उत्तर प्रदेश का फतेहपुर जिला गंगा और यमुना नदी के बीच बसा है. फतेहपुर को दोआब भी कहते हैं. कानपुर और प्रयागराज के बीच पड़ने वाले फतेहपुर जिले की एक विधानसभा सीट है फतेहपुर सदर विधानसभा सीट. इस विधानसभा क्षेत्र में पहले से ही पोस्ट ऑफिस, दो इंटर कॉलेज, दो डिग्री कॉलेज हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो ये क्षेत्र पिछड़ा रहा है. गंभीर बीमारी, एक्सीडेंट के मामले में अब भी मरीजों को कानपुर और लखनऊ जाना पड़ता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
फतेहपुर सदर विधानसभा सीट के सियासी अतीत की बात करें तो इस सीट पर 1989 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. दो बार यहां जनता दल के उम्मीदवारों को भी जीत मिली. साल 1993 और 1996 में फतेहपुर सदर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राधेश्याम गुप्ता को जीत मिली. कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में राधेश्याम गुप्ता मंत्री भी रहे.
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फतेहपुर सदर विधानसभा सीट से साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार को जीत मिली तो वहीं 2007 में चुनावी अखाड़े में उतरे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र विभाकर शास्त्री को हार का सामना करना पड़ा. 2007 के चुनाव में यहां से बीजेपी के उम्मीदवार को जीत मिली तो वहीं 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) को. सपा विधायक के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में चुनावी बाजी बीजेपी के हाथ लगी तो 2017 में भी बीजेपी ने सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
2017 का जनादेश
फतेहपुर सदर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में 14 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच रहा. बीजेपी के उम्मीदवार विक्रम सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के चंद्र प्रकाश लोधी को 30 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था. बसपा के समीर त्रिवेदी तीसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार लोधी महज 909 वोट ही प्राप्त कर सके थे.
सामाजिक ताना-बाना
फतेहपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. इस विधानसभा सीट के लिए चुनाव में सामान्य वर्ग के साथ ही पिछड़े और एससी-एसटी मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
फतेहपुर सदर विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के विक्रम सिंह अपने कार्यकाल में क्षेत्र में बड़े स्तर पर विकास कार्य कराने का दावा करते हैं. बीजेपी नेताओं का भी दावा है कि पिछले पांच साल में इलाके की तस्वीर काफी हद तक बदली है. वहीं दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के नेता विधायक के दावे को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
(नितेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट)