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Hathras Assembly Seat: लगातार BSP का रहा है कब्जा, फिलहाल BJP.. क्या होगा इस बार?

हाथरस विधानसभा सीट: हाथरस विधानसभा सीट पर 1996 से लेकर 2012 तक लगातार बसपा (बहुजन समार पार्टी) का कब्जा रहा है. परिसीमन से पहले तक यह सीट सामान्य थी. जिसपर बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय लगातार तीन बार चुनाव जीते.

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Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Hathras Assembly Seat)
Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Hathras Assembly Seat)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस सीट पर तीन बार चुने गए बीएसपी उम्मीदवार
  • वर्तमान में बीजेपी से हैं विधायक

मायावती शासन में 3 मई 1997 को जिला बने हाथरस में विधानसभा की कुल 3 सीटें हैं. ये सीटें हैं हाथरस, सादाबाद, तथा सिकंदराराऊ. इनमें हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है.  हाथरस जिले की कुल जनसंख्या 17 लाख 22 हजार 982 है. जिसमें 8 लाख 22 हजार 77 महिला तो 9 लाख 20 हजार 705 पुरुष हैं. वोटरों की कुल संख्या 10 लाख 78 हजार 655 हैं. जिसमें 4 लाख 85 हजार 572 महिला व 5 लाख 93 हजार 36 पुरुष मतदाता हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

हाथरस विधानसभा सीट पर 1996 से लेकर 2012 तक लगातार बसपा (बहुजन समार पार्टी) का कब्जा रहा है. परिसीमन से पहले तक यह सीट सामान्य थी. जिसपर बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय लगातार तीन बार चुनाव जीते. लेकिन परिसीमन के बाद ये सीट 2012 के चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कर दी गयी थी. इस वजह से रामवीर उपाध्याय को यह सीट छोड़नी पड़ी. पार्टी ने 2012 के चुनाव में यहां से परिसीमन के बाद खत्म हुई, सासनी विधानसभा के विधायक गेंदालाल चैधरी को टिकट दिया था. 2012 के पिछले चुनाव में गेंदालाल की जीत हुई थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजेश दिवाकर को 9 हजार 128 वोटों से हराया था. 

पिछली बार 2017 के चुनाव में बीजेपी ने परिसीमन में खत्म हुई सासनी सीट से तीन बार पार्टी के विधायक रहे और दलबदल के बाद फिर पार्टी में शामिल हुए हरीशंकर माहौर को हाथरस सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ाया. उन्होंने अपने निकटतम बीएसपी प्रत्याशी बृजमोहन राही को 70,661 मतों के बड़े अंतर से हराकर अपनी सीट सुनिश्चित की. वहीं कांग्रेस के राजेश राज जीवन को 27301 मतों से ही संतोष करना पड़ा था. 

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गेंदालाल चौधरी ने दलबदल कर आरएलडी का दामन थामा, लेकिन उनकी जमानत जब्त हुई और उन्हें मात्र 3616 मतों से ही संतोष करना पड़ा. 2022 के विधानसभा चुनाव में हाथरस सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत दिखाई पड़ रही है. यदि भारतीय जनता पार्टी ने पुनः विधायक हरिशंकर माहौर को लड़ाया या फिर साफ सुधरी छवि का कोई अच्छा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा तो जनता उसके साथ खड़ी दिखाई देगी.

विधानसभा प्रोफाइल

विधानसभा सीट - अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 
वर्तमान विधायक -हरिशंकर माहौर
पार्टी- बीजेपी 
वोटर संख्या- 3,91,263 
महिला वोटर - 1,76,080 
पुरुष वोटर - 2,15,178

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

हाथरस सीट से एमएलए हरिशंकर माहौर का जन्म 1956 में हाथरस शहर में हुआ था. उन्होंने हाथरस में रहकर एमए किया और एलएलबी अलीगढ़ के वार्ष्णेय कॉलेज से करके शुरुआत वकील के रूप में की. 1989 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और कल्याण सिंह की कृपा से 1991 में जिले की सासनी विधानसभा से बीजेपी का टिकट पाकर एमएलए बन गए. वह इस सीट से 1993 तथा 1996 में भी चुनाव जीते. 

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इसके बाद उन्होंने बीजेपी छोड़कर दूसरे दलों की यात्रा की लेकिन बापस बीजेपी में लौट आये. 2017 के चुनाव में सासनी सीट समाप्त हो गयी तो पार्टी ने सुरक्षित हो गयी हाथरस सीट से उन्हें चुनाव लड़ाया और वह जीतकर यहां से एमएलए बने. हाथरस में मस्जिद टूटने के मामले में वह साढ़े आठ माह जेल में रहे थे. उन्होंने अपनी विधायक निधि से अपने कार्य क्षेत्र में चार साल में इंटरलॉकिंग सड़कों के निर्माण  कराये हैं.  

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हाथरस विधानसभा क्षेत्र के अनुमानित जातिगत समीकरण 
ठाकुर -49600, वैश्य- 42700, धोबी (रजत)- 26900, मुस्लिम- 20200, जाटव- 29700, ब्राह्मण- 42300, जाट- 15100, कोली- 9800, वाल्मीकि- 6900, बघेल-15300, कुशवाहा- 24700, नाई- 5500, खटीक- 2900, कश्यप(ढीमर)- 5000, दर्जी-2300, कुम्हार- 4850, पंजाबी- 4200, भुजी- 2100, यादव- 3200, अन्य- 6000    

 

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