कोसी के बाएं तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक शहर है जिसे लोग रामपुर के नाम से जानते हैं. रामपुर समाजवादी पार्टी की सरकार में सत्ता का एक बड़ा केंद्र रहा है. अपनी तहजीब के लिए जिस रामपुर की पहचान है वही रामपुर विवादों में भी रहा है.
पुरानी हिंदी फिल्मों में जब विलेन किसी को धमकाने जाता था तो उसके हाथ से निकले चाकू की पहचान रामपुरी से होती थी. जरी की कारीगरी ने भी इस शहर को पूरे देश में चर्चित बनाया. रामपुर को लोग अदब और तहजीब वाले शहर के तौर पर भी जानते हैं.
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर विधानसभा चुनाव मुहाने पर खड़ा है. ऐसे में रामपुर के सियासी समीकरण को अगर देखें तो यहां 60 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है. आबादी के हिसाब से यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल जिला माना जाता है.
1998 में बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी पहली बार इसी सीट से जीतकर सांसद बने थे. इसके बाद फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा समाजवादी पार्टी के टिकट पर रामपुर से दो बार सांसद बनीं. 2014 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की लेकिन 2019 के चुनाव में आजम खान रामपुर से सांसद बने.
9 बार विधायक रह चुके हैं आजम खान
आजम खान इसी रामपुर की नगर विधानसभा सीट से 9 बार विधायक भी रहे हैं और अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन चुके हैं. सपा सरकार में जल निगम से लेकर हज और नगर विकास समेत कई अहम मंत्रालय आजम खान के पास हुआ करते थे.
रामपुर के कई लोग मानते हैं कि इस शहर का विकास आजम खान के राज में हुआ जब यहां 24 घंटे बिजली आने लगी और शहर की तस्वीर भी बदलने लगी.
रामपुर के रहने वाले आसिफ कहते हैं कि आजम खान के कार्यकाल में इस शहर में काफी कुछ बदला है. बिजली की स्थिति अच्छी हुई और सड़कों की सूरत भी बदली. यहां जो भी विकास दिखाई दे रहा है वह आजम खान की बदौलत है.
रामपुर विवादों में पहली बार 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद आया जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. उत्तर प्रदेश सरकार ने आजम खान के खिलाफ कई मामलों में जांच शुरू की.
आजम खान पर सबसे बड़ा आरोप लगा कि उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर और ट्रस्टी रहते हुए अपने सियासी रसूख का इस्तेमाल किया और कई लोगों की जमीनें हथियाईं ली. जांच का दायरा बढ़ा तो कई शिकायतकर्ता भी सामने आए जिन के आरोपों पर भी पुलिस ने मामले दर्ज किए और जांच को आगे बढ़ाया.
आजम खान की यूनिवर्सिटी पर अलग-अलग राय
यूनिवर्सिटी के आसपास रहने वाले लोग मानते हैं कि विश्वविद्यालय उनके बच्चों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. साथ ही वह आजम खान के खिलाफ मुकदमों को लेकर भी नाराज हैं.
स्थानीय निवासी मजहर कहते हैं कि मंत्री रहते हुए जिन्होंने इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी बनाई क्या वह मुर्गियां और बकरियां चुराएंगे? मजहर कहते हैं कि आजम खान रामपुर के लिए बादशाह थे और लोगों की मदद करते थे उन्होंने जमीनों के बदले ज्यादा कीमत दी तब जाकर यह यूनिवर्सिटी बनी.
वहीं मजहर के उलट सोनू ठाकुर कहते हैं कि आजम खान को अपने किए की सजा मिली है क्योंकि उन्होंने दूसरों की जमीन छीनी थी, दूसरों को बेघर किया था आज वह खुद बेघर हुए हैं.
एक अन्य युवक कमलेश कुमार कहते हैं कि इस इ आज़म खान ने युवाओं के खिलाफ कई फर्जी मुकदमें दर्ज किए थे और उन्हें प्रताड़ित किया था आज उन्हें अपने कर्मों की सजा मिल रही है.
रामपुरी चाकू से रामपुर की पहचान
रामपुर को अपने रामपुरी चाकू के लिए भी जाना जाता है. मोहम्मद यामीन पिछले 40 सालों से रामपुरी चाकू बना रहे हैं लेकिन यही चाकू उनके लिए परेशानी का सबब भी बन गया. यामीन कहते हैं कि एक तो बाजार में चीनी सामान आ रहा है ऊपर से रामपुरी चाकू को इस तरह अपराधों में बदनाम किया गया कि इस पर पाबंदी ही लगा दी गई. बैन होने के बाद अब बाजार में इसकी मांग नहीं है.
यामीन के बेटे नावेद कहते हैं कि आज की तारीख में रोजगार उन जैसे युवाओं के लिए बड़ा मसला है क्योंकि वह अपनी इस कला को आगे तो बढ़ाना चाहते हैं लेकिन इस पेशे में ना तो अब कमाई बची है और ना ही पहले जैसा मुनाफा इसलिए कई लोग मेहनत मजदूरी कर रहे हैं.
रामपुर में भी बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
रामपुर के युवाओं के लिए भी राज्य के बाकी हिस्सों की तरह बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. चाहे वकील हो या पढ़े लिखे शिक्षित युवा हर किसी को लगता है रोजगार के मौके आज की तारीख में सबसे बड़ा मुद्दा है. रामपुर के रहने वाले सचिन त्रिवेदी कहते हैं कि इस सरकार में बेरोजगारी ज्यादा बढ़ी है जिस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया.
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