उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में एक विधानसभा सीट है फाफामऊ. ये क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां आलू की पैदावार अधिक होती है. फाफामऊ में धान और गेहूं की भी अच्छी उपज होती है. इस विधानसभा सीट का नाम पहले नवाबगंज विधानसभा सीट हुआ करता था. 2008 के परिसीमन में नवाबगंज सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया और फाफामऊ विधानसभा सीट अस्तित्व में आई.
फाफामऊ विधानसभा क्षेत्र में ही श्रृंगवेरपुर धाम भी है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान श्रृंगवेरपुर से ही चित्रकूट धाम जाने के लिए नाव से गंगा नदी पार किया था. धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है. प्रयागराज का ये स्थल राम वनगमन मार्ग के तहत भी आता है. यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
फाफामऊ विधानसभा सीट के सियासी अतीत की बात करें तो इसका नाम नवाबगंज था. ये विधानसभा सीट एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कांग्रेस के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवारों को भी अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए विधानसभा में भेजा है. बीजेपी को इस सीट से दो बार जीत मिली है. एक दफे 1991 में बीजेपी जीती थी, तो दूसरी दफे 2017 में.
2017 का जनादेश
फाफामऊ विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी ने जनता दल और लोकतांत्रिक कांग्रेस से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके विक्रमाजीत मौर्या को उतारा. विक्रमाजीत मौर्या ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के पूर्व मंत्री अंसार अहमद को 26 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी. बसपा के मनोज पाण्डेय तीसरे स्थान पर रहे.
सामाजिक ताना-बाना
फाफामऊ विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां की जनसंख्या करीब चार लाख है. फाफामऊ विधानसभा सीट की गिनती यादव बाहुल्य विधानसभा सीट के रूप में की जाती है. अनुमानों के मुताबिक यहां करीब 45 हजार यादव, 38 हजार पटेल, 22 हजार मौर्य बिरादरी के वोटर हैं. पाल, ब्राम्हण, दलित के साथ ही मुस्लिम मतदाता भी फाफामऊ विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
फाफामऊ विधानसभा सीट से विधायक 62 साल के विक्रमाजीत मौर्य बीकॉम और एलएलबी हैं. इनके परिवार में पत्नी आशा मौर्य, तीन बेटियां और एक बेटा है. विक्रमाजीत मौर्य ने अपनी विधायक निधि की 90 फीसदी राशि खर्च कर दी है. इलाके में इनकी छवि मिलनसार नेता की है.