कोविड की दो भयानक लहर, करीब एक साल चार महीने चला किसान आंदोलन, चरमराती अर्थव्यव्था और चीन संग तनातनी के बावजूद पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए राहत देने वाला सर्वे सामने आया है. इंडिया टुडे का मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे बताता है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सबसे चहेते और चमत्कारी नेता हैं. हालांकि, बीजेपी और पीएम मोदी के सामने कुछ ऐसी चुनौतियां भी हैं जिनके आगे राष्ट्रवाद की छवि, मोदी का चमत्कारी चेहरा धूमिल पड़ सकता है.
इन चुनौतियों का नुकसान बीजेपी को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी हो सकता है.
पीएम मोदी का चमत्कारी चेहरा
India today-CVoter biannual Mood of the Nation (MOTN) 2022 बताता है कि 58 फीसदी लोग बीजेपी सरकार के कामकाज से खुश हैं. वहीं 63 फीसदी के करीब लोग मानते हैं कि पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी ने बेहतरीन काम किया है. हर छह महीने में होने वाला यह सर्वे जब अगस्त 2021 में हुआ था तब मोदी को 58 फीसदी वोट मिले थे. वहीं अगस्त 2020 से तुलना करें तो तब पीएम के कामों को 78 फीसदी लोगों ने सराहा था.
पीएम मोदी के सामने क्या चुनौतियां
मोटे तौर पर देखें तो पीएम के सामने कोई नेता सीधी चुनौती के रूप में नहीं खड़ा है. सबसे बेहतर प्रधानमंत्री कौन है? वाले सर्वे में राहुल गांधी मोदी से 46 फीसदी पीछे हैं. वहीं अगस्त 2021 में जब सर्वे हुआ था तो यह गैप सिर्फ 14 फीसदी का रह गया था. तब राहुल को 10 और मोदी को 24 फीसदी वोट मिले थे.
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कोरोना काल में बदली लोगों की धारणा
कोरोना काल में लोगों की धारणा कैसे बदली है यह भी सर्वे में सामने आया है. जहां अगस्त 2021 के MOTN में लोगों ने कोविड को ठीक से हैंडल नहीं करने को मोदी सरकार की चुनौती माना था. वहीं अब 22.2 फीसदी लोग मानते हैं कि कोविड को ठीक से हैंडल करना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. इसके पीछे भारत में तेजी से लग रहे कोरोना टीके हैं. बता दें कि व्यस्क आबादी के 70 फीसदी लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी हैं.
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इन तमाम बातों के बावजूद कुछ चीजें हैं जो बीजेपी के लिए चुनौतियां बन सकती हैं. इसमें से कुछ बातों का नुकसान उसे आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी हो सकता है.
डबल इंजन की लीडरशिप की कमी
साल 2014 से बीजेपी में सभी बड़े फैसला पीएम मोदी ले रहे हैं. जिन 12 राज्यों में बीजेपी की सरकार है और जिन 5 राज्यों में बीजेपी की मदद से सरकार चल रही है वहां भी मुख्यमंत्रियों से ज्यादा पीएम मोदी ही पॉपुलर हैं. यह लोकसभा चुनाव के लिहाज से अच्छी बात हो सकती है लेकिन विधानसभा चुनावों में अगर जनता ने लोकल मुद्दों को ध्यान में रखकर वोटिंग की तो इसका नुकसान देखने को मिल सकता है.
महंगाई या बेरोजगारी क्या है पब्लिक की नजर में मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी
जिन पांच राज्यों में चुनाव हैं वहां पीएम मोदी पॉपुलैरिटी की बात करें तो यूपी 75%, गोवा 67% , मणिपुर 73%, उत्तराखंड 59% और पंजाब 37% है. यहां बड़ी बात यह है कि जहां बीजेपी की सरकार नहीं है, जैसे पंजाब वहां पीएम की रेटिंग भी औसत से कम है.
वहीं जब लोगों से सीएम की रेटिंग जानी गई तो टॉप लिस्ट में बीजेपी के सिर्फ एक सीएम को जगह मिली. इस लिस्ट में सबसे ऊपर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक का नाम था. MOTN सर्वे में देखा गया कि बीजेपी या उसके सहयोगी दलों की सरकार वाले सभी राज्यों में सिर्फ एक मुख्यमंत्री था जिसकी रेटिंग 50 फीसदी से ज्यादा थी. वह थे असम के सीएम हेमंत बिस्वा शर्मा. उनकी रेटिंग 56.6 फीसदी थी. वहीं यूपी की बात करें तो 48.7 फीसदी लोग ही सीएम योगी के काम से संतुष्ट थे. वहीं पीएम मोदी वहां की 75 फीसदी जनता की पसंद थे.
चरमराती अर्थव्यवस्था
पांच महीने बाद नरेंद्र मोदी को पीएम पद संभाले हुए पूरे आठ साल हो जाएंगे. लेकिन सिकुड़ती अर्थव्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी में कमी होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. सर्वे में भी 58 फीसदी ने तो मोदी सरकार के कामकाज को सही बताया लेकिन 26 फीसदी उनके काम से असंतुष्ट या बहुत ज्यादा असंतुष्ट थे. वहीं 44 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने माना कि बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दाम और बेरोजगारी इस सरकार की सबसे बड़ी विफलताएं हैं.
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एक और चिंता की बात यह है कि 64 फीसदी मानते हैं कि मोदी के पीएम बनने के बाद या तो उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई बदलाव नहीं आया है या फिर स्थिति और खराब हुई है. 51 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि अगले छह महीने चीजें सुधरने वाली नहीं हैं. ये चुनौतियां विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 में मोदी 3.0 में रुकावट बन सकती हैं.
राम मंदिर, आर्टिकल 370 जनता के लिए उतना बड़ा मुद्दा नहीं
MOTN सर्वे में एक बात और निकलकर सामने आई. राम मंदिर और जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने का मुद्दा अब जनता के बीच उतना महत्व नहीं रखता. सिर्फ 15.06 फीसदी लोगों ने राम मंदिर निर्माण और 12 फीसदी ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने को बीजेपी की बड़ी उपलब्धि माना है.पांच
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सूट-बूट की सरकार वाला तमगा
बीजेपी के लिए सूट-बूट की सरकार वाला तमगा भी परेशानी का सबब बन रहा है. 47.7 फीसदी लोग मानते हैं कि नोटबंदी और लॉकडाउन जैसे कदमों से बड़े बिजनसमैन को फायदा पहुंचा है वहीं छोटे और मध्यम उद्योगों की कमर टूट गई है. एयर इंडिया को बेचना, निजीकरण जैसी चीजों के भी सर्वे में शामिल 43 फीसदी लोग खिलाफ हैं.