
संत कबीर नगर बस्ती मंडल का एक जिला है, जो उत्तर में जनपद सिद्धार्थ नगर,पूर्व में गोरखपुर ,दक्षिण में अम्बेडकर नगर, पश्चिम में बस्ती जिले से घिरा हुआ है. इसका मुख्यालय खलीलाबाद में स्थित है. जिले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है. तामेश्ववरनाथ धाम, हरिहरपुर, सेमरियावां, हैंसर, मगहर और धनघटा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं.
घाघरा, कुआनो, कठनईया, आमी और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां हैं. धनघटा,मेहदावल एवं खलीलाबाद यहां की तहसील है जो उक्त विधानसभा नामोंं के साथ संत कबीर नगर लोकसभा का अंतर्गत आती हैं. मेहदावल से खलीलाबाद होते हुए धनघटा मार्ग, जो घाघारा नदी पर स्थित विड़हर पुल द्वारा जनपद अम्बेडकर नगर एवं आजमगढ़ को जोड़ती है, यहां की जीवन रेखा मानी जाती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
धनघटा विधानसभा पहले हैसर विधानसभा के नाम से जाना जाता था. 5 सितंबर 1997 को संत कबीर नगर जिला बनाने के बाद धनघटा विधानसभा हो गई. धनघटा सीट (एससी) पर 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के दशरथ यादव को 39164 मत मिले और वह विधायक चुने गए.
वहीं बहुजन समाज पार्टी के राम सिधारे दूसरे नंबर पर रहे थे जिन्हें 38079 मत मिले थे. धनघटा विधानसभा की यह सीट 2007 से लेकर 2012 तक समाजवादी पार्टी के खाते में रही. 2012 की विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के विधायक अलगू चौहान ने धनघटा विधानसभा पर झंडा लहरा दिया. वह 35.55% वोट पाकर विजयी बने थे.
वहीं, बहुजन समाज पार्टी के राम सिधारे 27.54% पाकर दूसरे स्थान पर रहे और तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के नीलमणि 21.7 % वोटों के साथ रहे थे. लगातार पांच चुनावों में यह सीट सपा के पास रही लेकिन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का जादू इस कदर चला कि धनघटा विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी के श्रीराम चौहान को जीत मिल गई. बीजेपी उम्मीदवार को 40.1% वोट मिले थे. वहीं समाजवादी पार्टी के एल्को प्रसाद को 31.58% वोट मिले, वह दूसरे नंबर पर रहे. बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़े नीलमणि को 26.18% वोट मिले.
सामाजिक ताना-बाना
धनघटा विधानसभा में कुल 376109 मतदाता हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 173164 है और पुरुष मतदाताओं की संख्या 20291 और अन्य की संख्या 14 है. इसमें सबसे ज्यादा आबादी तराई क्षेत्रों में निवास करती है. यहां चौहान और माझी की संख्या काफी है. जातियों की बात करें तो यहां बेलदार चौहान लगभग 85000, यादव लगभग 75000, एससी लगभग 65000, मुस्लिम लगभग 20000, निषाद लगभग 20000, ब्राह्मण लगभग 14000, ठाकुर लगभग 11000, अति पिछड़ा वर्ग के 65000 व धोबी दुसाध मिलाकर लगभग 21000 हैं.
धनघटा विधानसभा क्षेत्र में कारोबार के नाम पर खेती से ज्यादातर लोग जुड़े हुए हैं. उनके पास व्यवसाय के नाम पर मजदूरी और अपने कुछ छोटे-मोटे काम हैं. यहां पेटुआ सनई की भी खेती की जाती है जिससे सुतली बनाई जाती है लेकिन इन किसानों को पर्याप्त मात्रा में संसाधन और सरकारी योजनाओं का पर्याप्त लाभ ना मिलने के कारण आज भी धनघटा विधानसभा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
धनघटा विधानसभा खलीलाबाद मुख्यालय से 25 किलोमीटर दक्षिण की तरफ बसा है. दक्षिण की तरफ अंबेडकर नगर को जोड़ने वाला एक गुड़हल घाट पुल है जो घाघरा नदी पर बना हुआ है. घाघरा नदी की तलहटी में यहां के स्थानीय लोग खीरा, तरबूज, खरबूज की खेती करते हैं. धनघटा विधानसभा बाढ़ ग्रस्त इलाका है. हर साल लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है.
यहां की राजनीतिक पार्टियां इसी बात पर अपनी रोटी सेंकती हैं लेकिन निदान अबतक होता नजर नहीं आया है. यहां बरसात में सड़कों का बुरा हाल हो जाता है .मूलभूत सुविधाओं का आज भी आभाव है. विकास के नाम पर किए गए घोटालों में जांच के नाम पर कार्यालयों में चल रही फाइलें दशकों से धूल फांक रही हैं. धनघटा विधानसभा सुतली उद्योग और भरवा मिर्चा के उत्पादन के लिए जाना जाता है.
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा में धनघटा विधानसभा सीट से सात उम्मीदवार लड़े थे. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्रीराम चौहान को 79 572 मत मिले और दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के निवर्तमान विधायक अल्गू प्रसाद चौहान को 62 662 मत मिले थे. वहीं, बीएसपी के नीलमणि को 51938 मत मिले. वह बीजेपी से बीएसपी में आए थे. दल बदलकर भी वह जीत हासिल करने में सफल नहीं हो पाए थे.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
श्रीराम चौहान तीसरी बार विधायक हैं. इसके अलावा वे तीन बार बस्ती लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं. अटल सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री भी रहे हैं. खलीलाबाद शहर के बरई टोला निवासी रामनरेश चौहान के पांच पुत्रों में सबसे बड़े श्रीराम चौहान का जन्म 20 सितंबर 1953 को हुआ. उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान वह आरएसएस के सक्रिय स्वयंसेवक बनकर कार्य करने लगे.
1984 में पहली बार खलीलाबाद विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन सफलता नहीं मिली. 1989 में पार्टी ने इन्हें हैसर बाजार विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया. श्रीराम ने कांग्रेस पार्टी की गेंदा देवी को पराजित किया और पहली बार विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 1991 में राम मंदिर आंदोलन की लहर में इसी सीट से दोबारा जीत दर्ज की.
1996 में श्रीराम चौहान को बस्ती लोकसभा सीट से सांसद चुना गया. 1998 व 1999 में भी वह बस्ती से सांसद चुने गए. 2004 में लोकसभा चुनाव में बस्ती सीट से चुनाव हारने के कारण वर्ष 2009 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वह सिद्धार्थनगर जिले के कपिलवस्तु सीट से चुनाव लड़े और हार गए. वर्ष 2017 में धनघटा सीट से भाजपा ने फिर श्रीराम चौहान को अवसर दिया और इस बार मतदाताओं ने भी उन पर फिर भरोसा जताते हुए तीसरी बार विधानसभा में भेजा.