
उत्तर प्रदेश के मध्य हिस्से में राजधानी लखनऊ से 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गोण्डा जिला. भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से महज 43 किलोमीटर दूर गोण्डा जिले में शहर की सीट है गोंडा सदर. यूपी विधानसभा में गोण्डा सदर सीट का नंबर है 297. गोण्डा शहर राजा देवी बख्श सिंह के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि अयोध्या नरेश राजा दशरथ की गायों का विचरण क्षेत्र होने के कारण इसे गोनार्द कहा जाता था जो आगे चलकर गोण्डा हो गया. लखनऊ के करीब होने के कारण यहां की बोली, भाषा और रहन-सहन पर अवध का प्रभाव है.
गोण्डा में भाषा के लिहाज से देखें तो अवधी और खड़ी बोली का उपयोग किया जाता है. नगर क्षेत्र स्थित गांधी पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विशालतम आदमकद प्रतिमा स्थापित है. सागर तालाब, राधा कुण्ड, काली भवानी मंदिर तथा दुखहरण नाथ मंदिर आदि प्रमुख पौराणिक स्थल हैं. नगर में स्थापित इमामबाड़ा गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है. इस इमामबाड़े के सामने आने पर ताजिया भी झुका दिया जाता है. अंग्रेजों के जमाने के दो चर्च भी हैं.
आजादी के बाद भी गोण्डा का अपेक्षित विकास नहीं हुआ और इसकी गिनती पिछड़े शहर के रूप में होती रही. यहां उच्च शिक्षा का सर्वथा अभाव रहा. उच्च शिक्षा के नाम पर लाल बहादुर शास्त्री परास्नातक महाविद्यालय एक मात्र अनुदानित महाविद्यालय है. हालांकि, पिछले दो दशक से यहां जनप्रतिनिधियों की पहल पर कई स्कूल कॉलेज खुले. सपा सरकार में घोषित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज पांच साल से निर्माणाधीन है. स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जिला अस्पताल परिसर में टाटा एवं बिल गेट्स मिराण्डा फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में 200 बिस्तर के कोविड अस्पताल का निर्माण भी हुआ.
गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र में 130 ग्रामसभा और गोण्डा नगर पालिका क्षेत्र के 27 वार्ड सम्मिलित हैं जहां कि कुल आबादी करीब छह लाख है. साल 2017 के पहले स्वच्छता सर्वेक्षण में गोण्डा नगर पालिका को देश के सबसे गंदे शहर का खिताब मिला था. चुनाव आयोग के मुताबिक गोण्डा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 97 हजार 561 वोटर हैं. इनमें 1 लाख 35 हजार 399 महिला मतदाता हैं.
कृषि पर है अधिक निर्भरता
गोण्डा देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है. गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र की अधिकतर आबादी कृषि पर अधिक निर्भर है. रेल परिवहन की अच्छी सुविधा होने के बावजूद राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में यहां न तो उद्योग धंधे को बढ़ावा दिया जा सका और न ही लोगों के जीवन स्तर में ही सुधार की व्यवस्था हो पाई. मजबूर होकर हजारों युवाओं को आजीविका के लिए दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है. कृषि यहां के निवासियों का मुख्य पेशा है लेकिन उनकी काश्तकारी बहुत छोटी है.
यहां के छोटे किसान भी नकदी फसल के लिए गन्ने खेती करते हैं. गन्ने की उत्पादकता को देखते हुए विधानसभा क्षेत्र के कुंदुरुखी गांव में बजाज हिन्दुस्थान ग्रुप की ओर से चीनी मिल स्थापित की गई लेकिन गन्ना किसानों के मूल्य भुगतान को लेकर लगातार समस्या बनी रहती है. वैसे तो यह विधानसभा क्षेत्र ब्राम्हण बाहुल्य है. यहां की आबादी मिश्रित है. शहर के कई मोहल्ले के नाम आज भी यहां की राजशाही की तरफ इशारा करते हैं. जैसे राजा मोहल्ला, रानी बाजार, तोपखाना, ढलगरान आदि. कहा जाता है कि ढ़लगरान मोहल्ले में राज घराने की तरफ से सिक्कों की ढलाई होती थी.
कांग्रेस का रहा है बोलबाला
आजादी के बाद से राम मंदिर आंदोलन के उफान पर पहुंचने तक गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का बोलबाला रहा. हालांकि, साल 1957 के चुनाव में यहां से निर्दल उम्मीदवार को भी विजयश्री मिली थी. यहां के मतदाताओं की राजनैतिक चेतना जागृत रही है. गोण्डा के मतदाताओं ने लगभग हर पार्टी को सेवा करने का मौका दिया है. इसके चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रघुराज उपाध्याय (1980,1985 और 1989) ने जीत की हैट्रिक लगाई थी. यहां से कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ईश्वर शरण सिंह (1962 और 1967), जनसंघ के टिकट पर बाबू त्रिवेणी सहाय (1968, 1974), जनता पार्टी के टिकट पर फजलुल बारी उर्फ बन्ने भाई (1977), भाजपा के टिकट पर तुलसीदास राय चंदानी (1991 और 1993), सपा के टिकट पर विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह (1996, 2002 और 2012), बसपा के टिकट पर जलील अहमद खां (2007) निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे और साल 2017 में भाजपा से प्रतीक भूषण सिंह निर्वाचित हुए.
करीब छह लाख है आबादी
गोण्डा विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या करीब छह लाख की है जिसमें करीब तीन लाख चालीस हजार मतदाता हैं. पुरुष मतदाताओं की संख्या एक लाख 83 हजार है. अनुमान के अनुसार इसमें ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या एक-एक लाख के आसपास है. अन्य पिछड़ा वर्ग के करीब 80 हजार, दलित मतदाता 45 हजार एवं अन्य बिरादरी के 15 हजार मतदाता हैं.
साल 2017 का जनादेश
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोण्डा सदर सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे जिनमें बीजेपी के टिकट पर प्रतीक भूषण शरण सिंह ने कुल 58254 वोट पाकर जीत हासिल की. बसपा के मोहम्मज जलील खान दूसरे स्थान पर रहे थे जिन्हें 46576 वोट मिले थे. सपा के सूरज सिंह को 41477 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे. दिलचस्प यह है कि बीजेपी से बगावत कर शिवसेना के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे महेश नारायण तिवारी को 35619 वोट मिले थे.
गोण्डा के नवाबगंज के विश्नोहरपुर में 9 मई 1988 को जन्में प्रतीक भूषण सिंह स्नातक हैं. ऑस्ट्रेलिया में भी पढ़े प्रतीक साल 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में चार करोड़ 48 हजार 8815 रुपये की परिसंपत्ति इनकी ओर से घोषित की गई थी. इनकी पत्नी पेशे से चिकित्सक हैं. कैसरगंज से बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बड़े पुत्र प्रतीक भूषण को राजनीति विरासत में प्राप्त हुई. उनके पिता गोण्डा, बलरामपुर व कैसरगंज लोकसभा सीट से कुल मिलाकर छह बार सांसद रहे हैं. प्रतीक की मां केतकी सिंह भी गोण्डा संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य और गोण्डा जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं.