उत्तर प्रदेश के शामली जिले की एक विधानसभा सीट है कैराना विधानसभा सीट. कैराना विधानसभा सीट यूपी की सबसे चर्चित सीटों में से एक रही है. ये विधानसभा सीट पिछले यानी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले एक समुदाय के पलायन को लेकर चर्चा में आई थी. ये विधानसभा सीट कैराना लोकसभा सीट के तहत आती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कैराना विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बड़ा कद रखने वाले हुकूम सिंह भी इसी विधानसभा क्षेत्र के निवासी थे. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हुकूम सिंह को उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी के हुकूम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अनवर हसन को करीब 20 हजार वोट से हरा दिया था. तब समाजवादी पार्टी (सपा) के अयूब जंग तीसरे और निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल अजीज चौथे स्थान पर रहे थे.
2017 का जनादेश
कैराना विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने हुकूम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया था. मृगांका के सामने सपा ने नाहिद हसन को उम्मीदवार बनाया. सपा के नाहिद हसन ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी की मृगांका को 21 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. राष्ट्रीय लोक दल के अनिल कुमार तीसरे और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दिवाकर देसवाल चौथे नंबर पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
कैराना विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी अच्छी है. अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कैराना से विधायक सपा के नाहिद हसन का दावा है कि उनके कार्यकाल के दौरान इलाके का चहुंमुखी विकास हुआ है. दूसरी तरफ, विपक्षी बीजेपी और अन्य दलों के नेताओं का आरोप है कि विधायक इलाके की समस्याओं के निस्तारण में फेल रहे हैं. सपा और राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन ने नाहिद हसन को ही इस दफे भी उम्मीदवार बनाया है. नाहिद को गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने भी निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है. बीजेपी ने फिर से मृगांका सिंह को ही उम्मीदवार बनाया है. इस सीट के लिए मतदान पहले चरण के तहत 10 फरवरी को होना है.