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यूपी चुनावः कहीं रोड-कहीं जनसभा, लखनऊ के रण में प्रचार के अंतिम दिन BJP-SP ने झोंकी ताकत

यूपी में चौथे चरण के लिए चुनाव प्रचार का शोर थम गया है. चौथे चरण के तहत राजधानी लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों पर भी मतदान होना है.

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योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों पर थम गया प्रचार
  • लखनऊ में यूपी चुनाव के चौथे चरण में कल मतदान

यूपी में विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए प्रचार खत्म हो गया है. यूपी की राजधानी लखनऊ में भी चौथे चरण के तहत ही वोटिंग होनी है. जिले की नौ विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूरी ताकत झोंक दी. आखिरी घंटों में लखनऊ की सड़कों पर कहीं रोड शो का रेला था तो कहीं जनसभा की भीड़. लखनऊ में कहीं प्रचार के शोर से वोटरों को रिझाने की कोशिश हुई तो कहीं वादों का पिटारा खोल उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश हुई.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरोजनी नगर में रोड शो और बीकेटी में जनसभा को संबोधित किया. सीएम ने उत्तरी विधानसभा और पूर्वी विधानसभा की जनता को सुशासन का भरोसा भी दिलाया. सपा के मुखिया अखिलेश यादव भी अपनी विजय रथ यात्रा लेकर लखनऊ की सड़कों पर निकले. सपा कार्यकर्ताओं ने पुराने लखनऊ में साइकिल रैली भी निकाली.

अखिलेश यादव का सरोजनी नगर के नतकुर इलाके से शुरू हुआ रोड शो मोहनलालगंज, हजरतगंज होते हुए पुराने लखनऊ के अकबरी गेट पर जाकर रुका. इस दौरान सपा की तरफ से भी सियासी तीर चलाए गए. बयानबाजी भी खूब हुई. सीएम योगी ने कहा कि इतना वोट दीजिए कि सपा धुआं-धुआं नजर आए तो अखिलेश यादव ने भी बीजेपी को हारती जनता पार्टी का नाम दे दिया.

सपा और बीजेपी के साथ ही कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और आम आदमी पार्टी (एएपी) ने भी प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. कांग्रेस के लिए इमरान प्रतापगढ़ी के साथ ही दीपेंद्र हुड्डा लखनऊ की सड़कों पर नजर आए तो वहीं बसपा से नकुल दुबे, सीमा कुशवाहा, कपिल मिश्रा ने कमान संभाली.

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गौरतलब है कि लखनऊ नवाबों का शहर तो है ही, नौकरशाहों का भी शहर है. इस शहर में दो तरह के लोग रहते हैं. 1 वे जो पुश्तों से लखनऊ में रहते आ रहे हैं. दूसरे वे जो अपनी रोजी रोटी के लिए, नौकरी के लिए शहर में रहने आए लेकिन इस शहर की आबोहवा ने उनको ऐसा अपनाया कि यहीं के होकर रह गए. ट्रांस गोमती इलाका इसी दूसरे टाइप के लोगों का इलाका है.

पुरानी बसावट वाले लखनऊ में तंग गलियां, बिजली-पानी और नाली की समस्या है. रोजी-रोजगार, खाने और पहनने वाले चिकन पर टीके हैं तो वहीं नए लखनऊ के ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट और पॉश कॉलोनियों में सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे अहम हैं. बढ़ रहे लखनऊ में जमीन के विवाद में स्थानीय दबंगों का मसला भी अहम है. इस प्रचार के शोर में वोटर खुद भ्रमित होगा या राजनीतिक दलों के प्रचार को भ्रमित करेगा, यह बुधवार को तय हो जाएगा.

 

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