scorecardresearch
 

Ghorawal Assembly Seat: मतदाताओं ने हर बार बदला है विधायक, इस बार क्या होगा?

घोरावल विधानसभा सीट नए परिसीमन के बाद साल 2012 में अस्तित्व में आई थी. घोरावल विधानसभा सीट के लिए साल 2012 में पहली बार मतदान हुआ था.

Advertisement
X
यूपी Assembly Election 2022 घोरावल विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 घोरावल विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • घोरावल सीट से विधायक हैं बीजेपी के अनिल मौर्या
  • एससी-एसटी बाहुल्य है सोनभद्र जिले की ये सीट

उत्तर प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले सोनभद्र की एक विधानसभा सीट है घोरावल विधानसभा सीट. इस इलाके के लोग खेती-किसानी पर निर्भर हैं. सोनभद्र की घोरावल विधानसभा का इतिहास अधिक पुराना नहीं है. घोरावल विधानसभा क्षेत्र पहले राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र का भाग था. साल 2012 में नए परिसीमन के बाद घोरावल विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

घोरावल विधानसभा सीट नए परिसीमन के बाद साल 2012 में अस्तित्व में आई थी. घोरावल विधानसभा सीट के लिए साल 2012 में पहली बार मतदान हुआ था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने रमेश चंद्र दुबे को उम्मीदवार बनाया. रमेश चंद्र दुबे के सामने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से अनिल मौर्या ताल ठोक रहे थे. सपा के रमेश चंद्र दुबे ने बसपा के अनिल मौर्या को शिकस्त देकर जीत का परचम लहराया था.

2017 का जनादेश

घोरावल विधानसभा सीट के लिए 2017 के चुनावी में दूसरी दफे वोट डाले गए. इस चुनाव से पहले 2012 में दूसरे स्थान पर रहे अनिल मौर्या ने बसपा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया. बीजेपी ने अनिल मौर्या पर ही दांव लगाया. बीजेपी के अनिल ने 2012 की हार का बदला ले लिया. अनिल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के रमेश चंद्र दुबे को 50 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी. बसपा की वीणा सिंह तीसरे नंबर पर रही थीं.

Advertisement

सामाजिक ताना-बाना

सामाजिक समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो ये सीट एससी-एसटी बाहुल्य सीट है. यहां एससी और एसटी वर्ग के मतदाताओं की तादाद अधिक है. मौर्या बिरादरी के वोटर भी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अनुमानों के मुताबिक घोरावल विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय के साथ ही मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

घोरावल सीट से विधायक अनिल मौर्या अपने कार्यकाल में विकास की गंगा बहाने का दावा करते हैं. बीजेपी के लोग भी अनिल मौर्या के कार्यकाल में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर किए गए कार्य गिना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल और विपक्षी दलों के नेता विधायक और बीजेपी की ओर से किए जा रहे दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं.

 

Advertisement
Advertisement