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UP Election: जिस इमरान मसूद को दो बार हराया आज वही समर्थन में, ऐसा रहा धर्म सिंह सैनी का सफर

धर्म सिंह राजनीति में (Dharam Singh Saini) आने से पहले पेशे से डॉक्टर थे. लेकिन जबसे उन्होंने राजनीति में कदम रखा, तब से लगातार जीत का स्वाद चख रहे हैं. वो चाहे किसी भी पार्टी में रहे, लेकिन चुनाव में जीत अपने नाम ही की. सहारनपुर की सियासत में धर्म सिंह का झंडा बुलंद है.

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धर्म सिंह सैनी
धर्म सिंह सैनी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बसपा और भाजपा के बाद अब सपा के साथ धर्म सिंह
  • सहारनपुर की राजनीति में धर्म सिंह का बड़ा नाम
  • इमरान मसूद को दो बार हराया चुनाव, अब वही साथ

डॉक्टर धर्म सिंह सैनी, उत्तर प्रदेश की सियासत का वो नाम, जो पत्थर को छूकर भी सोना बना देता है. धर्म सिंह ने जब से चुनावी जीत का स्वाद चखा है वो लगातार कामयाबी हासिल करते जा रहे हैं. पेशे से डॉक्टर रहे धर्म सिंह सैनी, विपक्षी खेमे को ऐसा राजनीतिक इंजेक्शन लगाते हैं कि चारो-खाने चित कर देते हैं. वो चाहे जिस खेमे में हों, उनका परचम बुलंद रहता है.

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धर्म सिंह सैनी का जन्म सहारनपुर जिले के हरोदा क्षेत्र के सोना गांव में 6 अप्रैल, 1961 को हुआ था. इसके बाद उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और आयुर्वेद में डिग्री हासिल की. वो एक फिजिशियन हैं. 

धर्म सिंह ने सहारनपुर जिले में बहुजन समाज पार्टी की राजनीति को पनपते हुए देखा. पार्टी के संस्थापक कांशीराम से मायावती तक, को जिले से चुनाव लड़ते देखा. और धर्म सिंह सैनी ने अपनी राजनीति का आगाज भी बसपा के साथ ही किया. 

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धर्म सिंह सैनी ने सरसावा सीट से जीता पहला चुनाव

2002 में धर्म सिंह सैनी ने जिले की सरसावा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. डॉक्टर धर्म सिंह को इस चुनाव में करीब 33 फीसदी वोट मिले थे. यूपी की राजनीति का ये वो दौर था जब जबरदस्त हलचल मची हुई थी. सरकार बन रही थी, गिर रही थी, राष्ट्रपति शासन लग रहा था. एक साल से कुछ ज्यादा वक्त के लिए मायावती सीएम बनीं और इस सरकार में धर्म सिंह सैनी को भी मंत्री बनाया गया. लेकिन ये सरकार ज्यादा वक्त नहीं चली और 2003 में मुलायम सिंह यादव सीएम बन गए. 

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उधर, मायावती का धर्म सिंह सैनी पर भरोसा कायम रहा. 2007 में भी मायावती ने धर्म सिंह को सरसावा सीट से ही टिकट दिया. इस चुनाव में पूरे राज्य में बसपा की लहर चली और इस लहर में धर्म सिंह सैनी और बड़ी जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 41 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर अपनी ताकत दिखाई. हालांकि, 2007 से 12 तक की मायावती की पूर्ण बहुमत वाली सरकार में धर्म सिंह सैनी के मंत्रिपद नहीं मिला. लेकिन धर्म सिंह सैनी का राजनैतिक बढ़ता चला गया. 

नकुड़ सीट बनी तो वहां से लड़े

2008 के परिसीमन में जब सरसावा सीट डिसॉल्व हो गई और ये इलाका नकुड़ विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गया. नकुड़ सीट पर भी बसपा ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया था. यहां से 2007 में बसपा के टिकट पर महिपाल सिंह चुनाव जीते थे, लेकिन जब 2012 का चुनाव आया तो धर्म सिंह सैनी को पार्टी ने टिकट दिया. 

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ये चुनाव धर्म सिंह सैनी के  लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था. एक तो वो नई सीट पर किस्मत आजमा रहे थे, दूसरी तरफ उनका मुकाबला इमरान मसूद से थे. इमरान मसूद सहारनपुर की राजनीति का असरदार नाम है, उस वक्त उनकी तूती बोला करती थी. सपा से उनकी नाराजगी हुई तो इमरान मसूद ने 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा. हालांकि, ये सीट इमरान मसूद के लिए भी नई ही थी, क्योंकि इससे पहले 2007 के चुनाव में वो जिले के दूसरे इलाके मुजफ्फराबाद से जीते थे. 

