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Etawah: क्या कहता है इटावा की 3 विधानसभा सीटों का समीकरण?

जनपद में 3 विधानसभाओं में भरथना विधानसभा और इटावा सदर विधानसभा से भाजपा के विधायक हैं, वहीं तीसरी विधानसभा जसवंत नगर से समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में राजनीति के परिदृश्य की बात की जाए तो समाजवादी पार्टी के इस समय बड़े चेहरों में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव इटावा जनपद के सैफई गांव के ही हैं.

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इटावा जनपद में जसवंत नगर, भरथना और इटावा सदर विधानसभा सीट हैं.
इटावा जनपद में जसवंत नगर, भरथना और इटावा सदर विधानसभा सीट हैं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इटावा में 3 विधानसभा सीटें हैं
  • जनपद की सीटों पर सपा का दबदबा

इटावा जनपद का ऐतिहासिक नाम इष्टिकापुरी है. जनपद में 6 तहसीलें- इटावा, भर्थना, ताखा, सैफई, चकरनगर और जसवंतनगर हैं. कुल 692 गांव हैं और 471 ग्राम पंचायत हैं, जिनमें प्रधान चुने जाते हैं. जनपद में 21 पुलिस थाने और 8 ब्लॉक बढ़पुरा, बसरेहर, सैफई, जसवंतनगर, महेवा, चकरनगर, ताखा और भरथना हैं. इटावा जनपद की 80% साक्षरता है. वर्तमान में जनवरी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, जनपद की कुल 18 लाख 32 हजार 685 की जनसंख्या है. इटावा लोकसभा में औरैया और कानपुर देहात का भी क्षेत्र शामिल है. जनपद में 3 विधानसभा हैं, जिनमें जसवंत नगर, भरथना और इटावा सदर है. पर्यटन की दृष्टि से लायन सफारी बनी हुई है. साथ ही राजनीति के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार का गांव सैफई भी इसी जनपद में है. इटावा में सुविधाओं की बात की जाए तो एक बड़ा रेलवे स्टेशन, अच्छा-सा बस स्टैंड और सैफई में छोटी-सी हवाई पट्टी भी बनी हुई है. सैफई में मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज भी बना हुआ है. 

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जनपद का सामाजिक-आर्थिक तानाबाना 

जनपद में यदि कुल जनसंख्या की बात करें तो नई जनगणना के अनुसार, कुल 1832685 लोगों की आबादी है, जिसमें पुरुषों की संख्या लगभग 980000 और महिलाओं की संख्या करीब 852000 से अधिक है. पुरुषों की आबादी महिलाओं की संख्या से लगभग डेढ़ लाख फिर भी अधिक है. मूल रूप से इस जनपद में व्यवसाय के लिए कुछ विशेष नहीं है. लेकिन यहां पर सूती कपड़े के लिए पावरलूम और हैंडलूम बने हुए हैं, जहां गमछा-लुंगी का कारोबार होता है. कृषि का बड़ा क्षेत्र होने की वजह से पहले गेहूं, धान, चना और दालों का उत्पादन होता था, लेकिन अब गेंहू, धान के साथ-साथ क्षेत्र में बड़ी संख्या में आलू की पैदावार की जाती है. कुल आबादी का 70% किसान है और 30% आबादी में व्यापारी और नौकरीपेशा के लोग रहते हैं.

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राजनीतिक इतिहास 

इटावा राजनीतिक दृष्टिकोण से पूरे उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण माना जाता है. इटावा लोकसभा क्षेत्र में औरैया का पूरा जनपद और कानपुर देहात भी जोड़ा गया है. अभी वर्तमान में लोकसभा सांसद रामशंकर कठेरिया भारतीय जनता पार्टी के दल से संबंधित हैं. जनपद में 3 विधानसभाओं में भरथना विधानसभा और इटावा सदर विधानसभा से भाजपा के विधायक हैं, वहीं तीसरी विधानसभा जसवंत नगर से समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में राजनीति के परिदृश्य की बात की जाए तो समाजवादी पार्टी के इस समय बड़े चेहरों में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव इटावा जनपद के सैफई गांव के ही हैं.

सीटों का समीकरण
 
इटावा में 3 विधानसभा सीटें हैं:- मुख्य तौर पर सदर विधानसभा, भरथना विधानसभा और जसवंत नगर विधानसभा में कांटे की टक्कर होने वाली है.

