यूपी के जालौन जिले की कालपी विधानसभा सीट को बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार कहा जाता है. कालपी का विशेष महत्व है. इस नगर में कई मंदिर और मजार मौजूद हैं. चौरासी गुंबद, लंका मीनार, वेद व्यास मंदिर, खानकाह दरगाह भी यहां हैं. रानी लक्ष्मी बाई ने किले में मंत्रणा कर अंग्रेजों से लोहा लिया था तो यही दस्यु सुंदरी फूलन देवी का जन्म स्थल भी है.
कालपी के चप्पे-चप्पे में इतिहास की अनेक कहानियां बसी हैं. महर्षि वेद व्यास का जन्म भी यहीं हुआ था. कृष्ण के पुत्र साम्ब की आराधना स्थली भी कालपी ही रही है. यह नगर यमुना नदी के किनारे बसा है. जालौन जिले की कालपी विधानसभा सीट यूपी विधानसभा के लिए हुए तीसरे चुनाव के समय से अस्तित्व में है. 1962 में ये सीट अस्तित्व में आई और यहां से कांग्रेस के टिकट पर शिव संपत्ति शर्मा विधायक निर्वाचित हुए.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कालपी विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो साल 1967 में जनसंघ के चौधरी शंकर सिंह, 1969 में शिव संपत्ति शर्मा, 1974 में जनसंघ के वीर सिंह बबीना विधायक निर्वाचित हुए. 1977 में जनता पार्टी और 1980 में लोक दल के टिकट पर चौधरी शंकर सिंह, 1984 में कांग्रेस के बद्री सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे. इस सीट से 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छोटे सिंह चौहान और 2012 में कांग्रेस की उमा कांति विधायक रहीं.
2017 का जनादेश
कालपी विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नरेंद्र पाल सिंह जादौन को टिकट दिया था. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के सामने बसपा की चुनौती थी. बीजेपी के नरेंद्र पाल सिंह जादौन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के छोटे सिंह चौहान को 50 हजार से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया.
सामाजिक ताना-बाना
कालपी विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-धर्म के लोग रहते हैं. इस सीट को अनुसूचित जाति बाहुल्य सीट माना जाता है. अनुमानों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के बाद क्षत्रिय, ब्राह्मण और निषाद जाति के मतदाता भी चुनाव परिणाम के निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कालपी विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक नरेंद्र पाल सिंह जादौन का दावा है कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र का चातुर्दिक विकास हुआ है. दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के नेताओं का दावा है कि क्षेत्र की समस्याएं जस की तस हैं. बाढ़, क्षतिग्रस्त सड़कें, सिंचाई, पेयजल की इलाके में समस्या है.