाजिक ताना-बाना

देवरिया का सामाजिक और आर्थिक इतिहास देखने पर यह प्रतीत होता है कि यह अति पिछड़ा क्षेत्र रहा है. यहां खेती किसानी मजदूरी ही लोगों का प्रमुख पेशा रहा है. देवरिया की पहचान चीनी उद्योग से थी. इसे चीनी का कटोरा कहा जाता था लेकिन धीरे-धीरे चीनी मिलें बन्द होती गयी. जिससे गन्ना किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ा. स्थिति यह हो गयी कि किसानों को पारपंरिक खेती जैसे गेंहू और धान की तरफ मुड़ना पड़ा. जिसमें गन्ने के मुकाबले में मुनाफा नहीं मिल रहा था.

नतीजा यह हुआ कि रोजगार के लिए लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. यहां एक मेडिकल कालेज की स्थापना हुई है जो अभी शुरू नहीं हो सका है. यह भी देवरिया के भाजपा से सांसद रहे कलराज मिश्रा की देन है कि मेडिकल कॉलेज स्थापित हो सका है. देवरिया विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो सभी धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3,9512 है. जिसमें ब्राम्हण 18 %, क्षत्रिय 12%, वैश्य 4.50%, कायस्थ 2.50%, भूमिहार 6%, राजभर 0.2%, यादव 8%, सैठवार 6%, हरिजन 7%, कुर्मी 3% बाकी अन्य सभी जातियां हैं.

2017 का जनादेश

भारतीय जनता पार्टी से जन्मेजय सिंह ने 88030 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की. इन्होंने सपा के उम्मीदवार जेपी जायसवाल को हराया था जो  41794 मत प्राप्त कर दूसरे नंबर पर रहे थे. तीसरे नंबर पर बसपा से अभयनाथ त्रिपाठी को 29218 मत प्राप्त हुए थे. जबकि पीस पार्टी के विजय यादव सपा के बागी थे उन्हें 12696 मत मिला था.

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 2020 का उपचुनाव का जनादेश

सदर विधायक भाजपा जन्मेजय सिंह के असामयिक निधन के बाद 2020 में इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें भाजपा ने जीत का परचम लहराया. भाजपा से डॉक्टर सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी को 68732 वोट, सपा से ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी को 48643 वोट, बसपा से अभयनाथ त्रिपाठी को 22025 वोट,  निर्दलीय प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह पिंटू को 19299 वोट और कांग्रेस के मुकुंद भास्कर को 3692 वोट मिलेे थेे.  

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

2020 के उपचुनाव में देवरिया सदर सीट से 15 वें विधायक के रूप में डॉक्टर सत्य प्रकाश मणि चुने गए. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी बैतालपुर ब्लॉक के उद्दोपुर के मूल निवासी हैं. वह लम्बे समय से भाजपा में हैं. वह जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वह भाजपा से जुड़ने से पहले गौरीबाजार विधानसभा से एमएलए का निर्दल चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इन्हें हार का सामना करना पड़ा था. मौजूदा समय में वह सन्त विनोबा पीजी कालेज में राजनीति शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) हैं. इनके परिवार में कई शिक्षाविद हैं. उनके भाई श्रीप्रकाश मणि अमर कंटक में कुलपति है. डॉक्टर सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी की पहचान एक निर्विवाद व्यक्ति के रूप में है. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में देवरिया विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी रह चुके हैं.

देवरिया सदर में विधायक निधि का काफी पैसा यहां बन रही नई सड़कों और पुरानी सड़को के पुनर्निर्माण में खर्च किया जा रहा है. विधायक निधि से 8.50 किलोमीटर की नया सड़क का निर्माण हुआ है.पीडब्लूडी से 41.55 किलोमीटर सड़क बनावाई गई है. 37.5 किलोमीटर सड़क प्रस्तावित है. बाढ़ से फसलों के नुकसान होने से बचाव के लिए कुरना नाला नकटा नाले की सफाई करायी गयी है. पानी की टंकी का प्रस्ताव भेजा गया है जो पास हो चुका है. 31 गांवो में जर्जर विद्युत तार बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है .ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के लिए भी विधायक द्वारा प्रस्ताव भेज दिया गया है.

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