सदर विधानसभा

सदर सीट से भाजपा की विधायक सरिता भदौरिया हैं, लेकिन इस बार कांटे की टक्कर समाजवादी पार्टी से होने वाली है. कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा ने कुछ लोगों के टिकट काटे हैं, जिसमें इटावा सदर सीट का भी टिकट बदलने की संभावना है. इटावा की जनता भाजपा की विधायक से असंतुष्ट है. 2022 में यदि सदर सीट चाचा भतीजा शिवपाल अखिलेश की मिले-जुले होने के बाद सपा की तरफ से लड़ी गई तो सदर की सीट सपा के खाते में जाने की संभावना बढ़ गई है. राजनीतिक दृष्टि से मुसलमान मतदाता और पिछड़ा वर्ग के मतदाता एकजुट होकर हो जाते हैं, तो सदर की सीट में सपा मजबूत रहेगी.

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भरथना विधानसभा

भरथना सीट से बीजेपी की सावित्री कठेरिया विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में भी स्थानीय विधायक के प्रति लोग में खासी नाराज दिखाई दे रही है. दलित वोट और पिछड़ा वर्ग का वोट सर्वाधिक होने की वजह से सपा ने भरथना में भी मजबूत पकड़ बना ली है. राजनीति में अनुभवहीन विधायक सावित्री कठेरिया के होने से भरथना विधानसभा क्षेत्र में कोई विशेष कार्य नहीं हुआ है. क्षेत्रफल में चकरनगर भी जोड़ने की एक वजह से वहां पर भी लोग नाराज हैं, इसलिए इस बार समाजवादी पार्टी की सीट जीतने की संभावना है.

जसवंतनगर विधानसभा

जसवंतनगर सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी के पुराने नेता शिवपाल सिंह रहे थे और वह तीन बार के विधायक रहे हैं और इस बार भी उनकी सीट जीत की पक्की मानी जा रही है. जसवंतनगर विधानसभा में पिछले 15 वर्षों से लगातार बड़ी संख्या में जीत हासिल करने वाले शिवपाल सिंह इस बार अखिलेश के साथ यदि गठबंधन से लड़ते हैं, तो फिर बड़ी जीत होने की संभावना है. हालांकि, जनपद की तीनों विधानसभाओं में सदर की विधानसभा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि समाजवादी पार्टी की सदस्यता हासिल करने वाले इंजीनियर हरि किशोर तिवारी को यदि टिकट मिलता है, तो उनको पार्टी कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. 

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2017 के नतीजे

  • पिछले विधानसभा चुनाव में सदर विधानसभा से भाजपा की विधायक सरिता भदौरिया विजयी हुई थीं. बीजेपी विधायक को 91234 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे सपा के कुलदीप गुप्ता को 73892 वोट और बसपा से नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी 43577 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.
     
  • भरथना विधानसभा से भाजपा की विधायक सावित्री कठेरिया विजयी हुई थीं. पहले स्थान पर रहीं भाजपा प्रत्याशी सावित्री कठेरिया को 82005 वोट, दूसरे स्थान पर सपा के कमलेश कठेरिया को 80037 वोट और बसपा के राघवेंद्र गौतम ने 61838 वोट प्राप्तकर तीसरे स्थान पर जगह बनाई थी.
     
  • जसवंतनगर विधानसभा से सपा के शिवपाल सिंह यादव जीते थे. 126834 वोट पाकर शिवपाल सिंह यादव ने पहला स्थान बनाया, दूसरे स्थान पर भाजपा के मनीष यादव उर्फ पतरे को 74218 वोट मिले और बसपा से दुर्वेश कुमार शाक्य 24509 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

जनपद की राजनीतिक हस्तियां 

  • जनपद की राजनीतिक हस्तियों में सबसे पहला नाम मुलायम सिंह यादव का आता है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुखिया मुलायम सिंह यादव सैफई गांव से हैं. दो दशक से लगातार चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनके छोटे भाई भी शिवपाल सिंह यादव जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तब-तब वह उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री बन कर विभिन्न पदों पर भी रहे.
     
  • अब इस समय सर्वाधिक चर्चा में विपक्ष की भूमिका में रहने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव का नाम सर्वोपरि है. सैफई गांव के जन्मे अखिलेश यादव एक बार निवर्तमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और विपक्ष की भूमिका बड़ी जोरदार इसे निभा रहे हैं. भाजपा के लिए चुनौती भी बने हुए हैं.
     
  • इटावा की राजनीतिक हस्तियों में भाजपा के सांसद रामशंकर कठेरिया इस समय वर्तमान में सांसद हैं और वह केंद्र की भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, साथ ही अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं. भाजपा के लिए दलित नेताओं में उनका नाम सर्वोपरि रहता है. राजनीतिक कार्यकाल के पहले कठेरिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रह चुके हैं.

 

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