यूपी में एटा जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूरी पर पड़ती है विधानसभा सीट जलेसर. जलेसर उत्तर प्रदेश के एटा जिले की काफी पुरानी तहसील है. माना जाता है कि यहां प्राचीन काल में जरासंध की चौकी हुआ करती थी जो आज भी खंडहर के रूप में मौजूद है. इसे घंगरू नगर के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर पीतल धातु, हस्तशिल्प कारोबार पुराना है. यहां के बने पीतल के घंटे पूरे देश के मंदिरों में ही नहीं, विदेशों में स्थित मंदिरों में भी अपनी मधुर ध्वनि से लोगों के कान में रस घोलते हैं.
जलेसर तहसील की सीमाएं आगरा, हाथरस, अलीगढ़, सिकंदराराऊ और फिरोजाबाद की सीमा को स्पर्श करती हैं. जलेसर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए ये खराब सपना की तरह रही है. साल 1990 के बाद की सियासत की बात करें तो ये सीट कभी समाजवादी पार्टी (सपा) तो कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कब्जे में रही है. साल 2007 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो बसपा यहां दूसरे स्थान पर भी नहीं पहुंच पाती. इस सीट पर तीन बार सपा तो चार बार बीजेपी के उम्मीदवार विजयी रहे हैं. जलेसर सुरक्षित विधानसभा सीट पर बसपा को पहली जीत की तलाश है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
जलेसर विधानसभा सीट से 1962 में एसडब्ल्यूए के चिरंजीलाल जीते तो साल 1967 में कांग्रेस के युवी सिंह ने जीत दर्ज की. 1969 के चुनाव में बीकेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे चिरंजीलाल जीते. 1974 में कांग्रेस के नाथीराम, 1977 में जेएनपी के माधव, 1980 में कांग्रेस के राम सिंह इस सीट से विधायक रहे तो 19889 से 1991 तक बीजेपी के माधव ने विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1993 में ये सीट सपा के पास चली गई तो 1996 में बीजेपी के टिकट पर उतरीं मिथिलेश कुमारी विजयी रहीं. 2002 में सपा के अनार सिंह दिवाकर, 2007 में बीजेपी के कुबेर सिंह अंगारिया, 2012 में सपा के रंजीत सुमन चुनावी बाजी जीतने में सफल रहे.
2017 का चुनावी समीकरण
जलेसर विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के संजीव दिवाकर और सपा के रंजीत सुमन के बीच रहा. बीजेपी संजीव ने सपा रंजीत को करीब 20 हजार वोट से मात दी. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख वोटर हैं. बसपा के मोहन सिंह को तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
जलेसर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो दलित और यादव मतदाता अधिक संख्या में हैं. राजपूत, मुस्लिम और लोधी मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं. बघेल, कश्यप, वैश्य, ब्राह्मण मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
जलेसर विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजीव दिवाकर का जन्म 7 मई, 1978 को हुआ था. संजीव दिवाकर के पिता का नाम मुन्नीलाल है. संजीव दिवाकर ने स्नातक की परीक्षा जलेसर डिग्री कॉलेज से पास की है. चुनाव से पहले संजीव दिवाकर खेती और जलेसर में ही पीतल के व्यापार में थे. बीजेपी में भी वे काफी एक्टिव रहे हैं. उनकी छवि आम लोगों के बीच एक मिलनसार नेता की है. संजीव दिवाकर का दावा है कि अपने अब तक करीब ढाई सौ करोड़ के विकास कार्य कराए हैं.