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लेकिन इमरान मसूद का बड़ा नाम था, वो दिग्गज नेता काजी रशीद मसूद के भतीजे थे. लिहाजा, नकुड़ सीट पर 2012 का चुनाव बेहद दिलचस्प हुआ. अंतत: धर्म सिंह ने तमाम पैंतरो के साथ क्षेत्र के सामाजिक समीकरण का सदुपयोग करते हुए इमरान मसूद को शिकस्त दे दी. हालांकि, जीत का अंतर महज 4 हजार वोट ही रहा.

दरअसल, नकुड़ विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो सबसे ज्यादा वोटर मुस्लिम है. लेकिन दलित और सैनी वोटर की संख्या भी निर्णायक है. इनके अलावा एक बड़ा वोटबैंक गुर्जरों का है. धर्म सिंह सैनी बसपा के टिकट पर थे, लिहाजा दलित और सैनी के गठजोड़ ने उनकी नैया पार लगी दी. 

बता दें कि नकुड़ विधानसभा क्षेत्र में करीब सवा लाख मुस्लिम वोटर है. करीब 60 हजार एससी वोटर है, करीब 40 हजार सैनी मतदाता है. इनके अलावा कश्यप, जाट, ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य भी वोटर यहां है.

धर्म सिंह सैनी ओबीसी समाज से आते हैं, लिहाजा वो सैनी वोटरों के साथ-साथ जाट और गुर्जर वोटर भी हासिल करते रहे हैं. जबकि बसपा के चलते दलित वोट उनके साथ हमेशा रहा है. 

2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लड़े धर्म सिंह सैनी

अब तक जिस वोटबैंक के सहारे धर्म सिंह सैनी की चुनावी जीत होती आ रही थी, वो समीकरण 2017 के चुनाव में बदल गए. धर्म सिंह सैनी ने एक लंबा सफर बसपा के साथ तय करने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया. ओबीसी समाज के ही दूसरे बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही धर्म सिंह सैनी बीजेपी में चले गए. 

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अखिलेश यादव और इमरान मसूद के साथ धर्म सिंह सैनी

भाजपा ने धर्म सिंह सैनी को नकुड़ सीट से ही टिकट दिया. केंद्र में मोदी सरकार थी. मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पूरे इलाके में ध्रुवीकरण का माहौल था. लिहाजा, धर्म सिंह सैनी जब बीजेपी के टिकट पर भी उतरे तो जीत ने उनका माथा एक बार फिर चूम लिया. 

धर्म सिंह के सामने एक बार फिर इमरान मसूद थे, जिन्हें दूसरी बार शिकस्त झेलनी पड़ी. धर्म सिंह को 94 हजार से ज्यादा वोट मिले. हालांकि, इमरान मसूद ने भी पूरी ताकत लगाई और वो एक बार फिर 4 हजार के छोटे अंतर से हार गए. धर्म सिंह सैनी को इस चौथी जीत का इनाम भी मिला. उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया गया. आयुष विभाग दिया गया. 

धर्म सिंह ने ज्वाइन की समाजवादी पार्टी

बसपा और भाजपा की राजनीति कर लगातार चार बार विधायक बनने वाले धर्म सिंह सैनी 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी. केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही उन्होंने भी योगी सरकार से इस्तीफा दे दिया और सपा में शामिल हो गए. माना जा रहा है कि धर्म सिंह के आने से उनके सैनी समाज में भी सपा सेंधमारी कर सकती है. ये वो वोटर है जो परंपरागत तौर पर भाजपा को वोट करता आया है.

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अब एक बार फिर धर्म सिंह सैनी को नकुड़ सीट से टिकट दिया गया है. पिछला चुनाव भाजपा की लहर का था, इस बार खासकर पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन का व्यापक असर नजर आ रहा है. जो इमरान मसूद कभी उनके खिलाफ लड़ा करते थे, आज वही इमरान उनके लिए वोट मांग रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या डॉक्टर धर्म सिंह सैनी का ये राजनीतिक प्रयोग उनके चुनावी मिज़ाज को बनाए रखेगा या कुछ और होगा.


 

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